जनवरी में स्कूल नहीं खुले तो राज्यव्यापी आंदोलन/ संतपाल के विद्यार्थियों ने की जरूरतमंदों की मदद

दो जनवरी तक स्कूल खोलने का आदेश दे सरकार : डा. एसपी वर्मा

(डा. एसपी वर्मा)

सासाराम (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि निशान्त राज। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डा. एसपी वर्मा ने कहा है कि यदि राज्य सरकार ने दो जनवरी तक स्कूल खोलने का आदेश जारी नहींकिया तो राज्यव्यापी आंदोलन होगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले प्रदेश के सभी जिलों में निजी विद्यालयों के संचालकों के संगठन प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से सभी जिलों के समाहरणालयों के समक्ष सत्याग्रह कर जिलाधिकारी के माध्यम से राज्य सरकार को आठ सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा जा चुका है। इसस पहले सरकारों को निजी विद्यालयों की ओर से दो लाख ई-मेल भेजे गए थे। डा. वर्मा ने प्रेस कांफ्रेेंस में बताया कि राज्य सरकार केेंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद निर्णय नहींकर पाई है। दुकान, धार्मिकस्थल, यातायात सब खुल गए हैं। फिर स्कूलों के साथ न्याय क्यों नहीं? राज्य सरकार के रुख को लेकर सवाल खड़ा किया और कहा राज्य सरकार का व्यवहार निजी विद्यालयों के साथ सौतेलापन का है। राज्य सरकार की अनिर्णय की स्थिति स्कूल ही नहीं, विद्यार्थियों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। प्रेस कान्फ्रेंस में प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के रोहतास जिला के अध्यक्ष रोहित वर्मा, उपाध्यक्ष सुभाष कुमार कुशवाहा, सचिव समरेंद्र कुमार समीर, सह सचिव संग्राम कांत, महामंत्री अनिल कुमार शर्मा सुनील कुमार, संजय त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष कुमार विकास प्रकाश, संयोजक धनेन्द्र कुमार, जनसंपर्क पदाधिकारी दुर्गेश पटेल आदि के साथ डिहरी प्रखंड अध्यक्ष अरविंद भारती, सासाराम प्रखंड अध्यक्ष तेजनारायण पटेल के साथ अन्य प्रखंड अध्यक्ष भी मौजूद थे।

आठ सूत्री मांग में है राहत पैकेज की घोषणा करने की गुहार भी :

(प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन का प्रेस कान्फ्रेंस)

एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव डा. एसवी वर्मा ने कहा कि कोविड-19 के कारण बंद निजी स्कूलों के संचालकों की आर्थिक रीढ़ टूट चुकी है। राज्य सरकार की ओर से स्कूलों के भौतिक संचालन की घोषणा की प्रतीक्षा अब असहनीय हो गई है। स्कूलों के प्रबंधक, शिक्षक, कर्मचारी अत्यंत मानसिक तनाव में हैं। लाखों शिक्षक-कर्मचारी स्कूल खुलने की प्रत्याशा में बेरोजगार हैं और उनके परिवार भुखमरी के शिकार बन गए हैं। केंद्र सरकार ने विद्यालयों को खोलने से संबंधित दिशा-निर्देश राज्य सरकारों को दिया है। राज्य सरकार की ओर से निर्णय नहीं होने की वजह से अभिभावकों और विद्यालयों के बीच तनाव की स्थिति है। मार्च से निजी विद्यालय बंद है। स्कूलों पर वेतन के अलावा भवन ऋण, किराया, बैंक ऋण-ब्याज, गाडिय़ों की किस्त, बीमा किस्त, व्यावसायिक टैक्स, मेन्टेन्स आदि मासिक खर्चों का बोझ लगातार भारी होता जा रहा है। आय का अभाव है। ऊपरी कक्षाओं में आनलाइन पढ़ाई हो रही है और इससे जुड़े शिक्षक-शिक्षिकाओं-कर्मचारियों का वेतन तो भुगतान हो रहा है। फिर भी मोबाइल, लैपटाप या डेस्कटाप के जरिये आनलाइन कक्षा की चुनौतियां और सीमाएं हैं। निचली कक्षाओं के शिक्षक बड़े पैमाने पर बेरोजगार हैं। अभिभावकों की ओर से विद्यालयों को लगभग नहीं के जैसा शुल्क भुगतान होता रहा है। निजी विद्यालय दिवालिया होने के हालत तक पहुंच चुके हैं। कई वर्षों से शिक्षा के अधिकार के मद की राशि निजी विद्यालयों को नहीं दी गई है। जबकि बीते वर्षों में निजी विद्यालयों ने सरकार की शिक्षा निति के अनुसार गरीब विद्यार्थियों को शिक्षण देने का कार्य किया है। सरकार इस मद की राशि भी निजी विद्यालयों को भुगतान कर दे तो थोड़ी राहत मिल सकती है। डा. वर्मा ने कहा कि एसोसिएशन की मांग है कि सरकार विभिन्न टैक्स, बैंक ब्याज, बीमा किस्त, भवन किराया माफ करने का आदेश जारी करे और विद्यालयों की पुनस्र्थापना, राज्यभर में लाखों शिक्षक-शिक्षिकाओं-कर्मचारियों के लिए उचित राहत पैकेज की घोषणा करे। राज्य सरकार आदेश पर सरकारी परीक्षाओं के लिए निजी विद्यालय भवनों के उपयोग करने पर किराया भी भुगतान करे, जो अब तक निशुल्क होता रहा है।

संतपाल के विद्यार्थियों ने जरूरतमंदों में बांटा कंबल

सासाराम (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। संतपाल सीनियर सेकेेंड्री स्कूल के विद्यार्थियों ने स्टेशन परिसर, महावीर मंदिर, सिविल लाइंस आदि इलाके की सड़कों के किनारे जरूरतमंदों के बीच कंबल का वितरण किया। विद्यालय के अध्यक्ष डा. एसपी वर्मा, सचिव वीणा वर्मा, प्रबंधक रोहित वर्मा, प्राचार्या अराधना वर्मा ने विद्यालय के प्रतिनिधि शिक्षकों के साथ विद्यार्थियों को कंबल वितरण कार्यक्रम के लिए रवाना किया। डा. एसपी वर्मा के अनुसार, विद्यालय के छात्र-छात्राएं पिछले कई सालों में अपने-आप में चंदा कर इस कार्य के लिए धन संग्रह करते रहे हैं और जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण करते रहे हैं। इस तरह का कार्य विद्यार्थियों में मदद की भावना का विकास करता है और यह सिखाता है कि समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति की मदद करना ही सक्षम व्यक्तियों के लिए धर्म है।

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