सोनमाटी (प्रिंट एडीशन) के नए अंक में
1. संक्षिप्त संपादकीय टिप्पणी : निर्भया फंड, 2. सवाल : क्राइम, कुरीति का विस्तार क्यों (भूपेन्द्रनारायण सिंह/निशान्त राज), 3. प्रशान्त किशोर : बारगेन क्षमता और वजूद की चुनौती (समाचार विश्लेषण/कृष्ण किसलय), 4. कंपनी जज ने नहींमाना पुराना प्रस्ताव, नए को दी मंजूरी (कार्यालय प्रतिनिधि), 5. जयहिन्द : पहले बैलगाड़ी के जरिये होता था फिल्मों का प्रचार (सोनमाटी कंटेन्ट टीम, तस्वीर निशान्त राज), 6. उज्ज्वला : अब छह रसोई गैस सिलेंडरों की आपूर्ति नगद रहित (वाणिज्य प्रतिनिधि), 7. केरल जलप्रलय : ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन का कहर (नियमित स्तंभ प्रतिबिम्ब/कृष्ण किसलय), 8. प्राथमिक शिक्षा में गुणवत्ता का समायोजन बड़ी चुनौती (नियमित स्तंभ वातायन/दिल्ली से कौशलेन्द्र प्रपन्न), 9. एएसईआर : बच्चों की बुनियादी शिक्षा में चौंकाने वाला खुलासा (वातायन/डा.सरिता सिंह), 10. चर्च की दीवारों के भीतर घिनौनी काली करतूतें (देश-प्रदेश/मिथिलेश दीपक), 11. महात्मा गांधी ने भी जुटाया था केरल बाढ़ के लिए धन (सोनमाटी कन्टेन्ट टीम), 12. दाभोलकर और लंकेश की हत्या में एक ही कनेक्शन (सोनमाटी समाचार नेटवर्क), 13. भारत ने ही खोजा चांद पर पानी, अमेरिकी यान की अंतिम पुष्टि (देशान्तर विज्ञान टिप्पणी/कृष्ण किसलय), 14. ब्राजील में दिखी अमेजन जनजाति (देशान्तर/अवधेश कुमार सिंह), 15. विदेशी डाक्टर ने कहा मर्ज लाइलाज, मगर…, (सोन अंचल विशेष/उपेन्द्र कश्यप/साथ में निशान्त राज), 16. पिछले दिनों (अति संक्षिप्त समाचार सूचनाएं)।
सोनमाटी : एक वरिष्ठ संपादक की स्वत:स्फूर्त प्रतिक्रिया
वरिष्ठ संपादक मिथिलेशकुमार सिंह ने भारत के सोन अंचल (बिहार)केंद्रित सामाचाार-विचार वेब न्यूजपोर्टल सोनमाटीडाटकाम और सोनमाटी (प्रिंट एडीशन) के लिए वाट्सएप (9708778136) पर 14 सितम्बर हिन्दी दिवस की सुबह अपनी स्वत:स्फूर्त संक्षिप्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा- अच्छा निकाल रहे हैं। बधाई!
25.09.2018 को फिर वाह्टसएप संदेश
बहुत बढिय़ा। डिहरी जैसी छोटी-सी जगह से आप बड़ा काम कर रहे हैं। जोखिम भरा भी। ऐसा साहस करने के लिए जिगरा चाहिए,आदमकद जिगरा। हिन्दी पत्रकारिता आने वाले दिनों में आप जैसों के लिए अपने सफे पर जगह जरूर बचा कर रखेगी।
-मिथिलेश कुमार सिंह (फिलहाल इंडेपेंडेंट मेल, भोपाल में)
मिथिलेशकुमार सिंह पटना (बिहार) में नवभारत टाइम्स की अग्रणी संपादकीय टीम के सदस्य और पिछले वर्षों राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय संपादक रह चुके हैं। दृष्टि और प्रस्तुति का बेहतर ज्ञान रखने वाले संपादक से अलग भी लालित्य के साथ संवेदना की धार को धारण और शब्दों का जीवंत शिल्पांकन करने वाला एक सक्षम लेखक भी हैं। इस बात के दर्शन सोशल मीडिया (फेसबुक, वाह्टसएप) के दर्शक-पाठक मिथिलेशकुमार सिंह की पोस्ट में करते भी रहे हैं।