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जयहिन्द : प्रधानमंत्री नहीं आएं, इसके लिए लगाया गया था पूरा जोर !

बिहार में सोन नद पर बसे इस नदी तट के सबसे बड़े शहर डेहरी-आन-सोन के अपनी व्यवस्था व खूबसूरती के लिए प्रदेश के सिनेमाघरों में प्रसिद्ध रहे जयहिन्द के परिसर में अपनी पंजीकृत कार्यालय वाली नगर विकास समिति का गठन वर्ष 1984 में किया गया था, जिसके अध्यक्ष बिहार के पूर्व उद्योग मंत्री विपिनविहारी सिन्हा और महासचिव जयहिन्द के मालिक विश्वनाथ प्रसाद सरावगी बनाए गए थे। इस संस्था की सार्वजनिक प्रशंसा विधानसभा अध्यक्ष गुलाम सरवर ने की थी। विपिनविहारी सिन्हा और विश्वनाथ प्रसाद सरावगी दोनों ही देश की आजादी के बाद चर्चित क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी एवं एशिया प्रसिद्ध औद्योगिक परिसर डालमियानगर के प्रख्यात समाजवादी श्रमिक नेता बसावन सिन्हा के साथ प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में सक्रिय रहे। दोनों समाजवादी जुड़ाव के कारण ही प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के करीब आए।
1980 मेें पहली बार विधायक बने इलियास हुसैन, प्रबल दावेदारों से रहते थे सशंकित

डेहरी विधानसभा क्षेत्र पर आजादी के बाद बसावन सिन्हा और फिर प्रसिद्ध राष्ट्रीय मोमिन नेता अब्दुल क्युम अंसारी (कांग्रेस पार्टी) का वर्चस्व कायम हुआ। 1977 में गैर कांग्रेसी दल जनता पार्टी की आंधी चली तो उसमें बसावन सिन्हा की फिर जीत हासिल हुई और वे बिहार सरकार मेें श्रम मंत्री बने। उनकी मृत्यु के बाद गैर कांग्रेस राजनीति में सक्रिय इलियास हुसैन 1980 में डेहरी विधानसभाक्षेत्र से पहली बार विधायक बने। इलियास हुसैन को आशंका रहती थी कि दोनों समाजवादी विपिन विहारी सिन्हा और विश्वनाथ प्रसाद सरावगी में कोई टिकट का प्रबल दावेदार न हो जाए। इसलिए वह इनका आंतरिक राजनीतिक विरोध करते थे। यही वजह था कि नगर विकास समिति की ओर से विधानससभा अध्यक्ष गुलाम सरवर द्वारा थाना चौक का नाम बसावन चौक रखने की घोषणा के बावजूद 1990 में पथ निर्माण मंत्री बने इलियास हुसैन ने विवादास्पद अभियुक्त दारोगा यादव के नाम पर दारोगा चौक रखने की घोषणा की। नगर विकास समिति की जिस बैठक में थाना चौक का नाम बसावन चौक रखने का फैसला लिया गया था, उसमें अनुमंडल अधिकारी, पथनिर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता मौजूद थे। नगर विकास समिति रोहतास जिले की पहली ऐसी स्वयंसेवी संस्था रही, जिसने बिना किसी सरकारी सहायता के तीन दशक पहले 10 लाख रुपये से अधिक का रचनात्मक कार्य किया था। डिहरी थाना चौक पर वैपर लैम्प के साथ पुलिस पोस्ट नगर विकास समिति ने बनाया था। हालांकि बाद में बिहार सरकार के मंत्री तुलसी सिंह ने थाना चौक का नाम कर्पूरी ठाकुर चौक रखने की घोषणा की। और, फिर भाजपा की ओर से भी इसका नाम बदलकर पं. दीनदयाल चौक रखने की पेशकश सामने आई।

प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पहुंचे थे जयहिन्द के आवासीय परिसर में
जब चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने, उन्होंने तब डेहरी-आन-सोन में विश्वनाथ प्रसाद सरावगी के घर (जयहिन्द परिसर) संक्षिप्त व्यक्तिगत दौरे का कार्यक्रम तय किया। विधि-व्यवस्था के मद्देनजर जिला प्रशासन का मानना था कि प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की व्यक्तिगत यात्रा सुरक्षा के अनुकूल नहींहोगी, लेकिन तीन दिन पहले प्रधानमंत्री के एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) की टीम आई और विश्वनाथ प्रसाद सरावगी को बता गई कि प्रधानमंत्री का आना तय है। एसपीजी ने सुरक्षा की दृष्टि जयहिंद परिसर के आवास का हर कोना देखा और अपनी संबंधित तैयारी की थी। चंद्रशेखर के साथ कांग्रेस के मौजूदा वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी साथ में थे। जयहिन्द आवासीय परिसर में खाना खाने के बाद दोनों राजनेता डालमियानगर स्थित प्रो. अशोककुमार सिंह (जवाहरलाल नेहरू कालेज, डेहरी-आन-सोन) के घर चाय पीने भी गए थे। विश्वनाथ प्रसाद सरावगी बताते हैं कि वह (श्री सरावगी) प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत आगमन का कहीं राजनीतिक लाभ नले लूं, इसके प्रतिरोध में जिला प्रशासन की ओर से दबाव बनाया गया और अंतत: यह बताया गया कि प्रधानमंत्री के आने पर घर के अंदर बाहरी सिर्फ 12 लोगों के ही आने की इजाजत होगी। जिला प्रशासन का रुख ऐसा क्यों था, इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं। फिर भी राज्य सरकार में इलियास हुसैन के होने का दबाव वजह मानी जा रही थी। हालांकि इलियास हुसैन सामने या सतह पर नहींथे, मगर इस आशंका का खुलासा चंद्रशेखर ने विश्वनाथ प्रसाद सरावगी से किया था।
(बिहार के अग्रणी सिनेमाघरों में एक रहे जयहिन्द टाकिज के मालिक विश्वनाथ प्रसाद सरावगी से बातचीत पर आधारित)

प्रस्तुति : कृष्ण किसलय, तस्वीर : निशान्त राज

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