भारतीय सिनेमा के 105 साल, मूक थी पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र

3 मई 1913 को मुं्बई के कोरोनेशन थिएटर में राजा हरिश्चंद्र का प्रदर्शन हुआ था। यह हिन्दी की पहली फिल्म थी, मगर मूक थी और इसके संवादों की अदायगी वाचिक प्रस्तोताओं द्वारा की गई थी। इस श्वेत-श्याम फिल्म के निर्माता धुंडिराज गोविन्द फाल्के थे, जिन्हें दुनिया दादा साहब फाल्के नाम से जानती है। भारतीय सिनेमा के इस जनक ने फिल्म निर्माण में अपनी पत्नी के साथ बेहद कठिन आर्थिक संघर्ष किया था। उस वक्त दुनिया के अनेक देशों में फिल्म निर्माण शुरू हो चुका था। आज 105 साल बाद भारतीय सिनेमा, हिन्दी सिनेमा ने क्वांटम जंप कर लिया है और अभिनय, लेखन के साथ तकनीक में इसका परचम दुनिया में लहरा रहा है। प्रस्तुत है पहली भारतीय फिल्म राजा हरिश्चंद्र पर कैमूर कोकिला के रूप में लोकप्रिय भोजपुरी गायिका और अभिनेत्री अनुराधाकृष्ण रस्तोगी की टिप्पणी।


 

राजा हरिश्चंद्र : मूक थी  भारतीय पहली फिल्म 

एक सदी पहले तो जमाना पूरी तरह रंगमंच का था। सरस मनोरंजन और सामाजिक संदेश दोनों के लिए रंगमंच तब अभिव्यक्ति की सबसे लोकप्रिय विधा थी। उस समय तस्वीरों की रील के रूप में तैयार होने वाली और पर्दे पर छाया के रूप में दिखाई जाने वाली फिल्म, वह भी मूक के लिए रंगमंच को टक्कर दे पाना कोई हंसी-खेल नहीं था। मगर इस नई चीज को तैयार हो जाने के बाद प्रदर्शित करने का ताम-झाम नाटक के मुकाबले काफी कम था, क्योंकि इसके प्रदर्शन के लिए नाटक दल व समूचे नाट्य संसाधनों को जुटाने की जरूरत नहीं थी और एक जगह से दूसरी जगह पर भी इसे उसी प्रभाव में देखा जा सकता था, जिस प्रभाव में वह पहली जगह पर देखा गया था।

तब मूक सिनेमा भी बनाना अत्यंत दुष्कर कार्य
हालांकि 20वीं सदी में आरंभ होने वाला वालीवुड (भारतीय सिनेमा) तकनीक व कला के मामले में 21वींसदी में क्वांटम जंप कर चुका और महाउद्योग बन चुका है, मगर तब मूक सिनेमा भी बना पाना अत्यंत दुष्कर कार्य था। और, यह कार्य दादा साहब फाल्के (घुंडीराज गोविन्द फाल्के) ने किया था चार रीलों में लपेटी गई 37 सौ फीट (करीब दो मील) लंबी मूक फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्रÓ बनाकर। 105 साल पहले 13 मई 1913 को मुम्बई के कोरोनेशन सिनेमा हाल में प्रदर्शित हुई एक घंटे की इस मूक फिल्म के पात्र-परिचय, संवाद आदि पर्दे के पीछे से बोले गए थे। दर्शकों ने इस नई चीज को पसंद किया था और यही वजह थी कि फिल्म उस सिनेमा हाल में 23 दिनों तक दिखाई गई थी।

पर्दा गाड़कर शहरों-गांवों में भी किया बैलगाड़ी से प्रदर्शन

महाराष्ट्र के त्रयम्बकेश्वर (नासिक) शहर के दादा साहब फाल्के (जन्म 30 अप्रैल 1870) ने 1917 में अपना प्रोडक्शन हाउस ( हिन्दुस्तान फिल्म कंपनी) बनाया था और इसके जरिये कला व तकनीक के इस नवसृजन (फिल्म) को दर्शकों के बड़े दायरे तक ले जाना चाहते थे। उन्होंने फिल्म की रील, पर्दा, मशीन और अन्य साजोसमान को बैलगाड़ी पर लादा और प्रदर्शक के रूप में निकल पड़े जगह-जगह पर्दा गाड़ कर लोगों को फिल्म दिखाने। उन्होंने शहरों के साथ गांवों में भी फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्रÓ का प्रदर्शन किया।

महिला कलाकार नहीं मिलती थी,  महिला पात्र की भूमिका में पुरुष
तब वह दौर था, जब फिल्म तो क्या नाटक के लिए भी महिला कलाकार नहीं मिलती थी और महिला पात्र की भूमिका पुरुष कलाकार को ही करनी पड़ती थी। तब स्थिति यह थी कि कोई महिला फिल्म में काम करने के लिए तैयार थी, यहां तक की तवायफ भी नहीं। फिल्म राजा हरिश्चंद्र में राजा हरिश्चंद्र की पत्नी शैव्या की भूमिका के लिए कोई महिला नहीं तैयार हुई और तवायफों-वेश्याओं ने भी फिल्म में महिला भूमिका करने से इनकार कर दिया। शैव्या की भूमिका का निर्वाह अभिनेता सालुंके ने किया। तरुण उम्र के सालुंके भी बड़ी मनुहार के बाद तैयार स्त्री भूमिका के लिए तैयार हो सके थे।
दादा फाल्के ने 18 सालों में 175 फिल्में बनाई थींं, जिनमें ‘गंगावतरणÓ (1931) बोलती फिल्म थी।

-अनुराधाकृष्ण रस्तोगी
कुदरा (कैमूर)
चर्चित लोकगायिका, भोजपुरी अभिनेत्री

Share
  • Related Posts

    जीएनएसयू और आईआईटी पटना के बीच शैक्षणिक समझौता

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) विशेष संवाददाता। जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय (जीएनएसयू) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) पटना के बीच मंगलवार को शैक्षणिक सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर…

    Share

    नारायण कृषि विज्ञान संस्थान के चार विद्यार्थी बने प्रखंड कृषि पदाधिकारी

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) विशेष संवाददाता। गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, जमुहार के अंतर्गत संचालित नारायण कृषि विज्ञान संस्थान के चार विद्यार्थियों ने अपने प्रथम प्रयास में ही बिहार लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठित…

    Share

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    जीएनएसयू और आईआईटी पटना के बीच शैक्षणिक समझौता

    जीएनएसयू और आईआईटी पटना के बीच शैक्षणिक समझौता

    नारायण कृषि विज्ञान संस्थान के चार विद्यार्थी बने प्रखंड कृषि पदाधिकारी

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि मनाई गई

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि मनाई गई

    आस्था की डुबकी: महाकुंभ शाही स्नान हेतु आठ निःशुल्क बस प्रयागराज के लिए रवाना