पटना (कार्यालय प्रतिनिधि)। साहित्य के साथ-साथ कला के प्रति समर्पण बहुत कम लोगों में देखा गया है। चित्रकला के प्रति अभिरुचि होना और उसके प्रति समर्पित होकर चित्रकला को अपने जीवन का एक अंग बनाना, दोनों अलग-अलग बातें हैं। लेकिन हमारे इस चित्रकला एवं संगीत पाठशाला सह कार्यशाला में प्रस्तुत की गई नए पुराने कलाकारों की कलाकृतियों में न सिर्फ रंगों की खूबसूरती है बल्कि रेखाओं की अद्भुत अभिव्यक्ति भी परिलक्षित है।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वधान में फेसबुक पेज अवसर साहित्य यात्रा पर ऑनलाइन साहित्य पाठशाला के 49वें एपिसोड के संयोजक सिद्धेश्वर ने संचालन के क्रम में उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि कई नए रचनाकार इस पाठशाला में शामिल हो रहे हैं और लाभ उठा रहे हैं।
इस कार्यक्रम में विज्ञान व्रत, मिथिलेश कुमार, संजय राय, शशि भूषण भदोही, सुमन कुमार, रश्मि लहर, सिद्धेश्वर, डॉ. पूनम श्रेयसी, एस कुमार, रतन वर्मा राज, राज प्रिया रानी, अनिता रश्मि, अर्चना खंडेलवाल, दिनेश कौशल, सीमा डांस, कुमारी स्मिता, अन्वी अनंता आदि ने संगीतमय प्रस्तुति एवं चित्रकला की प्रस्तुति पर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त किया।
विख्यात चित्रकार एवं शायर विज्ञान व्रत ने कहा कि पूनम श्रेयसी जी की लगभग सभी कलाकृतियों में चटख रंगों का बेहतरीन संयोजन है। मिथिलेश कुमार की कलाकृतियों में असीम संभावनाएं हैं। इस मंच पर प्रस्तुत सभी कलाकृतियां रचनात्मकता का प्रधान्य है। सिद्धेश्वर जी वास्तव में इस अनुष्ठान के मूल सूत्रधार तथा बधाई के अधिकारी भी।
प्रभारी राज प्रिया रानी ने कहा कि इस मंच पर बाल कलाकार भी अपनी कलाकृतियों से हमें आकर्षित कर रहे हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि विज्ञान व्रत जैसे महान कलाकार इसकी अध्यक्षता कर रहे हैं। अधिकांश कलाकारों की कलाकृतियां अद्भुत है और उनकी कल्पना शक्ति को नमन।
संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा कि बिना प्रशिक्षण प्राप्त किये लोगों की एक से बढ़कर एक कलाकृतियां इस पटल के माध्यम से हमारे सामने आ रही है। संजय राय की कलाकृतियां सबसे अलग और विशिष्ट है। तो वहीं मिथिलेश कुमार की कलाकृतियों में रंगों का अद्भुत संयोजन है। पूनम श्रेयसी भी रंगों का बेहतर प्रयोग करने लगी है।
चर्चित चित्रकार संजय रॉय ने कहा कि इस पटल पर प्रस्तुत की गई कलाकृतियों को देखकर लगता है कि गतिशील रेखाओं का समृद्ध संसार है। एस कुमार ने कहा कि साहित्य भी एक मधुर संगीत के समान है, समझिए और गाइये। संतोष मालवीय ने कहा कि सभी कलाकृतियां कुछ न कुछ अपना भावपक्ष स्थापित करती है। सिद्धेश्वर जी की कूची को नमन। बिहारी लाल प्रवीण ने कहा कमाल के रेखाचित्र है विज्ञान व्रत। वही संजय राय के कलाकृति भी अद्भुत है। सीमा रानी ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक कलाकार भी है। शशि भूषण भदोही ने कहा कि विज्ञान व्रत एवं मिथिलेश कुमार जी की कलाकृतियां बेहतरीन लगी। साथ ही सिद्धेश्वर की कलाकृतियां भी अद्भुत और आकर्षक है। दिनेश कौशल जी के बनाए पोर्ट्रेट बेहतरीन लगे।
महीने के प्रथम सप्ताह सोमवार से शनिवार तक अवसर साहित्य यात्रा पेज पर चलने वाली पाठशाला सह कार्यशाला का समापन रविवार को गूगल मीट के माध्यम से फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर संगीत एवं चित्रकला सम्मेलन के साथ हुआ।
प्रस्तुति : बीना गुप्ता, जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना मोबाइल : 9234 760365