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राज्यसमाचार

लाकडाउन में रहेगी सख्ती/ 5 किस्म के कारोबार को हरी झंडी/ जनप्रतिनिधियों ने पूछा, कहां गया राशन और क्यों नहीं बना राशन-कार्ड?

कड़ाई से सबको पालन करना होगा लाकडाउन का निर्देश : डीजीपी

(जिलाधिकारी पंकज दीक्षित, डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय, डीआईजी पी. कनन्न, पुलिस अधीक्षक सत्यवीर सिंह)

डेहरी-आन-सोन / सासाराम (रोहतास) -सोनमाटी टीम। बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय ने सासाराम में सर्किट हाउस में बताया कि राज्य में कोई ग्रीन जोन नहीं है, रेड जोन है और आरेंज जोन है। रेड जोन में लाकडाउन की स्थिति यथावत रहेगी और आरेंज जोन में अत्यंत सीमित गतिविधि की ही इजाजत होगी। डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने साफ-साफ कहा कि मई का पूरा महीना बिहार के लिए क्रिटिकल है, काफी कठिन है। इस समय किसी तरह की छूट देना खतरे से खेलना है। वह बक्सर और कैमूर में बिहार-यूपी बार्डरों का निरीक्षण करने के बाद सासाराम पहुंचे थे। सासाराम से सोनमाटी संवाददाता से प्राप्त समाचार में बताया गया है कि डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने सर्किट हाउस में शारीरिक दूरी (सोशल डिस्टेन्स) का पालन करते हुए शाहाबाद पुलिस परिक्षेत्र के डीआईजी पी. कनन्न, रोहतास के जिलाधिकारी पंकज दीक्षित, रोहतास जिला के पुलिस अधीक्षक सत्यवीर सिंह और रोहतास जिला आपदा प्राधिकरण के अन्य अधिकारियों के साथ लाकडाउन के मद्देनजर समीक्षा बैठक की।
पांच तरह के दुकान-प्रतिष्ठान ही खुलेंगे :
डेहरी-आन-सोन से कार्यालय प्रतिनिधि के अनुसार, गृह विभाग (पटना) सेलाकडाउन के बाबत जारी परिपत्र के आलोक में जिला प्रशासन की ओर से सीमित क्षेत्र में दुकान-कारोबार खोलने का और कंटोनमेंट जोन (प्रतिबंधित क्षेत्र) में पूरी तरह बंद रखने का निर्देश जारी किया गया है। जारी निर्देश में बताया गया है कि पांच किस्मों की इलेक्ट्रानिक सामग्री, आटोमोबाइल सेक्टर, हार्डवेयर सेक्टर, निर्माण सेक्टर, प्रदूषण जांच के दुकान-प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को सुबह 10 बजे से शाम 04 बजे तक है। शापिंग कांप्लेक्स और बाजार की दुकान खोलने की अनुमति नहींहै। अनुमति वाली दुकान-दफ्तर के आगे दो गज दूरी का निशान लगाना होगा और दुकानदार, कर्मचारी, ग्राहक सबको मास्क पहनना होगा। रोहतास जिला में सासाराम नगर परिषद क्षेत्र, कोचस नगर पंचायत, राजपुर प्रखंड और मुरादाबाद (सासाराम प्रखंड) कन्टोनमेंट जोन (निषिद्ध क्षेत्र) हैं, जहां खाद्य सामग्री के अलावा किसी तरह का दुकान-प्रतिष्ठान नहीं खुलेगा। यह फैसला जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में लिया गया है। जारी किए गए निर्देश के अनुसार, निषेध रहित क्षेत्र में पंखा, कूलर, एयरकंडीशनर, बल्ब-ट्यूब, बिजली मिस्त्री की बिक्री-मरम्मत की दुकानें, मोबाइल, कंप्यूटर, बैट्री की बिक्री-मरम्मत की दुकानें, आटोमोबाइल, बाइक, साइकिल की बिक्री-मरम्मत की दुकानें, सीमेंट, छड़, बालू, गिट्टी, ईंट, प्लास्टिक पाइप बिक्री के दुकान-प्रतिष्ठान और प्रदूषण जांच केेंद्र खुलेंगे।
गुरुपर्व पर सूना रहा बौलिया का अद्वैत आश्रम :
बौलिया (रोहतास) से प्राप्त समाचार के अनुसार, जिला के रोहतास प्रखंड अंतर्गत बैलिया स्थित अद्वैत आश्रम बेलौंजा में सोशल डिस्टेन्स का पालन करते हुए गुरुपूर्णिमा का पर्व बिना भीड़-भाड़, शोर-शराबा और बिना उत्सवी आयोजन के अत्यंत सादगी से संपन्न हुआ। जबकि इस आश्रम में गुरुपूर्णिमा पर्व पर ग्रामीण स्त्री-पुरुष भक्त-श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या भाग लेती रही है। इस बार डा. शिवपूजन शर्मा, डा. लखन लाल, राधासूत सिन्हा, चंदन दीक्षित, रीतेश पांडेय, प्रवेश शर्मा, पिंटू कुमार आदि ने ही आवश्यक पूजा-पाठ में योगदान दिया। आश्रम के महंत स्वामी दयानंद ने बताया है कि सिर्फ शांति-पाठ किया गया, भंडारा का आयोजन नहीं हुआ।

(सवाल-1) : सरकार और अफसर बताएं कि कहां है सबके लिए राशन?

डिहरी विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्र सेवा दल की पूर्व विधायक ज्योति रश्मि जोशी ने कहा है कि लाकडाउन में सरकार की ओर से वादा किया गया था कि हर जरूरतमंद को घर-घर राशन दिया जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ। लाकडाउन में राशन वितरण और सभी उपयुक्त पात्र परिवारों के राशन-कार्ड बनाने की मुकम्मल व्यवस्था नहीं हुई। सरकार, मंत्री बताएं और अफसर बताएं कि क्या बीपीएल के अलावा एपीएल का राशन कार्ड नहीं बनना है? तब कौन खा गया या खा रहा है कि राशन-कार्ड धारकों तक भी राशन नहीं पहुंचा? क्या फर्जी आपूर्ति का दस्तावेज बना लिया गया? हालांकि यह बात दशकों से जानी जाती रही है कि जन वितरण प्रणाली में डीलर, अफसर से लेकर ऊपर तक क्या तिलस्म है? फिर भी फर्जी राशन-कार्ड निरस्त करने का मुकम्मल उपाय नहीं किया गया। ज्योति रश्मि जोशी ने सोनमाटीडाटकाम को बताया कि शहर में अपने मकान में रहने वाले अधिसंख्य नागरिकों की दशा पेंशन नहीं होने और लाकडाउन में आय का जरिया खत्म हो जाने के कारण बीपीएल जैसी बन गई है? लाकडाउन में सारा कारोबार ठप होने की परिस्थिति में सामाजिक संगठनों के जरिए शहर के समर्थ लोगों ने जरूरतमंद गरीबों की मदद आगे बढ़कर की है। इसके लिए सामाजिक संगठन और समाज के अग्रणी लोग धन्यवाद, साधुवाद के पात्र हैं। उन्होंने कहा, नगरपरिषद की झूठ की यह बानगी देखिए, यह बताया जा रहा है कि शहर नियमित सैनिटाइज हो रहा है। मगर कहां, कागज पर या जमीनी हकीकत में? कोरोना संक्रमण के कई महीनों की दस्तक के बावजूद बतौर अग्रिम एहतियात नालियों को उड़ाहने की जरूरत नहीं समझी गई, जबकि शहर को हर बार नारकीय बनाने वाला बरसात का मौसम अगले एक महीने बाद ही शुरू होने वाला है।

सवाल (2) : आखिर क्यों नहीं बना नगरपरिषद में सबका राशन-कार्ड?

डेहरी-डालमियानगर नगर परिषद की स्थाई समिति के सदस्य वार्ड पार्षद ब्रह्म्ïोश्वर नाथ उर्फ कालीबाबू ने राशन-कार्ड बनाने में बरती गई अनियमितता, अराजकता पर सीधे नगरपरिषद की कार्यशैली पर निशाना साधा है। वार्ड पार्षद, विकास मित्र, जीविका दीदी, आंगनबाड़ी द्वारा कई-कई बार फार्म भराए गए। 11 हजार से अधिक फार्म भरे गए। जैसाकि नगरपालिका का रिकार्ड है, संभव है कि राशन-कार्ड के जरूरतमंदों की संख्या अधिक हो। सभी फार्म रद्द कर दिए गए। तमाशा देखिए कि जिस वार्ड में स्लम बस्ती नहीं या जो बीपीएल उपभोक्ता नहीं, उसका भी राशन कार्ड बना है। कालीबाबू ने सोनमाटीडाटकाम को यह बताया, नगरपालिका का सामूहिक भोजन-भंडारा बंद कर कहा जा रहा है कि अब प्रवासी मजदूरों के लिए क्वारंटाइन सेंटर पर खाना भेजा जा रहा है। तब क्या शहर के जरूरतमंदों को भुखमरी का शिकार बनने के लिए निसहाय छोड़ दिया गया है। अधिकारी और कर्मचारी दोनों स्तरों पर दफ्तर की मनमानी की अनेक कहानियां हैं। लेकिन हम अभी बात सिर्फ लाकडाउन से पैदा हुई भोजन की परेशानी की कर रहे हैं। उन्होंने सवाल खड़ा किया, यह व्यवस्था का दुष्परिणाम नहीं कि कर्मचारी-अधिकारी की आर्थिक स्थिति तनख्वाह से बहुत अधिक क्यों हो जाती है? यह आखिर ऐसा क्यों है कि दो रुपये किलो गेहूं-चावल बेचने वाला जनवितरण प्रणाली का दुकानदार स्कार्पियो पर घूमता है और 20 रुपये किलो बेचने वाला किसान फटेहाल बना रहता है?

(रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज, अर्जुन कुमार, राधासूत सिन्हा
संपादन : कृष्ण किसलय)

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