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रोहतासगढ़ पर डाक्युमेंट्री फिल्म

– गौरवशाली इतिहास और वर्तमान उपेक्षित स्थिति पर बन रही डॉक्यूमेंट्री फिल्म, इस वर्ष के अंत तक होगी रिलीज
– डॉक्यूमेंट्री निर्माण का उद्देश्य है किले के इतिहास की जानकारी देना और आमजन में इस धरोहर के प्रति जागरूकता पैदा करना
– खोजी पत्रकार उपेंद्र कश्यप इस डॉक्यूमेंट्री के महत्वपूर्ण अंग, वरिष्ठ विज्ञान लेखक-पत्रकार और सोनघाटी पुरातत्व परिषद (बिहार) के सचिव कृष्ण किसलय की भी भूमिका

 

रोहतासगढ़ से लौटकर उपेन्द्र कश्यप
बिहार के रोहतास जिले में कैमूर पहाडिय़ों पर स्थित रोहतासगढ़ किले के गौरवशाली इतिहास और वर्तमान उपेक्षित स्थिति पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म धर्मवीर फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन हाउस के बैनरतले बन रही है, जिसके निर्देशक धर्मवीर भारती और सिनेमेटोग्राफर पप्पू कुमार व संकेत सिंह हैं। युवा निर्देशक धर्मवीर भारती दो चर्चित डॉक्यूमेंट्री फिल्में (देव : द सन टेम्पल और जिउतिया : द सोल ऑफ कल्चरल सिटी दाउदनगर) बना चुके हैं, जिनके लिए इन्हें अवार्ड से मिल चुका है।

 

अपनी बेहाली पर ख़ून के आंसू बहा रही रोहतास किले की दीवारें
इस वर्ष के अंत तक इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण कर इसे रिलीज कर दिया जाएगा। रोहतासगढ़ पर डॉक्यूमेंट्री निर्माण का उद्देश्य किले के इतिहास की जानकारी देना और आमजन में इस धरोहर के प्रति जागरूकता पैदा करना है। रोहतासगढ़ की दुर्दशा को देखकर यही अहसास होता है कि बिहार की इतनी बड़ी पर्यटन संपदा रोहतास किले की दीवारें अपनी बेहाली पर ख़ून के आंसू बहा रही हैं।

नई दृष्टि के साथ इतिहास, सभ्यता-क्रम व संस्कृति-विस्तार के नायाब पक्ष
धर्मवीर भारती के अनुसार, रोहतासगढ़ जैसे अद्भुत, मगर पर्यटन विभाग से अछूती धरोहर पर शोध कर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का प्रस्ताव खोजी पत्रकार उपेंद्र कश्यप (श्रमण संस्कृति के वाहक दाउदनगर के लेखक) ने दिया जो इस डॉक्यूमेंट्री के महत्वपूर्ण अंग हैं।

धर्मवीर भारती के अनुसार, डेहरी-आन-सोन के वरिष्ठ विज्ञान लेखक-पत्रकार और सोनघाटी पुरातत्व परिषद, बिहार के सचिव कृष्ण किसलय की भी इस डॉक्युमेंट्री में भूमिका है। उन्होंने इतिहास पक्ष के विभिन्न आयामों को और नई दृष्टि के साथ सभ्यता-क्रम व संस्कृति-विस्तार के नायाब पक्षों को रखा है। रोहतास किले को लेकर सदियों से चली आ रही तरह-तरह की जनश्रुतियों से अलग इतिहास में अब तक अज्ञात-अछूते रह गए पक्षों की तथ्यपूर्ण जानकारी दी है।

 

लागातार युद्धों के कारण हाशिये पर, वक्त के गर्द-गुब्बार में देश-प्रदेश की मुख्यधारा से पिछड़ा
कृष्ण किसलय के अनुसार, अति प्राचीन सिंधु-सरस्वती-वैदिक सभ्यता काल से ऐतिहासिक बुद्ध काल तक भारतीय महाद्वीप के अति प्राचीन मानव समुदाय वाले सोनघाटी क्षेत्र के बिंध्य पर्वतश्रृंखला का कैमूर पर्वतीय हिस्सा (बहुत बाद में रोहतासगढ़) लागातार युद्धों का सामना करने के कारण इतिहास के हाशिये पर चला गया और वक्त के गर्द-गुब्बार में देश-प्रदेश की मुख्यधारा से पिछड़ गया। जिस तरह अंडमान की आदिम जनजातियां आदमी के शिकारी जीवन-काल की प्रतिनिधि हैं, उसी तरह रोहतास की अति प्राचीन जनजाति आदमी के कृषि जीवन के आरंभ की प्रतिनिधि रही हैं और आज दोनों स्थलों की प्राचीन जनजातियां प्रजनन-संकट के दौर से गुजर रही हैं।
पैदा होते रहे डाकू-नक्सली, दशकों तक नक्सलियों की शरणस्थली
पुरातत्विक धरोहर रोहतास किले को लेकर तिलस्मी-धार्मिक-पौराणिक कहानियां गढ़ी जाती रही हैं, मगर इतिहास-तत्व व समाजशास्त्रीय दृष्टि से महत्वपूर्ण शोधकार्य अब भी बाकी है। भारत के आजाद होने के 70 साल बाद भी यहां देश के मूल निवासियों (आदिवासियों) के उपेक्षित बने रहने और समाज की मुख्यधारा से कटे होने के कारण ही यहां डाकू व नक्सली पैदा होते रहे और यह किला दशकों तक डाकुयों-नक्सलियों की शरणस्थली बना रहा।
(इनपुट : डेहरी-आन-सोन में निशांत राज)

 

एक और नया वेंकटहाल
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-सोनमाटी समाचार। शहर में एक और वेंकटहाल खुल गया है। होटल उर्वशी में वेंकट हाल का शुभारंभ करते हुए नगर के प्रसिद्ध वरिष्ठ नेत्र रोग चिकित्सक डा.अवधविहारी सिंह ने कहा कि इस तरह की जरूरत घनी आबादी के कारण निरंतर विस्तृत व स्पेस रहित होते जा रहे शहर को है। इस मौके पर पूर्व विधायक सत्यनारायण यादव, वरिष्ठ चिकित्सक डा. आरडी सिंह, वरिष्ठ उद्यमी अरुणकुमार गुप्ता, मोहिनी इंटरप्राइजेज के प्रबंध निदेशक उदयशंकर, डेहरी अनुमंडल विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पांडेय, अखिल भारतीय रौनियार वैश्य महासभा के संरक्षक नंदलालगुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता बैरिस्टर सिंह, सांसद प्रतिनिधि अजय सिंह आदि अपनी शुभकामनाओं के साथ उपस्थित हुए। आरंभ में होटल उर्वशी के प्रबंध निदेशक पूर्व मेजर वैद्यनाथ प्रसाद गुप्ता व संतोष गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि उर्वशी की स्थापना से शहर के पारंपरिक होटल कारोबार में नया मोड़ आया। राजेश सहनी और राजू सिन्हा ने संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। (तस्वीर : वारिस अली)

 

सेमिनार का आयोजन
हसपुरा (औरन्गाबाद)-सोनमाटी समाचार। सोशल फोरम के तत्वावधान में 27 फरवरी को जुल्मतों के दौर में विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया है, जिसमें जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, डा. सुबोधनारायण मालाकार और अन्य वक्ता भाग लेंगे। आयोजन समिति के संयोजक प्रो. अलखदेव प्रसाद अचल की अध्यक्षता में हुई बैठक में कार्यक्रम के लिए संबंधित लोगों व्यापार मंडल अध्यक्ष जयकृष्ण पटेल, जिप प्रतिनिधि रामाश्रय सिंह, कामाख्यानारायण सिंह, शाहनवाज खाँ, पूर्व कॉग्रेस अध्यक्ष रामानन्द राम, शंभुशरण सत्यार्थी, दिनेश सिंह, डा. संतोष कुमार, रविरंजन कुमार, सादुल्लाह, ललन चौधरी, अतीक खां, शमशेर आलम, मो. आदिल, डा. सत्यदेव सिंह, विजय कर्ण, बीरेन्द्र कुमार खत्री को जिम्मेवारियाँ सौपी गयी। (तस्वीर : शंभुशरण सत्यार्थी)

 

पूजा-अर्चना के साथ मना वार्षिकोत्सव
दाउदनगर (औरन्गाबाद)-सोनमाटी समाचार। पुराना सहर के जोड़ा मंदिर के पास इस्थित देवीमन्दिर के  जीर्णोद्धार का वार्षिककोत्सव मनाया गया। विधि विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की गई और प्रसाद वितरण किया गया। श्रद्धालुओं ने पहुच कर प्रसाद ग्रहण किया। पंडित गणेश पाठक ने विधिवत पूजा करवाया। पूजन-हवन के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर उपस्थित श्रद्धालुओं  में  ब्रजेश पाठक, धर्मेंद्र पाठक, पीयूष कुमार, आयुष कुमार , गोपाल राम, रविरंजन स्वर्णकार, बिलश खत्री, मुकेश पाठक, गुड्डू पाठक, रामजी सोनी, मुनमुन प्रसाद आदि थे। विवेकानंन्द मिश्रा ने बताया वर्ष 2011 में आचार्य वागेश्वरीदत्त पाठक द्वारा देवी माँ मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद प्राण-प्रतिष्ठा की गई।
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