‘शशिकमल’ पुस्तकालय सह संग्रहालय का उद्घाटन एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह

पटना-कार्यालय प्रतिनिधि। बिस्कुट फैक्ट्री रोड नासरीगंज, दीघा में चर्चित कवि साहित्यकार डॉ. शशि भूषण सिंह ने अपने आवास पर शशिकमल पुस्तकालय एवं संग्रहालय नाम से पुस्तकालय और संग्रहालय की स्थापन किया है। इस समारोह का उद्घाटन भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्मविभूषण डॉ. सी. पी. ठाकुर द्वारा किया गया।

शशिकमल पुस्तकालय एवं संग्रहालय’ का लोकार्पण करते हुए, पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एक पुस्तकालय अथवा संग्रहालय, विद्यालय की भाँति ही हमारी ज्ञान परंपरा के आधार हैं। इनसे एक दो नहीं, अनेकों लोग लाभान्वित होते हैं। ऐसी संस्थाओं की स्थापना और संचालन समाज की बड़ी सेवा है।
उन्होंने कहा कि पुस्तकालय के संस्थापक ने अपने आवास को ही इस रूप में विकसित कर प्रशंसनीय और अनुकरणीय कार्य किया है।

इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ.अनिल सुलभ ने कहा कि लोकार्पित पुस्तकालय और संग्रहालय के संस्थापक डॉ. शशि भूषण सिंह, जो सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता और एक बड़े लेखक भी हैं, ने अपने आवासीय परिसर को, इस कार्य के लिए अर्पित कर, समाज में लंबी अवधि तक दिया जाने वाला एक अत्यंत प्रणम्य अवदान दिया है। इस संग्रहालय में अनेक ऐसी दुर्लभ वस्तुएँ भी हैं, जो सबका ध्यान खींचती हैं। इनके संग्रह अनेक प्रकार से मूल्यवान हैं, जो पुस्तकों और परंपरा से भाग रही पीढ़ी को अपनी और खींचेंगे और ज्ञान से समृद्ध करेंगे।

इस अवसर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश प्राप्त अधिकारी और सुविख्यात कवि राम उपदेश सिंह ‘विदेह’ , झारखंड प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी तथा नगर परिषद दानापुर निजामत की अध्यक्ष शिल्पी कुमारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।समारोह में डॉ. शशि भूषण सिंह की दो पुस्तकों, “जरा मुस्कुराइए’ और ‘बरकत’ का भी लोकार्पण किया गया। मौके पर चर्चित साहित्यकार, कवि और चित्रकार सिद्धेश्वर एवं मधुरेश नारायण भी उपस्थित रहे l

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन ने श्रोताओं को साहित्य के रस में सराबोर कर दिया। मंच पर उपस्थित कवियों ने अपनी मर्मस्पर्शी और उत्साहजनक रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्य पाठ करने वाले कवियों में प्रमुख थे डॉ. भगवती प्रसाद द्विवेदी, डॉ. अनिल सुलभ, आराधना प्रसाद, रूबी भूषण, कमल किशोर वर्मा ब्रह्मानंद पांडेय, डॉ. सुनील कुमार उपाध्याय और इस अदने कवि/लेखक, सुनील कुमार ने भी अपने काव्यमय भाव प्रस्तुत किए।

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