सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी समाचार। माघ शुक्ल पंचमी को विद्या की अधिष्ठात्री मां सरस्वती का पूजन-वंदन महाकवि निराली की कविता के भाव में जगह-जगह और स्कूलों में संपन्न हुआ- नव नभ के वन विहग-वृंद को नव पर, नव स्वर दे…वर दे, वीणावादिनि वर दे! सासाराम में सिविल लाइन्स स्थित संतपाल सीनियर सेकेेंडरी स्कूल के सभागार में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सरस्वती की आदमकद प्रतिमा स्थापित कर संतपाल स्कूल में पूजा-अर्चना की गई। विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ विद्यालय के अध्यक्ष डा. एसपी वर्मा, सचिव वीणा वर्मा, प्रबंधक रोहित वर्मा, प्राचार्य आराधना वर्मा और न्यासी सदस्य ऋतु वर्मा के साथ विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने पूजा समारोह में भाग लिया।
रोहित वर्मा को जनकल्याण कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय लीडरशीप अवार्ड
सासाराम संतपाल स्कूल के प्रबंधक और लायंस क्लब आफ सासाराम के अध्यक्ष रोहित वर्मा को सत्र 2017-18 में जन कल्याणकारी कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय लीडरशीप अवार्ड से सम्मानित करते हुए मेडल और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया है। लीडरशीप अवार्ड लायंस क्लब के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश अग्रवाल की ओर से दिया गया। रोहित वर्मा ने इसका श्रेय अपने पिता संतपाल स्कूल के अध्यक्ष और लायंस क्लब (322-ए) के पूर्व जिलापाल एस पी वर्मा और मां वीणा वर्मा को दिया है।
डीपीएस स्कूल में पुरस्कार वितरण
सासाराम के डीपीएस स्कूल में सरस्वती पूजा-अर्चना का कार्यक्रम हुआ और इस अवसर पर विद्यालय के संरक्षक राम प्रसाद ने वरिष्ठ शिक्षक बबन सिंह सहित र्वािर्षक उत्सव में अग्रणी स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया।
(रिपोर्ट और तस्वीर : अर्जुन कुमार)
कैमूर के महापाषण स्थल पर डा.तिवारी ने प्रस्तुत किया खोज-आलेख
पटना (विशेष प्रतिनिधि)। बिहार सरकार के कला संस्कृति और युवा विभाग की ओर से पटना संग्राहलय के सभागार में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में इतिहास और पुरातत्व में नए खोजों और चिह्नित किए गए पुरास्थलों से संबंधित शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। आकाशवाणी सासाराम के पुस्तकालयाध्यक्ष डा. श्यामसुंदर तिवारी ने भी अपना आलेख (बिहार की कैैंमूर पहाड़ी की पाषाणकालीन समाधी और जनजातीय संस्कृति) इस सेमिनार में प्रस्तुत किया। सेमिनार का आयोजन दिल्ली की पुरा तत्वों की खोज में संलग्न दिल्ली की संस्थाओं इंडियन आर्कियोलाजिकल सोसाइटी, हिस्टी एंड कल्चर सोसाइटी और पुणे की संस्था प्री-हिस्टोरिक एंड क्वार्टरनरी स्टडीज के सहयोग से किया गया। डा. श्यामसुंदर तिवारी ने कैमूर के दो महापाषण स्थलों रोहतासगढ़ और हुरमेटा को चिह्निïत किया है, जिनके बारे में उन्होंने जानकारी दी। इससे इस बात पर भी रोशनी पड़ी है कि बिहार में भी मेगालिथ (महापाषाण) संस्कृति के स्थल हैं। रोहतासगढ़ के महापाषण-स्थल को उन्होंने 22 फरवरी 2016 को चिह्निïत किया था और हुरमेटा के महापाषण-स्थल को 25 नवम्बर 2018 को। डा. श्यामसुंदर तिवारी का इससे संबंधित शोधपत्र काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान की पत्रिका (प्रज्ञा-20) के लिए स्वीकृत है। अब यह आवश्यक हो गया है कि दोनों स्थलों का उत्खनन कराया जाए और पुराविज्ञान की दृष्टि से इस पर अंतिम मुहर लगे, क्योंकि उत्खनन-कार्य की अनुमति पुरातत्व विभाग के अधिकारी या प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर को ही मिलती है।