पटना-कार्यालय प्रतिनिधि। सोशल मीडिया पर पत्र पत्रिकाएं आ जाने के कारण, पुस्तक पढ़ने की प्रवृत्तियां धीरे-धीरे कम होती जा रही है। बड़े-बड़े पुस्तकालय तक जाना तो और भी कठिन कार्य हो गया है, इस व्यस्त समय में व्यस्त व्यक्तियों के लिए। इस महीने से मोहल्ले मोहल्ले खुलने वाली निजी पुस्तकालय या छोटी-छोटी घरेलू पुस्तकालय का अपना अलग महत्व बढ़ता जा रहा है। मोहल्ले के साहित्य प्रेमियों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। और थोड़े समय निकालकर भी वे इसका उपयोग आसानी से कर रहे हैं। इसी क्रम में पटना के बिस्कुट फैक्ट्री रोड दीघा में चर्चित कवि साहित्यकार डॉ शशि भूषण सिंह ने अपने आवास पर शशि कमल पुस्तकालय एवं संग्रहालय नाम से पुस्तकालय और संग्रहालय की स्थापना आज किया है, जो निश्चित तौर पर स्वागत योग्य है। इस पुस्तकालय और संग्रहालय के उद्घाटन के समय सौभाग्य से मैं इसका साक्षी रहा। और मैं भी मन बना लिया कि अपनी 200 से अधिक पुस्तक यहां दान करूंगा।और कई पुरानी पत्र पत्रिकाओं को भी उपलब्ध कराऊंगा। मोहल्ले वाले के लिए आज का दिन यादगार दिन रहेगा जिनके लिए साहित्यिक पुस्तकें और पद पत्रिकाओं को पढ़ना आसान हो जाएगा।
नासरीगंज, दीघा, पटना के पुस्तक प्रेमियों के लिए एवं साहित्य और संस्कृति के लिहाज से एक ऐतिहासिक क्षण बन गया। डॉ. शशि भूषण सिंह, आई. ई. एस., सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता के आवास पर ‘शशिकमल’ पुस्तकालय सह संग्रहालय का भव्य उद्घाटन एवं उनकी दो नवीन पुस्तकों ‘बरकत’ और ‘जरा मुस्कुराइए’ का लोकार्पण समारोह सम्पन्न हुआ। यह आयोजन न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए अपितु समाज के व्यापक कल्याण के लिए एक प्रेरणास्पद पहल बन गया।
समारोह का उद्घाटन भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्मविभूषण डॉ. सी. पी. ठाकुर द्वारा किया गया। विशिष्ट अतिथियों में राम उपदेश सिंह ‘विदेह’, राज्य सरकार के पूर्व अधिकारी( भा.प्र.से.), प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह (कुलपति, झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय), डॉ. अनिल सुलभ (अध्यक्ष, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन) एवं लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी उपस्थित थे। कार्यक्रम के कुशल संचालन का भार गीतकार ब्रह्मानंद पांडेय ने संभाला। मौके पर चर्चित साहित्यकार, कवि और चित्रकार सिद्धेश्वर एवं मधुरेश नारायण भी उपस्थित रहे।
उद्घाटन के इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. सी. पी. ठाकुर एवं विशिष्ट अतिथियों ने डॉ. शशि भूषण सिंह के इस अनूठे प्रयास की मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने आज के डिजिटल युग में पुस्तकों के घटते महत्त्व पर चिंता प्रकट की और इसे पुनः जागृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। पुस्तकों के प्रति घटते आकर्षण को रोकने और समाज को शिक्षित एवं संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से इस पुस्तकालय का योगदान अमूल्य सिद्ध होगा।डॉ. शशि भूषण सिंह की दो नवीन कृतियां ‘बरकत’ और ‘जरा मुस्कुराइए’ साहित्य प्रेमियों के समक्ष प्रस्तुत की गईं। इन पुस्तकों को समाज और जीवन की विविध परिस्थितियों में सकारात्मक दृष्टिकोण को जागृत करने वाली प्रेरक रचनाओं के रूप में सराहा गया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन ने श्रोताओं को साहित्य के रस में सराबोर कर दिया। मंच पर उपस्थित कवियों ने अपनी मर्मस्पर्शी और उत्साहजनक रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्य पाठ करने वाले कवियों में प्रमुख थे डॉ. भगवती प्रसाद द्विवेदी, डॉ. अनिल सुलभ, आराधना प्रसाद, रूबी भूषण, कमल किशोर वर्मा ब्रह्मानंद पांडेय, डॉ. सुनील कुमार उपाध्याय और इस अदने कवि/लेखक, सुनील कुमार ने भी अपने काव्यमय भाव प्रस्तुत किए।
श्रोताओं की तालियों और उत्साहवर्धन ने कवियों के हृदय को पुलकित कर दिया। यह आयोजन न केवल साहित्य के प्रति समर्पण का उदाहरण बना बल्कि समाज के हर वर्ग को पुस्तकों और अध्ययन की ओर प्रेरित करने का संदेश भी देता है । ‘शशिकमल’ पुस्तकालय सह संग्रहालय आने वाले समय में साहित्यिक चेतना का एक उज्जवल केंद्र बनकर उभरेगा।