वैलेन्टाइन-डे : बहुअर्थी प्रेम-सरोकार-संबंध दिवस पर मौका-ए-खास पेशकश

वैलेन्टाइन-डे विशेष

यानी बहुअर्थी प्रेम-सरोकार-संबंध दिवस पर

सोनमाटीडाटकाम की

मौका-ए-खास पेशकश

बिहार और दूसरे प्रदेशों में अखिल भारतीय मंचों पर मुशायरा के सम्मानित हस्ताक्षर और चार दशक (1979) से शायरी करने वाले शेरशाह के शहर सासाराम के चर्चित शायर, पत्रकार और पेशे से अधिवक्ता अख्तर इमाम अंजुम (9430437182) की बतौर अतिथि कलमकार दो रचनाएं प्रस्तुत हैं।

–o– एक  –o–

गुबारेशह है कोई तो आईना है कोई।
अगर खामोश कोई है तो बोलता है कोई।।

जमीं पर सोच सही रख के आसमान उठा,
जमीं पर तू है मगर तुझको देखता है कोई।

मुकद्दरों में जफाएं वफा के नाम पर हैं,
अगर है तो गनीमत के बवफा है कोई।

किसी की कोई भी हमदर्दियां जताएं तो,
जरूर उससे समझिए के वास्ता है कोई।

किसी रईस की मुफलिस की बात क्या करना,
हरेक शख्स के रहने का दायरा है कोई।

–o–  दो  –o–

हम शामेअवध में भी गुजारा नहीं करते।
और सुबहेबनारस को भी देखा नहीं करते।।

सूली मिले या लाख प्रताडऩा मुझे,
सच बोलने में हम कभी सोचा नहीं करते।।

जो हैं जुबान वाले निपटते हैं उनसे हम,
शिकवा हो बेजुबान का एैसा नहीं करते।

हम जो भी मसअले का हो हल हैं तलाशते,
पीछे कभी भी मुड़ के भी देखा नहीं करते।

अब कौन बांटता है भला किसके दर्द को,
हालात अपने जो भी हों चर्चा नहीं करते।

जिस शाख पे भी सांप सिफत आदमी चढ़े,
उस पे परिन्दा भी तो बसेरा नहीं करते।

-0 अख्तर इमाम अंजुम

 

सोन नद तट वासी डेहरी-आन-सोन के वरिष्ठ कवि सासाराम में बतौर पेशा हिन्दुस्तान के निज संवाददाताके रूप में सासाराम कार्यालय मे कार्यरत कुमार बिन्दु (9939388474) की एक रचना-

-0-  कभी न कभी तो  -0-

हर सुबहो-शाम हसीं गुनाह करता हूं।
सर झुका के हुस्न को सलाम करता हूं।।

जाहिद काफिर कहे या बुत परस्त कहे,
हर सू उसका जलवा दीदार करता हूं।

शमां की मानिंद जलती है तू रातभर,
मैं परवाने की तरह परवाज करता हूं।

दिल में सजा रखा है सनम का बुतखाना,
उसके सजदे में दिल बेकरार करता हूं।

कभी न कभी तो वो आएंगे अंजुमन में,
ये सोच के हर शब को गुलजार करता हूं।

                                         -0  कुमार बिंदु

 

साथ में, सोन नद तट के गांव सहसपुर के कवि-रचनाकार बतौर पेशा विद्यालय निदेशक और बारुण प्रखंड के व्यापार मंडल के अध्यक्ष मिथिलेश दीपक (9102536080) की भी एक कविता-

-0-  रवायत नई न शिकायत नई  -0-

सारी उमर जिनके लिये जीते रहे
एक उम्र के बाद उसने पूछा
मेरे लिये क्या किये ?

न यह रवायत नई है,
न यह शिकायत नई है।

गुजरती रही है दुनिया
सदा इसी दौर से ।

उम्मीद करते हैं
यह सिलसिला यूँ ही
आगे भी चलता रहेगा,
जब तक लोग अपनी सारी उमर
किसी के लिए जीते रहेंगे ।
                               -0 मिथिलेश दीपक

 

-0-  और, अंत मे एक क्षणिका  -0-

मोहब्बत का दिया
जला दिया है
जो तेरे दिल में,
डर है कि
जमाने की हवा
कहीं उसे बुझा न दे।
                       -0 कृष्ण किसलय (9708778136)

 

Share
  • Related Posts

    पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की प्रथम पीएच.डी. शोधार्थी की मौखिकी प्रस्तुति सफलतापूर्वक पूर्ण

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) विशेष संवाददाता। जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग की पहली शोधार्थी सुरभि कुमारी ने “बिहार में महिला स्वास्थ्य के प्रति जनसंचार माध्यमों की…

    Share

    राणा सांगा पर अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ डेहरी में निकला आक्रोश मार्च

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि। समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा संसद में महाराणा सांगा पर दिए गए अभद्र एवं विवादित टिप्पणी को लेकर कुंवर राणा सामाजिक कल्याण संस्था…

    Share

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की प्रथम पीएच.डी. शोधार्थी की मौखिकी प्रस्तुति सफलतापूर्वक पूर्ण

    पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की प्रथम पीएच.डी. शोधार्थी की मौखिकी प्रस्तुति सफलतापूर्वक पूर्ण

    राणा सांगा पर अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ डेहरी में निकला आक्रोश मार्च

    राणा सांगा पर अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ डेहरी में निकला आक्रोश मार्च

    जीएनएसयू : विश्व स्वास्थ्य दिवस पर प्रतियोगिता का आयोजन

    जीएनएसयू : विश्व स्वास्थ्य दिवस पर प्रतियोगिता का आयोजन

    जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत धान-परती भूमि प्रबंधन एवं किसानों का सशक्तिकरण

    जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत धान-परती भूमि प्रबंधन एवं किसानों का सशक्तिकरण