प्रदेश के माथे पर चिंता की लकीरें
पटना/डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। कोरोना संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या बड़ी चुनौती बन गई है। अमेरिका और ब्राजील के बाद सात लाख से अधिक पीडि़त संख्या वाला भारत कोरोना पीडि़तों का दुनिया में तीसरा देश बन गया है। कोरोना से मरने वालों की संख्या भी 20 हजार की रेखा पार कर चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हवा में भी कोराना विषाणु के मौजूद रहने से संक्रमण के फैलने की नई पुष्टि ने प्रदेश, देश और दुनिया के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। हालांकि दस दिनों में दिल्ली के छतरपुर में दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना अस्पताल का बनकर शुरू हो जाना एक अजूबा है। विशेषज्ञ महसूस कर रहे हैं कि भारत में कोरोना से जुड़ी सूचनाएं आसानी से मुहैया होने का काम नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन में मरीजों की संख्या होती है, मगर उम्र, क्षेत्र और मरीज की स्थिति आदि ब्यौरे नहीं होते। उधर, पटना से प्राप्त संवाद के मुताबिक, कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या एक हजार पार करने पर हालात को देखते हुए जिलाधिकारी कुमार रवि ने जिले में 10 से 16 जुलाई तक पूर्ण लाकडाउन का आदेश जारी किया है। संपूर्ण लाकडाउन के दौरान फल-सब्जी, मांस-मछली की दुकानें सुबह 6 से सुबह 10 बजे तक खुलेंगी और दुकानें शाम 4 से 7 बजे तक ही खुलेंगी। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर राज्य की राजधानी में लाकडाउन की अवधि के दौरान बाजार, कार्यालय और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। बिहार में एक दिन में 8 जुलाई को सबसे अधिक 749 कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आने के मद्देनजर यह फैसला लिया गया। डेहरी-आन-सोन, तिलौथू, सूर्यपूरा मेें नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई है, जिनमें गोद की बच्ची से तक शामिल है।
रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज, इनपुट पापिया मित्रा
एनएमसीएच को मिली कोरोना जांच की अनुमति
डेहरी-आन-सोन (विशेष संवाददाता)। जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (एनएमसीएच) को भी राज्य सरकार द्वारा कोराना जांच की अनुमति दे दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डा. अशोक कुमार ने इस आशय का विभागीय आदेश-पत्र जारी कर दिया है। इससे अब सोन नद अंचल के पर्वतीय और ग्रामीण इलाकों के मरीजों को जांच के लिए बड़े शहर में नहींजाना पड़ेगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए एनएमसीएच के प्रबंध निदेशक त्रिविक्रमनारायण सिंह ने बताया कि यहां कोविड-19 की जांच के लिए अधिकृत लैब की स्थापना की जा चुकी थी। अब स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि कोविड-19 की जांच का शुल्क 2500 रुपये होगा और जांच रिपोर्ट पाजिटिव आने पर सूचना रोहतास जिला के आपदा अधिकारी, सिविल सर्जन को देनी होगी। आरटीपीसीआर मशीन से टेस्ट की व्यवस्था रोहतास, औरंगाबाद, कैमूर जिलों में नहींहै। एनएबीएल और आईसीएमआर द्वारा एनएमसीएच के इस माइक्रोबायोलाजी लैबोट्री को ही पहले ही मान्यता प्राप्त हो चुकी है।
रिपोर्ट, तस्वीर : भूपेंद्रनारायण सिंह, पीआरओ, एनएमसीएच
निवर्तमान जिला शिक्षा पदाधिकारी को विदाई
सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की रोहतास जिला इकाई की ओर से संतपाल स्कूल सभागार में निवर्तमान जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रेमचंद के सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए प्रेमचंद ने कहा कि बेहतर शिक्षा की दिशा में निजी विद्यालयों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने एसोसिएशन की ओर से अभिभावकों द्वारा स्कूल फीस का भुगतान नहींकरने के भ्रम पर कहा कि इस तरह का आदेश सरकार की ओर से नहींहै। आरंभ में एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री डा. एसपी वर्मा ने जिला शिक्षा पदाधिकारी के रूप में प्रेमचंद की भूमिका के बारे में जानकारी दी। रोहतास जिला अध्यक्ष रोहित वर्मा ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। इस मौके पर एसोसिएशन के रोहतास जिला उपाध्यक्ष सुभाष कुमार कुशवाहा, सचिव समरेंद्र कुमार समीर, सह-सचिव संग्राम कांत, महामंत्री अनिल कुमार शर्मा, सुनील कुमार, संजय त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष कुमार विकास प्रकाश, संयोजक धनेन्द्र कुमार, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी दुर्गेश पटेल, जिला इकाई के अन्य पदाधिकारी के साथ मीडिया प्रभारी अर्जुन कुमार मौजूद थे।
संतपाल स्कूल का विशेष एंड्रायड मोबाइल ऐप
संतपाल सीनियर सेकेेंड्री स्कूल के अध्यक्ष डा. एसपी वर्मा ने क्लाउड सर्वर आधारित संतपाल स्कूल का विशेष एंड्रायड मोबाइल ऐप का पब्लिश बटन दबाकर आरंभ 09 जुलाई को किया। इस मौके पर मौजूद विद्यालय के शिक्षकों को संबोधित करते हुए बताया कि लाकडाउन की अवधि में सूचना तकनीक के इस गुर का महत्व काफी अधिक बढ़ गया है, जिसका बहुआयामी उपयोग हो सकत है। विशेष मोबाइल ऐप के जरिये अभिभावक अपने विद्यार्थी का स्कूल रिकार्ड, उपस्थिति, होमवर्क, अवकाश सूची, स्कूल से भेजी गई नोटिस, रिजल्ट आदि देख सकते हैं। स्कूल के प्रबंधक रोहित वर्मा ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि यह ऐप अभिभावकों, विद्यार्थियों, शिक्षकों और स्कूल स्टाफ के उपयोग के हिसाब से ही बनाया गया है।
रिपोर्ट, तस्वीर : अर्जुन कुमार