उम्मीदवारी : सियासत के समंदर में तैरकर निकल आए सत्यनारायण, अब जीत के लिए जम्हूरियत की जंग की तैयारी !

—0 त्वरित टिप्पणी 0—
-कृष्ण किसलय, समूह संपादक. सोनमाटी मीडिया ग्रुप

अंतत: महीनों के मंथन के बाद इन्तजार खत्म हुआ और सियासत के समन्दर में तैरकर सत्यनारायण सिंह यादव किनारे तक आ निकलने में सफल रहे। लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार के रोहतास जिला अंतर्गत डिहरी विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर चीर-प्रतीक्षित जिज्ञासा बनी हुई थी कि उम्मीदवार आखिर कौन? विभिन्न स्तरों पर सभी घटक दलों और फिर उनके अपने-अपने गुटों के लगातार दबाव के कारण प्रत्याशी के नाम की घोषणा का खिंचता हुआ सियासी मंजर उबाऊ हो चला था। क्योंकि, नामांकन अवधि के भी दो दिन गुजर चुके थे और पूर्व मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन के अलकतरा घोटाला में सजायाफ्ता होने से विधानसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल उनके बेटा फिरोज हुसैन को प्रत्याशी घोषित कर चुका था, जो महीनों पहले क्षेत्र में प्रचार में जुट गए थे।

पहले दावेदारी को लेकर चर्चा चलती रही कि कौन नेता कितना दमदार, कितना मुआफिक होगा? फिर इस बात के अनुमान का दौर चला कि सीट आखिर एनडीए के किस घटक को जाएगी, भाजपा, जदयू या लोजपा? जब यह भी तय हो गया कि उपचुनाव की यह सीट भाजपा को जाएगी, तब प्रत्याशी को लेकर सस्पेंस कायम रहा। क्योंकि, ओबरा (औरंगाबाद) के पूर्व विधायक सत्यनारायण सिंह यादव, नोखा (रोहतास) के पूर्व विधायक राष्ट्रीय फलक के भाजपा नेता रामेश्वर चौरसिया, भाजपा के व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश नेता बबल कश्यप के साथ राजपूत समुदाय से भी दावेदारी प्रबल थी। अंतिम दौर में भाजपा ने तय किया कि उम्मीदवार यादव या वैश्य समुदाय का होगा। गुणा-भाग, फेर-बदल, गणना-परिकल्पना, अनिर्णय-निर्णय के बाद आखिरकार सत्यनारायण सिंह यादव के नाम पर अंतिम सहमति कायम हुई।

हालांकि एक सप्ताह पहले ही पार्टी की प्रबल सहमति रामेश्वर चौरसिया के नाम पर आकर ठहर गई थी, मगर सत्यनारायण सिंह यादव के नाम पर भाजपा के एक गुट के अडिग रुख के कारण चौरसिया के नाम की घोषणा रोक लेनी पड़ी। इस गुट का तर्क था कि अभी तक डिहरी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा या एनडीए के राजपूत, कुशवाहा, वैश्य समुदाय के उम्मीदवार को सफलता हासिल नहीं हुई है, इसलिए डेढ़ साल के लिए होने वाले इस उपचुनाव में सत्यनारायण सिंह यादव को मैदान में उतारने का नया प्रयोग करना चाहिए और परिणाम देखा जाना चाहिए। यह आशंका भी रखी गई थी कि यदि राजपूत या बाहर का उम्मीदवार चुनाव के मैदान में होगा तो मतदाता, खासकर वैश्य समुदाय, निर्दलीय (राष्ट्र सेवा दल) उम्मीदवार प्रदीप कुमार जोशी के पक्ष में जा सकता है, जैसाकि पहले 2005 में हो चुका है। जबकि भाजपा के चौरसिया समर्थक गुट ने तर्क दिया था कि वैश्य समुदाय के रामेश्वर चौरसिया की छवि दागदार नहीं होने और चेहरा नया होने की वजह से पार्टी के वरिष्ठ नेता-कार्यकर्ताओं का चुनाव-प्रचार सामंजस्य बेहतर होगा।

बहरहाल, सत्यनारायण यादव के लिए भाजपा संगठन के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव के साथ प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय और केंद्रीय राज्य मंत्री रामकृपाल यादव का अंतरदबाव भाजपा के प्रदेश नेतृत्व और राष्ट्रीय संगठन पर था। अब एनडीए द्वारा डिहरी विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के प्रत्याशी की घोषणा के बाद तरह-तरह की चर्चाओं-कयासों का दौर समाप्त हो चुका है और एनडीए को जम्हूरियत की जंग की जीतने के लिए जीत के लिए अपनी मुकम्मल तैयारी करनी है। इसके साथ ही डिहरी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं को तय करना है कि उन्हें कोई ढाई दशक पहले अलकतरा घोटाला करने के बावजूद जातीय समीकरण और जुगाड़ के आधार पर सत्ता में बने रहने वाले सजायाफ्ता मोहम्मद इलियास हुसैन के ही उत्तराधिकारी को चुनना है या अन्य चेहरों में से अपेक्षित, अनुकूल उम्मीदवार को ? डिहरी विधानसभा क्षेत्र के चुनाव मैदान में तीन मजबूत चेहरे हैं- पूर्व विधायक सत्यनारायण सिंह यादव, राजद के फिरोज हुसैन और राष्ट्रसेवा दल के प्रदीप जोशी। जाहिर है, मुकाबला मुख्य तौर पर त्रिकोणीय है। इनके अलावा परिचित चेहरों में भाकपा के ब्रजमोहन सिंह (पूर्व बैंक प्रबंधक) के साथ अन्य संगठनों-दलों के प्रत्याशी भी अपने पारंपरिक कैडर मतों के बूते राजनीतिक शक्ति-प्रदर्शन के लिए मैदान में हुंकार भर रहे हैं। प्रख्यात स्वाधीनता सेनानी और कांग्रेस के दिग्गज नेता मरहूम अब्दुल क्यूम अंसारी के पोता तनवीर अंसारी (बिहार मोमिन कान्फ्रेन्स क्यू. के प्रदेश अध्यक्ष) भी सियासत की शिखर विरासत की बदौलत और विधानसभा क्षेत्र में अन्सारी बिरादरी के निर्णयकारी मतदाता संख्या के मद्देनजर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ऐलान-ए-जंग कर चुके हैं।

(तस्वीर संयोजन : निशांत राज)


-कृष्ण किसलय,

समूह संपादक,

सोनमाटी और सोनमाटीडाटकाम

 

  • Related Posts

    पत्रकार उपेंद्र कश्यप को मिला डाक्टरेट की मानद उपाधि

    दाउदनगर (औरंगाबाद) कार्यालय प्रतिनिधि। फोर्थ व्यूज व दैनिक जागरण के पत्रकार उपेंद्र कश्यप को ज्वलंत और सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने, सोन का शोक, आफत में बेजुबान, सड़क सुरक्षा और…

    टीबीटी 2024 अवार्ड के लिए नौ शिक्षकों को किया गया चयन

    दाउदनगर (औरंगाबाद ) कार्यालय प्रतिनिधि। जिले के सरकारी स्कूलों के नौ शिक्षकों का द बिहार टीचर्स-हिस्ट्री मेकर्स टीबीटी के द्वारा राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान के लिए चयन किया गया है।…

    One thought on “उम्मीदवारी : सियासत के समंदर में तैरकर निकल आए सत्यनारायण, अब जीत के लिए जम्हूरियत की जंग की तैयारी !

    1. सराहनीय,संपूर्ण जानकारी के साथ ।सहृदय धन्यवाद।

    2. सियासतदानों के चंगुल में फँसी लोकशाही जाति और वर्ण की चेरी बनके इठला रही है पत्रकारों की व्याख्या भी उनके काम,चरित्र से ज्यादा जाति को मजबूत करने में लगी रहती है,कौन समझायेगा

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    कार्यालय और सामाजिक जीवन में तालमेल जरूरी : महालेखाकार

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति और माटी से भी कसकर जुड़े रहना चाहिए : रामनाथ कोविन्द

    शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति और माटी से भी कसकर जुड़े रहना चाहिए : रामनाथ कोविन्द

    भारत के राष्ट्रपति जीएनएसयू के तृतीय दीक्षान्त समारोह में होंगे शामिल

    भारत के राष्ट्रपति जीएनएसयू के तृतीय दीक्षान्त समारोह में होंगे शामिल