नई दिल्ली/डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (एनएमसीएच) में विशेष निशुल्क चिकित्सा शिविर को एक पखवारे के लिए बढ़ा दिया गया है। अगले 15 दिनों तक भी शिविर के तहत मरीजों को निशुल्क सेवाएं पूर्ववत मिलती रहेंगी। एनएमसीएच के संस्थापक अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद गोपालनारायण सिंह ने बताया कि दक्षिण बिहार के सीमांत और सोन नद अंचल के जरूरतमंद मरीजों का ध्यान रखते हुए निशुल्क शिविर को अगले 15 दिनों के विस्तारित किया गया है। पिछले 15 दिनों के शिविर में रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद और पड़ोसी राज्य झारखंड के समीपवर्ती जिलों के लगभग दो हजार मरीजों ने एनएमसीएच में आकर उपचार कराया, जिसमें सैकड़ों का विभिन्न बीमारी काआपरेशन भी निशुल्क किया गया।
वंचित वर्ग के उपचार से संतोष : गोपालनारायण
गोपालनारायण सिंह ने बताया कि विशेष स्वास्थ्य शिविर के अंतर्गत अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए पैथोलाजी, रेडियोलाजी की महंगी जांच में काफी हद तक छूट दी जा रही है। सभी प्रकार के आपरेशन निशुल्क किए जा रहे हैं। मरीजों से अस्पताल में बेडचार्ज नहीं लिया जा रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं।
उन्होंने बताया कि संतोष की बात है कि वंचित वर्ग के लोग आर्थिक अभाव में अस्पतालों में जाने से कतराते हैं, वे भी अपना उपचार कराने आ रहे हैं।
राज्यसभा में उठाया दंत चिकित्सा का मुद्दा
उधर, राज्यसभा में सांसद गोपालनारायण सिंह ने दंत चिकित्सकों की कमी का मामला उठाकर केेंद्र और राज्य सरकारों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि दंत चिकित्सकों का नियोजन प्रखंड स्तर पर और सामाजिक केेंद्रों पर होना चाहिए, ताकि उनकी सेवा देश की जरूरतमंद ग्रामीण को मुहैया हो सके।
उन्होंने आंकड़ा देकर बताया कि देश में करीब 2.70 लाख दंत चिकित्सक ही है, जबकि जरूरत कई गुनी है। वास्तविक जरूरत ग्रामीण आबादी को है, क्योंकि दांत की समस्या से शहरी आबादी की अपेक्षा वही अधिक जूझती है। दंत चिकित्सकों का राज्य स्तर पर पंजीकरण की व्यवस्था नहींहै और न ही इनके नियोजन की गारंटी है। इस दिशा में केेंद्र सरकार को विचार करना चाहिए।
बच्ची के पेट से निकला पांच रुपये का सिक्का
एनएमसीएच के एक अन्य समाचार के अनुसार, एनएमसीएच के गेस्ट्रोलाजी विभाग के प्रभारी डा. आसिफ इकबाल ने औरंगाबाद जिला की तीन वर्षीय बच्ची के पेट से पांच रुपये के उस सिक्के को निकाल दिया, जिसे दो दिन पहले बच्ची ने निगल लिया था। सिक्का पेट में अटके रहने और बाहर नहींनिकलने के कारण बच्ची दर्द से लगातार परेशान थी। डा. आसिफ इकबाल के अनुसार, बच्ची के पेट से पांच रुपये का सिक्का इंडोस्कोपिक विधि से बिना चीर-फाड़ के निकाला गया। सिक्का निकलने के बाद बच्ची पेट के दर्द से निजात पा चुकी है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : भूपेंद्रनारायण सिंह, पीआरओ, एनएमसीएच)