बिहार को संविधान के दायरे में मिलकर आगे बढ़ाएंगे : लालजी टंडन

पटना /लखनऊ (विशेष संवाददाता)। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन ने बिहार के नए राज्यपाल बनाए गए हैं। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, लालजी टंडन बिहार में सत्यपाल मलिक की जगह और सत्यदेवनारायण आर्य हरियाणा के, बेबी रानी मौर्य उत्तराखंड के, कप्तान सिंह सोलंकी त्रिपुरा के, तथागत रॉय मेघालय के व गंगा प्रसाद सिक्किम के राज्यपाल बनाए गए हैं।

अब  दलीय राजनीति से मुक्त

पार्षद से विधायक, मंत्री और बाद में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सीट पर सांसद रहे 83 वर्षीय लालजी टंडन को बिहार का राज्यपाल बनाए जाने की घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने उनसे मिलकर उन्हें बधाई दी। लखनऊ के हजरतगंज स्थित लालजी टंडन के आवास पर देर शाम से ही मीडिया इंटरव्यू का दौर शुरू हो गया था। उसी दौरान बिहार के मुख्यमंत्री का काल आया तो उनके सहयोगी संजय चौधरी ने उन्हें फोन पकड़ाया। लालजी टंडन ने नीतीश कुमार से कहा, आप तो मेरे पुराने मित्र हैं, संविधान के दायरे में जो भी संभव होगा, मिलकर बिहार को आगे बढ़ाएंगे। राज्यपाल बनाए जाने की घोषणा के बाद अपने मीडिया इंटरव्यू के दौरान लालजी टंडन ने कहा कि बिहार में मुजफ्फरपुर कांड और दूसरी घटनाओं से पूरे राज्य की छवि पर सवाल नहीं खड़ा कर सकते। बिहार ने दुनिया को शांति का संदेश दिया है। बिहार को विकास की जरूरत है। अब तक मैं भाजपा कार्यकर्ता था, अब दलीय राजनीति से मुक्त हो चुका हूं।

सत्यपाल मलिक बिहार से जम्मू-कश्मीर गए,  51 साल बाद राजनेता बना राज्यपाल

उधर, बिहार में एक साल से कम अवधि तक राज्यपाल रहे समाजवादी नेता सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर में एनएन वोहरा की जगह नियुक्त किए गए हैं, जो एक दशक से जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। जम्मू-कश्मीर में करन सिंह (1965-67) के 51 साल बाद किसी राजनेता को राज्यपाल बनाया गया है। यह फैसला केंद्र सरकार की जम्मू-कश्मीर में रणनीति में बदलाव का संकेत है। अब तक ब्यूरोक्रेट या सेना से जुड़े अफसर ही राज्यपाल बनते रहे हैं। ब्यूरोक्रेट या रिटायर्ड जनरल की जगह राजनीतिक खेमे से राज्यपाल की जिम्मेदारी इस बात का भी संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में नए ढंग से कश्मीर मुद्दे पर केेंद्र सरकार बातचीत शुरू करे के प्रयास में है। राज्य में राजनीतिक स्थिति बदल रही है। चर्चा है कि महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी के कुछ असंतुष्ट विधायक भाजपा से हाथ मिला सकते हैं।

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर
सत्यपाल मलिक ने मेरठ विश्वविद्यालय में सोशलिस्ट छात्र नेता के तौर पर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। बाद में वह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने और पिछले साल बिहार के राज्यपाल नियुक्त हुए थे। वह क्रांति दल, लोक दल, कांग्रेस, जनता दल और भाजपा में रहे। 1974 में उत्तर प्रदेश के बागपत से चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल की टिकट पर वह विधायक बने। 1984 में कांग्रेस में शामिल हुए और राज्यसभा के सदस्य बने। बोफोर्स घोटाले के सामने के आने के बाद इस्तीफा देकर 1988 में पाला बदल लिया और वीपी सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल में शामिल होकर 1989 में पार्टी के टिकट पर अलीगढ़ से सांसद बने। 2004 में मलिक भाजपा में शामिल हुए। चार अक्तूबर 2017 को बिहार के राज्यपाल का पद संभालने के पहले वह भाजपा के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी थे।

  • Related Posts

    पूर्व मंत्री डॉ. खालिद अनवर अंसारी का निधन

    -मुख्यमंत्री ने डॉ. खालिद अनवर अंसारी के निधन पर जताया दुःख, राजकीय सम्मान के साथ होगा उनका अंतिम संस्कार डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि। बिहार के पूर्व केबिनेट मंत्री सह आंल…

    अनुश्रवण समिति की बैठक में राशन वितरण की समीक्षा

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) -कार्यालय प्रतिनिधि।  अनुमंडल सभागार में अनुश्रवण समिति की बैठक  शुक्रवार को एसडीएम सूर्य प्रताप सिंह की अध्यक्षता में हुई।  जिसमें राशन कार्ड बनाने व राशन के सुचारु रूप…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    बिहार में कई आईएएस अधिकारियों का तबादला,कई जिलों डीएम बदले गये

    अरुण दिव्यांश की कवित : हिन्दी

    अरुण दिव्यांश की कवित : हिन्दी

    76 बच्चों को ग्रामीणों के द्वारा विद्यालय जाने से रोका लगाने पर डीएम ने ली संज्ञान

    शिक्षा रूपी धन में बंटवारा नहीं होता : ओमप्रकाश

    शिक्षा रूपी धन में बंटवारा नहीं होता : ओमप्रकाश

    बिहार विधानसभा की आंतरिक संसाधन एवं केंद्रीय सहायता समिति ने डीएम के साथ की बैठक

    बिहार विधानसभा की आंतरिक संसाधन एवं केंद्रीय सहायता समिति ने डीएम के साथ की बैठक

    टीबीटी 2024 अवार्ड के लिए नौ शिक्षकों को किया गया चयन

    टीबीटी 2024 अवार्ड के लिए नौ शिक्षकों को किया गया चयन