डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-सोनमाटी टीम। समाज के असहाय-निरुपाय व्यक्ति को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराना ऐसे व्यक्ति के प्रति समाज का और संसाधन संपन्न तबके का कमजोर तबके के प्रति सामाजिक दायित्व है। यही वजह है कि राज्य सरकार भी मुफ्त कानूनी सहायता मुहैया कराने का कार्य कर रही है। यह बात रोहतास के जिला एवं सत्र न्यायाधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष पारसनाथ राय ने जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय (जीएनएसयू) के ला-स्कूल (नाराणण विधि विद्यालय) में मूट-कोर्ट और विधिक सहायता केेंद्र का उद्धाटन करते हुए कही।
न्याय-प्रक्रिया एक विज्ञान, जिसमें विवेक सर्वोपरि
जिला न्यायाधीश पारसनाथ सिंह ने भारत में लोकतांत्रिक व्यस्था के तीनों संवैधानिक अंगों की अपनी संक्षिप्त व्याख्या में यह बताया कि आज न्यायपालिका ही सार्वभौम समाज का प्रतिनिधित्व करती है। नीति नियामक विधायिका सिद्धांत में तो सर्व-समाज का उपक्रम है, मगर व्यवहार में ऐसा नहींहै। क्योंकि, देश के सर्व-समाज का प्रतिन्ििधत्व करने वाली और कानून बनाने वाली लोकसभा देश के एक-तिहाई मतदाताओं का प्रतिनिधित्व ही करती है। इस बात को तो पूरा देश देख रहा और महसूस भी कर रहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के तीसरा अंग कार्यपालिका को विधायिका ने विभिन्न तरह के दबावों से लगभग अपने अधीन बना रखा है। स्वतंत्र न्यायपालिका पर विधायिका का भारी दबाव है। न्यायाधीश विधायिका के दबाव के बावजूद अपने नीर-क्षीर विवेक से न्यायिक कार्य के निष्पादन में तत्पर हैं। न्याय-प्रक्रिया वह विज्ञान है, जिसमें कानून सम्मत विवेक सर्वोपरि है।
सिद्धांत और व्यवहार के संयोजन का प्लेटफार्म है मूट-कोर्ट
जिला न्यायाधीश श्री राय ने मूट-कोर्ट के बारे में बताया कि यह शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए छाया न्यायालय की तरह है और न्याय-प्रक्रिया को समझने-समझाने का पहला प्लेटफार्म है। कानून की पढ़ाई और उस आधार पर न्यायालय परिसर में वकालत करना दो भिन्न चीजें हैं। पढ़ाई सिद्धांत और जानकारी का पक्ष है। मगर वकालत का कार्य व्यावहारिक और फलित प्रयोजन है। किसी अपराध के समय न वकील मौजूद होता है और न ही न्यायाधीश, मगर वकील अपने अनुभव के आधार पर यह बताता है कि घटना ऐसी हुई होगी और जज उस आधार पर अपना निर्णय देता है। इसलिए मूट-कोर्ट कानून के अध्यर्थी विद्यार्थियों के लिए तर्कसंगत तरीके से सहायक बनता है।
निशुल्क कानूनी सहायता ही विधिक केेंद्र का कार्य
रोहतास जिला परिवार न्यायालय के न्याय-मंडल प्रमुख अवधेश कुमार दुबे ने कहा कि विधिक सहायता केेंद्र का उद्देश्य और कार्य समाज के कम आय वाले पीडि़त व्यक्ति को निशुल्क समुचित कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है। विधिक सहायता केेंद्र उचित विधि परामर्श देने के साथ पैरवी के लिए वकील भी मुहैया कराता है। श्री दुबे ने कहा कि कई बार वकील अपनी आय के लिए अपने मुवक्किल को गलत सलाह भी देते हैं, जिससे प्रतिवादियों के विरुद्ध अकारण अनावश्यक धाराओं का प्रतिरोपण होता है। न्यायालयों में मुकदमों में वृद्धि की यह एक वजह भी है।
मेडिकल कालेज से यूनिवर्सिटी बनने तक की यात्रा गौरवशाली
अपने संबोधन में जीएनएसयू के संस्थापक अध्यक्ष राज्यसभा सदस्य गोपालनारायण सिंह ने 2008 में मेडिकल कालेज की स्थापना से यूनिवर्सिटी का आकार ग्रहण करने तक की एक दशक की गौरवशाली यात्रा को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि ला-स्कूल में हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों को भी समय-समय पर आमंत्रित किया जाएगा, ताकि यहां के विद्यार्थियों की ज्ञान-दृष्टि का विस्तार व्यापक बन सके और उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त हो सके। यहां से डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों को बेहतर दक्षता से लैस होने और बेहतर बनाने के लिए ही बिहार के अधिसंख्य विधि शिक्षण संस्थानों से अलग अपने ला-स्कूल में न्यूनतम 70 फीसदी उपस्थिति के प्रावधान को अनिवार्य बनाया है।
सभी को है न्याय पाने का अधिकार
आरंभ में जिला न्यायाधीश पारसनाथ राय, न्यायाधीश अवधेश कुमार दुबे, सांसद गोपालनारायण सिंह, कुलपति डा. एमएल वर्मा आदि ने मूट-कोर्ट और विधिक सहायता केेंद्र का दीप-प्रज्ज्वलन कर औपचारिक उद्घाटन किया। इसके बाद जेएनएसयू के कुलपति डा. एमएल वर्मा ने अतिथियों का अभिनंदन करते हुए यह कहा कि देश में सभी व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है और इसी मान्य नीति के तहत जेएनएसयू में विधिक सहायता केेंद्र की स्थापना की गई है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों, अध्यापकों का हर संभव योगदान होगा और इससे विश्वविद्यालय के कानून के विद्यार्थियों में दक्षता का भी विकास होगा।
कार्यक्रम का संचालन जीएनएसयू के अंतर्गत संचालित नारायण विधि विद्यालय की अध्यापिका डा. नर्मदा सिंह ने किया। अंत में जीएनएसयू के सचिव गोविंदनारायण सिंह ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। इस अवसर पर रोहतास के सीजेएम अभिषेक कुमार भान, एसडीजेएम राघवेंद्रनारायण सिंह, जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव मौसमी सिंह, जिला विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष राममूर्ति सिंह और अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ जेएनएसयू के कुलसचिव डा. आरएस जायसवाल, परीक्षा नियंत्रक डा. कुमार आलोक प्रताप, ला-स्कूल (नाराणण विधि विद्यालय) के प्राचार्य अरुण कुमार सिंह उपस्थित थे।
(रिपोर्ट : कृष्ण किसलय, भूपेंद्रनारायण सिंह, तस्वीर : निशांत राज)