बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने की अपील
एससीए-एसटी आरक्षण पर भी कोर्ट करेगा दोबारा विचार
नई दिल्ली (सोनमाटी समाचार)। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने संसद के अगले सत्र में प्राइवेट कंपनियों में आरक्षण की मांग पर बहस करने की सभी दलों से मांग की है। नीतीश कुमार ने महिला आरक्षण का भी समर्थन करते हुए लंबित बिल को संसद से पास कराने के लिए आम राय बनाने की अपील की है।
नीतीश कुमार ने प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण की मांग के बाद कहा है कि चाहे मराठा हो या पटेल, वह हर किसी की आरक्षण की मांग के समर्थन में हैं।
पिछले दिनों बिहार में सरकारी नौकरियों में आउटसोर्सिंग में आरक्षण देने के बाद नीतीश ने इस दिशा में अपनी पहल तेज कर दी है, जिसके सियासी मायने भी माने जा रहे हैं।
एससीए-एसटी आरक्षण पर दोबारा विचार
एक दशक पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि प्रमोशन में एससीए-एसटी समुदाय को आरक्षण देना राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य नहीं है। अब कोर्ट इस मुद्दे पर दोबारा विचार करेगा।
तब कोर्ट ने कहा था कि सरकारी सेवाओं में इन समुदायों का प्रतिनिधित्व कम होने और इनके पिछड़े होने की बात साबित करने वाले मात्रात्मक आंकड़े होने पर ही इन्हें प्रमोशन में रिजर्वेशन देने का कदम राज्य उठा सकते हैं। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने 5 जजों की बेंच के पास यह मसला भेज दिया है कि 2006 में दिए गए जजमेंट पर दोबारा गौर करने की जरूरत है या नहीं?
मध्य प्रदेश के याचिकाकर्ताओं ने 2006 के जजमेंट पर दोबारा गौर करने की मांग की है, जिसमें रिजर्वेशन की सीमा 50 पर्सेंट तय की गई थी और आरक्षण के दायरे से क्रीमी लेयर वालों को बाहर किया गया था।
2006 के एम. नागराज केस में साफ कहा गया था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन देते वक्त भी क्रीमी लेयर जैसी दूसरी बातों और 50 पर्सेंट की सीलिंग का ध्यान रखा जाएगा और ऐसे आंकड़े पर भी गौर किया जाएगा, जिससे साबित होता हो कि संबंधित राज्य में एससीए एसटी पिछड़े हैं और सरकारी सेवाओं में उनका प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है।