पटना/दाउदनगर ( विशेष संवाददाता)। बिहार वैश्य अभियन्ता फोरम द्वारा राजधानी में औरंगाबाद जिले को दो खास शख्सियतों के कारण सार्वजनिक सम्मान मिला। पटना के चैम्बर्स आफ कामर्स के सभागार में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वींजयंती वर्ष पर आयोजित समारोह में पूर्व विधायक और चर्चित साहित्यकार महावीर प्रसाद अकेला को बिहार वैश्य रत्न सम्मान प्रदान किया गया और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए विद्या निकेतन विद्यालय समूह के सीएमडी सुरेश कुमार गुप्ता को सम्मानित किया गया। समारोह की अध्यक्षता बिहार वैश्य अभियन्ता फोरम के प्रदेश अध्यक्ष इ. सुन्दर साहू ने की। महावीर प्रसाद अकेला ने इस समारोह का बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन किया।
उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है सम्मान
इस अवसर पर बिहार वैश्य अभियन्ता फोरम के प्रदेश अध्यक्ष सुन्दर साहू ने बताया कि समाज को प्रेरित करने और आदर्श को स्थापित करने के उद्देश्य से ऐसे व्यक्ति को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने अपने कार्य क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया हो। महावीर बाबू ने तब समाज के वंचित तबके के लिए आवाज उठाई, जब कोई साहस नहीं कर पाता था। सुरेश कुमार गुप्ता ने उस वक्त छोटी जगह दाउदनगर में निजी शिक्षण संस्थान को अपनी बदौलत स्थापित कर लोगों में भरोसा पैदा किया, जब छोटी जगहों पर निजी शिक्षा का बेहतर स्वरूप सामने नहीं आया था।
विद्या निकेतन ग्रुप आफ स्कूल के सीईओ आनन्द प्रकाश और महावीर प्रसाद अकेला के पुत्र गौरव अकेला ने कहा कि यह सम्मान पूरे औरंगाबाद जिले और वैश्य समजा के लिए गौरव की बात है।
महावीर अकेला और सुरेश गुप्ता पर उपेन्द्र कश्यप का लेख
समारोह में वैश्य अभियंता फोरम द्वारा प्रकाशित स्मारिका (वैश्य सन्देश) का विमोचन किया गया, जिसमें सुरेश कुमार गुप्ता पर लेखक-पत्रकार उपेंद्र कश्यप द्वारा लेख लिखा गया है।
इस अवसर मासिक पत्रिका (वैश्य चेतना) के प्रकाशित प्रवेशांक का भी वितरण किया गया, जिसमें वैश्य चेतना समिति के गठन के उद्देश्य, इसके संचालन के संविधान आदि की जानकारी दी गई है। इस प्रवेशांक में एकमात्र लेख पूर्व विधायक, साहित्यकार महावीर प्रसाद अकेला पर है, जिसे उपेंद्र कश्यप ने लिखा है। इन्हें भी मंच पर माला पहनाकर सम्मान दिया गया।
राजनीति और साहित्य दोनों माध्यम से की समाजसेवा
महावीर प्रसाद अकेला : महावीर प्रसाद अकेला वैश्य समाज के धरोहर हैं। हालांकि उन्होंने वैश्य ही नहीं, बल्कि समाज के हाशिये पर खड़ी आबादी का 1970-80 के दशक में तब मुखर प्रतिनिधित्व किया था, जब सामन्तों-दबंगों के सामने मुखलाफत करने की हिम्मत नहीं होती थी। उन्होंने वंचित समाज को बुलन्द आवाज दी और साहित्य रचना की। राजनीति और साहित्य दोनों माध्यमों से समाज की सेवा की। इनकी लिखी पुस्तक (बोया पेड़ बबूल का) अपने दौर में बेहद चर्चित हुई थी, जिस पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगाकर प्रेस से सारी प्रतियां जब्त कर ली थी। श्री अकेला का जीवन-संघर्ष वैश्य समाज के लिए गौरव का विषय है।
पूरा न कर सके अपना सपना, अब डाक्टर-इंजीनियर बनाने की डाल रहे नींव
सुरेशकुमार गुप्ता : वैश्य समाज के सुरेश कुमार गुप्ता ने समाज में आधुनिक उपयोगी शिक्षा का नए तरह से अलख जगाकर जमाने को नई रोशनी दी है। इन्होंने अभावों में उठकर शिक्षा के क्षेत्र में अपना नाम प्रतिष्ठित किया है। वह अभाव के कारण डाक्टर बनने का अपना सपना पूरा नहीं कर सके थे। आज उनका शिक्षा संस्थान नई पीढ़ी को डॉक्टर, इंजीनियर बनाने के लिए उनकी शिक्षा की नींव मजबूत करने का कार्य कर रहा है। सुरेश कुमार गुप्ता ने औरंगाबाद जिले के दाउदनगर में 1979 में विद्या निकेतन की शुरुआत की। इसके बाद संस्कार विद्या और किड्ज वल्र्ड स्कूल बनाया। उनके परिश्रम, सर्मपण और सफलता पर सबसे बड़े हिन्दी अखबार दैनिक भास्कर ने अपने अभियान (एक जिद) के अंतर्गत इन्हें स्थान दिया।