सोम प्रकाश बिहार के ऐसे शख्स हैं, जो व्यवस्था से विद्रोह कर दारोगा की सरकारी और दबदबे वाली नौकरी छोड़ सियासत के दुर्घष पथ पर 2010 में निहत्थे कूद पड़े थे। निहत्थे से आशय यह है कि संगठित, दलगत राजनीति के मुकाबले उनका राजनीतिक युद्ध बिना किसी दलीय शक्ति या विचारधारा रहित निर्दलीय योद्धा का था। उनकी शक्ति थी, जनता से स्थानीय जुड़ाव और नौकरी में रहते हुए बिहार के सोन अंचल के पिछड़े इलाके में शिक्षा विस्तार की ज्योति जलाने वाले समाजसेवक जैसी छवि।
तब वह बिहार के औरंगाबाद जिले के ओबरा में थानाध्यक्ष थे। एक अपहरण कांड में अपने थाना क्षेत्र के शराब-बालू माफिया को गिरफ्तार करने के कारण उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया था। जाहिर है कि पुलिस की निश्चित और पदोन्नति की संभावनाशील नौकरी छोड़कर राजनीति का अनिश्चित कंटीला मार्ग अख्यितार करना सियासत व नौकरशाही की गठजोड़ के विरुद्ध जंग का ऐलान ही था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अंडर करंट के बावजूद वे निर्दलीय विधायक के रूप में विजयी हुए थे। इनकी जीत के बाद हैदराबाद नेशनल पुलिस अकादमी ने इस कारण की पड़ताल करने की कोशिश की थी कि किस कार्य, आचरण या व्यवहार से सोम प्रकाश पुलसिया छवि के बावजूद जनता में लोकप्रिय हुए थे। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में सोम प्रकाश चुनाव जीत नहींसके। वह फिर चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं और स्वराज पार्टी (लो.) के बैनर तले अपने संगठन को विस्तार देने में जुटे हुए हैं। इसी क्रम में उन्होंने रोहतास जिले के नासरीगंज हाई स्कूल परिसर में युवाओं की बड़ी बैठक की।
डेहरी-आन-सोन, बिहार (सोनमाटी समाचार)। स्वराज पार्टी (लो.) के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक सोम प्रकाश ने जिधर जवानी चलती है, इतिहास उधर ही बढ़ता है के नारे मंत्र की भावना के साथ समाज युवाओं से राजनीति में सक्रिय होने और इसे अपंग होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि चाहे देश के स्वाधीनता का संग्राम हो या आपातकाल का राष्ट्रव्यापी संघर्ष, इतिहास इस बात का गवाह है कि अगर युवा वर्ग का व्यापक जुड़ाव नहीं होता तो देश की आजादी और लोकतंत्र की पुनस्र्थापना के दोनों ही युद्ध सफल नहीं होते।
युवाओं की भागीदारी से दूर होगी राजनीतिक अपंगता
राजनीति से युवाओं के दुराव की भावना रखने और इसे समाज सेवा की भावना से अलग एक तरह के कारोबार समझने के कारण ही देश की राजनीति पंगु हो गई है। राजनीति की अपंगता को युवाओं की सक्रिय भागीदारी ही दूर कर सकती है और युवाओं की समर्पित हिस्सेदारी से ही राजनीति समाज के कमजोर तबके की खुशहाली का साधन बन सकती है। आज देश की प्रगति स्वाधीनात संग्राम में अपने को होम कर देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की कल्पना से अलग उस रास्ते पर चल पड़ी है, जहां संत्ता और सत्ता का लाभ चंद लोगों की मुट्ठियों में कैद होता जा रहा है। जबकि देश में राजशाही से मुक्त लोकतंत्र की स्थापना इसीलिए हुई थी कि विकास का चिराग सभी घरों को मयस्सर होगा। मगर ऐसा इसलिए नहींहो सका कि पिछले दशकों में देश का आम युवा राजनीति के प्रति उदासीन रहा है और राजनीति को चंद लोगों का कारोबार मान लिया। जाहिर है कि युवा वर्ग के आगे बढऩे से ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देशबंधु चितरंजन दास के सपनों के भारत को साकार किया जा सकता है।
सोम प्रकाश रोहतास जिले के नासरीगंज में उच्च विद्यालय परिसर में युवाओं की बड़ी बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक को संबोधित करने वाले स्वराज पार्टी (लो.) के पदाधिकारियों और अन्य वक्ताओं ने भी राजनीति में युवाओं की भूमिका के बारे अपने विचार रखे। इस सभा में बड़ी संख्या ग्रामीण इलाके के युवक उपस्थित थे।
प्रखंड समिति का गठन
बैठक में स्वराज पार्टी की 27 सदस्यीय प्रखंड समिति का गठन किया गया, जिसमें धर्मेन्द्र कुमार सिंह अध्यक्ष, नीतीश कुमार, भोला कुमार, चंदन कुमार, प्रदीप कुमार व संतोष कुमार उपाध्यक्ष, रमेश कुमार सचिव, अमरेश कुमार, सोनू सौदागर, प्रमोद कुमार संगठन सचिव, अशोक सिंह, संजय कुमार यादव संयुक्त सचिव, राजेन्द्र प्रसाद सिंह कोषाध्यक्ष, रिंकू कुमार सह कोषाध्यक्ष और महेंद्र कुमार कार्यालय प्रभारी बनाए गए।
सोमप्रकाश जी के ब्यक्तित्व का मै कायल हूँ।