सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है   Click to listen highlighted text! सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है
राज्यसमाचारसोन अंचल

मां, मैं दहेज नहीं लूंगा

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता शशि कुमार ने मां को लिखा पत्र

समय लिखेगा इतिहास : बेशक शशि कुमार की ओर से मां के नाम लिखा गया पत्र स्वागत योग्य है। दरअसल, विवाह समारोह का शाही अंदाज और दिखावा ही दहेज के मूल में है। यही कारण है कि लोग अपेक्षाकृत मजबूत आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाली लड़कियों को तरजीह देते हैं। लड़की का पिता भी अपनी गाढ़ी कमाई से बेटी की शादी के लिए बचत इसलिए करता है कि वह कम-से-कम अपनी समकक्ष वाली स्थिति के परिवार में बेटी का विवाह कर सके, जिस स्थिति में अपनी बेटी को वह लालन-पालन कर चुका होता है। बीती सदियों और इस सदी के गुजरे सालों का भी अनुभव यही बताता है कि बेटे के घर का खर्च जो नहींउठा सकता, उसकी बेटी से शादी करने से मनाही करने की परिपाटी रही है।                                                                                                                                                                                       हालांकि जिसके पास संसाधन है और जो सामथ्र्यवान है, उसके लिए शादी-समारोह में खुलकर खर्च करना स्वाभाविक है, मगर आम तौर पर सामान्य परिवारों में प्रदर्शन पर ही जोर अधिक होता है। यह एक सामाजिक मनोविज्ञान से जुड़ी हुई बात भी है। इस दृष्टि से बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा अपने बेटे की शादी अत्यंत सादगीपूर्ण तरीके से करने की घोषणा उल्लेखनीय है। सामथ्र्य-शक्ति के रहते हुए भी प्रदर्शन नहींकरने का संयम अत्यंत साहसपूर्ण कदम है। ऐसा हुआ, जैसाकि उनकी घोषणा है तो उप मुख्यमंत्री का यह साहस-संयम समाज के लिए अनुकरणीय बनेगा और सचमुच समय लिखेगा इतिहास।
इसी बीच अब शशि कुमार की ओर से की गई घोषणा दहेज के प्रति सदियों की दुराग्रही सोच से अलग नई पीढ़ी का नया नजरिया है। मगर वास्तव में ऐसा हो तब? 20वीं सदी के गांधी युग से अलग 21वीं सदी में राजनीति से जुड़े लोगों की कथनी-करनी में अंतर के साफ-साफ दिखने के कारण संशय स्वाभाविक है। सत्य बोलने और भ्रष्टाचार के निषेध के ढपोरशंखी पाखंड को हम समाज के हर हिस्से में व्यापक होते हुए ही देख रहे हैं। काम करने वाले का तो घोषणा पर भरोसा कम और अमल पर ज्यादा होता है।
बहरहाल, शशि कुमार की भावना आकार ग्रहण करे और नई पीढ़ी के लिए रास्ता दिखाए, यह कामना है। शशि कुमार लोजपा के प्रमुख नेता प्रमोद सिंह के पुत्र हैं, जो बिहार के सोन अंचल के रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से पिछली विधानसभा का चुनाव लड़कर करीब 53 हजार वोट पा चुके हैं।    – समूह संपादक, सोनमाटी

परम आदरणीय मेरी जननी, मेरी आदर्श माँ
प्रणाम
आज आप और पापा से कुछ कहना चाहता हूं। पापा के पास समय कम होता है इसीलिए सोचा कि इसीलिए सोचा कि पत्र ही लिख दूँ। इसमें इत्मीनान से अपनी बात कह भी दूंगा और आप दोनों इत्मीनान से पढ़ भी पाएंगे।आज मैं जहां हूं और जो कुछ कर रहा हूं सब आप दोनों के परवरिश का नतीजा है।आप दोनों के साथ रहकर मैंने जिंदगी को करीब से महसूस किया है लोगों की समस्याओं को एवं परेशानियों को देखा है। एक पिता कैसे दहेज की रकम जुटाने के लिए तिल तिलकर मरता है उसे मैने नजदीक से देखा है और उसकी छटपटाहट को आत्मसात किया है।इस कुरीति का मेरे सोच पर बड़ा असर पड़ा है। आपसे निवेदन पूर्वक कहना है कि मैं शुरु से ही दहेज का विरोधी रहा हूं। ऐसे में मैं कभी इस पाप का भागीदारी नहीं बन पाऊंगा। मैं जानता हूं आप दोनों की भी सोच ऐसी ही होगी।आपने मेरे दोनों बड़े भाइयों का शादी भी बिना दहेज लिए किया था।जिसका अभिमान मुझे आज भी है।सामाजिक तौर पर यह एक अभिशाप है। हमारा समाज पुरुष प्रधान है बचपन से ही लड़कियों के मन में यह बात बैठा दी जाती है कि लड़कियों की अंदर-बाहर के प्रधान पुरुष की आदर एवं इज्जत करनी चाहिए। इसी प्रकार की सोच उनके खिलाफ आवाज उठाने के साहस का गला घोट देती है। ऐसे ही सोच दहेज के लेन देन के रास्ते को खोलतीं है।मुझे लगता है कि देश परदेश समाज परिवार एवं व्यक्ति का विकास ऐसी प्रथा से प्रभावित होता आया है। समय के अनुसार इसमें बदलाव भी हुए हैं ।21वी सदी में ऐसी प्रथा पर जो समाज में परिवारिक असंतुलन का काम कर रही है उस पर पूर्णता अंकुश लगाना होगा महिलाओं लड़कियों का महत्वपूर्ण योगदान भारत के निर्माण में नीव से लेकर शिखर तक रहा है इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आज जहां भारत न्यू इंडिया यूथ इंडिया और डिजिटल इंडिया का बात कर रहा है वही दहेज जैसी कुरीतियों को सिरे से नकार दें ऐसा आंदोलन होना चाहिए। इससे निश्चित ही विश्व पटल पर भारत की नई तस्वीर नजर आएगी। छात्र राजनीति और सामाजिक जीवन में आने के बाद कुछ अपने अधिवक्ता मित्रों से इस विषय पर चर्चा हुई उन लोगों ने बताया हिंदू सेक्शन एक्ट 1956 को 2005 में संशोधित कर पैतृक संपत्ति में बेटियों को उचित हक की बात कही गई है। तब दहेज प्रथा उन्मूलन का उत्तरदायित्व आवश्यक हो जाता है।अब तो भाई बहन अपने माता पिता के संपति पर बराबर का हकदार हैं दहेज दानव को रोकने के लिए सरकार द्वारा सख्त कानून बनाया गया है। इस कानून के अनुसार दहेज लेना और देना दोनों अपराध माना गया है।और इसके प्रमाणित होने पर सजा और जुर्माना दोनों भरना पड़ता है। वर्तमान में यह कानून संशोधित करके अधिक कठोर बना दिया गया है।इसलिए यह आवश्यक भी है कि मुझे व्यक्तिगत रुप से दहेज प्रथा खरीद फरोख्त का व्यवसाय लगता है। छात्र राजनीति और सामाजिक जीवन में आने के बाद कई गांव में आना जाना हुआ उस क्रम में मैंने इस कुरीति के शिकार लोगों की वेदना देखी।एक पिता के टूटे सपनों एवं उसकी उजड़ती जिंदगी ने मुझे आत्म विवेचन को मजबूर कर दिया।मैंने इसके दावानल में कई बहनों को जलते देखा।आज मेरी आत्मा ने इस सामाजिक अभिशाप से कराह उठी और मैंने दहेजमुक्त विवाह करने का निर्णय ले लिया जिसे आज सार्वजनिक कर रहा हूं कि मैं अपनी शादी में किसी प्रकार का दहेज नहीं लूंगा। मेरा मानना है कि पति पत्नी में प्यार सहयोग के अलावा एक दोस्त की भूमिका होनी चाहिए जो हर परिस्थिति में एक दूसरे के साथ खड़ा होकर आगे बढ़े। दहेज प्रथा हमारे समाज को खोखला बना रहा है यह प्रथा हमारी जिंदगी को तबाह कर रहा है लेकिन अब वक्त आ गया है कि हमें दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने की। हर समस्या का समाधान उसके अंदर ही हैं उसी तरह से दहेज प्रथा का समाधान भी हमारी सोच में है। बस दहेज लेने और देने की आदत को हां से ना में बदलना है।मेरे कई मित्र ऐसे हैं जिन्होंने ऐसी कुरीतियों पर हल्ला बोला है और सैद्धांतिक शादी की।मैं भी उनकी विचारों से प्रभावित हूँ।आज का युवा वर्ग ही आज का नागरिक है और इस सोच को आगे बढ़ाने की जरूरत है।हमारे जैसे युवा ही दहेज विरोधी कानून को निचले स्तर तक ले जा सकते है और मेरे इस निर्णय से कई युवा प्रभावित भी होंगे ऐसी मेरी सोच है। मैं सिन्हा कॉलेज का छात्रसंघ अध्यक्ष भी हूं विद्यार्थी परिषद में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के पद पर रहकर युवाओं के एक बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करता हूं। इस नाते सभी युवा वर्ग से अपील करता हूं कि ऐसे सामाजिक कुरीतियों और ऐसी सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ हल्ला बोलेे और इसे सामाजिक स्तर पर नकार दे। यह एक स्वर्णिम पहल और दहेज उन्मूलन के क्षेत्र में ऐतिहासिक क्रांति होगी।
तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
आपका पुत्र
शशि कुमार

 

(पत्र : इमा टाइम्स में प्रियदर्शी श्रीवास्तव,  इनपुट : साकेत अंबष्ठ, औरंगाबाद)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Click to listen highlighted text!