आजादी से पहले जन्मे पांच वरिष्ठ नागरिकों ने किया सामूहिक ध्वजारोहण
डेहरी-आन-सोन/तिलौथू (रोहतास)-सोनमाटी टीम। गुलाम भारत में आजादी से पहले जन्म लेने वाले पांच वयोवृद्ध नागरिकों ने एक साथ राष्ट्रध्वज का आरोहण किया। देश के आजादी होने से पहले पैदा हुए इन वरिष्ठ नागरिकों को एक साथ देखना और उनके अनुभव का साझा करना बिहार में सोन तट के सबसे बड़े इस शहर के लिए सौभाग्य का एक सबसे महत्वपूर्ण क्षण था, राष्ट्रीय रोमांच से लबरेज अहसास था। स्वतंत्रता पूर्व के इन वरिष्ठ नागरिकों को ढूंढने और राष्ट्रीय अवसर पर सम्मानपूर्ण तरीके से एकत्र करने का कार्य मोहिनी इंटरप्राइजेज के संचालक उदय शंकर ने किया। उदय शंकर ने कहा कि आजादी के 72 साल बाद इस बार झंडोत्तोलन के अवसर पर संविधान का अनुच्छेद 370 खत्म होने का अहसास भी जुड़ा हुआ था। सामूहिक ध्वजारोहण करने वाले वरिष्ठ नागरिक थे निरंजन बिगहा के सूरजदेव शर्मा (1931), पानी टंकी के परमेश्वर प्रसाद गुप्ता (1932), पाली रोड के योगेंद्र शर्मा (1935), मथुरापुर कालोनी (डालमियानगर) के रामाशीष चौधरी (1942) और पाली रोड (रामकृष्ण आश्रम) के राजेन्द्र प्रसाद सिंह (1944)। इस रोमांचक झंडा-उत्सव के संयोजन में मीना शंकर (मोहिनी इलेक्ट्रोनिक्स), डा. अभिषेक सिद्धार्थ (दंत चिकित्सक, ब्राइट स्माइल) आदि ने सहयोग किया।
साढ़े तीन हजार किलोमीटर दूर कुवैत में लहराया भारत का तिरंगा
एक अन्य समाचार के अनुसार, इस बार 73वें स्वाधीनता दिवस पर कुवैत में भारत का तिरंगा लहराया। झंडोत्तोलन का आयोजन वहां के प्रशासन से अनुमति लेकर किया गया। इस उपक्रम और सुदूर देश से आए तिरंगा फहराने से संबंधित समाचार में गौर करने लायक अन्तरध्वनि यह है कि इसमें मजहब-जाति से ऊपर राष्ट्रीयता को तवज्जो देने वाली देश की नई पीढ़ी के सकल भारतीय युवा का मानस प्रतिबिंबित हुआ है। भारत से साढ़े तीन हजार किलोमीटर दूर कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय भारतीयों का है, जिनकी संख्या करीब आठ लाख है। रोहतास जिला के तिलौथू प्रखंड के केरपा गांव के मुस्लिम युवकों सहित भारत के करीब चार सौ युवा जमीन के भीतर से कच्चा तेल (पेट्रोल, डीजल आदि) निकालने वाली कुवैत की कंपनी अरबी इनरटेक लिमिटेड में काम करते हैं। इस कंपनी में अधिसंख्य भारतीय युवाओं के काम करने की वजह से भारतीय तिरंगा फहराने की प्रशासनिक अनुमति मिली, जबकि कुवैत सहित सभी इस्लामिक देशों में दूसरे देश के राष्ट्र-ध्वज को फहराने पर आम तौर पर पाबंदी है।
(रिपोर्ट : उपेन्द्र कश्यप/निशांतकुमार राज, तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप, वाह्टसएप से )
सम्मान समारोह में आलोचक रामनिहाल गुंजन के कृतित्व-व्यक्तित्व पर चर्चा
आरा (भोजपुर)-सोनमाटी संवाददाता। नागरी प्रचारिणी सभागार में वरिष्ठ आलोचक, कवि, संपादक रामनिहाल गुंजन के सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें पांच राज्यों के लेखक, कवि, कलाकारों ने भाग लिया। इप्टा के गायक नागेंद्र पांडेय के गायन से समारोह की शुरुआत हुई। कवि, आलोचक जितेंद्र कुमार ने आगतों का स्वागत किया। दो सत्रों संपन्न सम्मान समारोह के पहले सत्र (शब्द यात्रा और सम्मान) की अध्यक्षता कथाकार नीरज सिंह ने की और संचालन किया सुधीर सुमन ने। इस सत्र में आलोचक अवधेश प्रधान (बनारस), अलाव पत्रिका के संपादक रामकुमार कृषक (दिल्ली), आलोचक रविभूषण (रांची), जन संस्कृति मंच के महासचिव पत्रकार मनोज कुमार सिंह (गोरखपुर), बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव रवींद्रनाथ राय, आलोचक, संपादक अरविंद कुमार, सुनील श्रीवास्तव, सुमन कुमार सिंह ने अपने-अपने विचार रखे। सत्र के आरंभ में रामकुमार कृषक, रविभूषण, नीरज सिंह अवधेश प्रधान ने गुंजन को सम्मानित किया।
दूसरे सत्र (जीवन, कर्म, संगी-साथी की जुबानी) संस्मरण केंद्रित था। दूसरे सत्र की अध्यक्षता सुरेश कांटक ने की। सत्र की शुरुआत उनकी दिल्ली शीर्षक तीन कविता पाठ की गई। कौशल किशोर (लखनऊ), शायर कुमार नयन (बक्सर), शिवकुमार यादव (बर्नपुर), कवि जनार्दन मिश्र, प्रो. पशुपतिनाथ सिंह, जनपथ के संपादक, कथाकार अनंत कुमार सिंह, डा. विंध्येश्वरी, कवि ओमप्रकाश मिश्र, सुनील श्रीवास्तव, चित्रकार राकेश दिवाकर ने उनके जीवन से संबंधित संस्मरणों को रखा। रामनिहाल गुंजन ने कहा कि उनके सम्मान में यह आयोजन दरअसल एक परंपरा का सम्मान है। इस मौके पर चित्रकार राकेश दिवाकर की पेंटिंग और रविशंकर सिंह द्वारा बनाए गए पोस्टर लगाए गए थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन आशुतोष कुमार पांडेय ने किया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : सुमन सिंह)