बिहार : डेहरी में राष्ट्रध्वज उत्सव का प्रथम सौभाग्य क्षण / आरा में आए आलोचक के सम्मान में पांच प्रदेशों के लेखक
आजादी से पहले जन्मे पांच वरिष्ठ नागरिकों ने किया सामूहिक ध्वजारोहण
साढ़े तीन हजार किलोमीटर दूर कुवैत में लहराया भारत का तिरंगा
(रिपोर्ट : उपेन्द्र कश्यप/निशांतकुमार राज, तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप, वाह्टसएप से )
सम्मान समारोह में आलोचक रामनिहाल गुंजन के कृतित्व-व्यक्तित्व पर चर्चा
आरा (भोजपुर)-सोनमाटी संवाददाता। नागरी प्रचारिणी सभागार में वरिष्ठ आलोचक, कवि, संपादक रामनिहाल गुंजन के सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें पांच राज्यों के लेखक, कवि, कलाकारों ने भाग लिया। इप्टा के गायक नागेंद्र पांडेय के गायन से समारोह की शुरुआत हुई। कवि, आलोचक जितेंद्र कुमार ने आगतों का स्वागत किया। दो सत्रों संपन्न सम्मान समारोह के पहले सत्र (शब्द यात्रा और सम्मान) की अध्यक्षता कथाकार नीरज सिंह ने की और संचालन किया सुधीर सुमन ने। इस सत्र में आलोचक अवधेश प्रधान (बनारस), अलाव पत्रिका के संपादक रामकुमार कृषक (दिल्ली), आलोचक रविभूषण (रांची), जन संस्कृति मंच के महासचिव पत्रकार मनोज कुमार सिंह (गोरखपुर), बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव रवींद्रनाथ राय, आलोचक, संपादक अरविंद कुमार, सुनील श्रीवास्तव, सुमन कुमार सिंह ने अपने-अपने विचार रखे। सत्र के आरंभ में रामकुमार कृषक, रविभूषण, नीरज सिंह अवधेश प्रधान ने गुंजन को सम्मानित किया।
दूसरे सत्र (जीवन, कर्म, संगी-साथी की जुबानी) संस्मरण केंद्रित था। दूसरे सत्र की अध्यक्षता सुरेश कांटक ने की। सत्र की शुरुआत उनकी दिल्ली शीर्षक तीन कविता पाठ की गई। कौशल किशोर (लखनऊ), शायर कुमार नयन (बक्सर), शिवकुमार यादव (बर्नपुर), कवि जनार्दन मिश्र, प्रो. पशुपतिनाथ सिंह, जनपथ के संपादक, कथाकार अनंत कुमार सिंह, डा. विंध्येश्वरी, कवि ओमप्रकाश मिश्र, सुनील श्रीवास्तव, चित्रकार राकेश दिवाकर ने उनके जीवन से संबंधित संस्मरणों को रखा। रामनिहाल गुंजन ने कहा कि उनके सम्मान में यह आयोजन दरअसल एक परंपरा का सम्मान है। इस मौके पर चित्रकार राकेश दिवाकर की पेंटिंग और रविशंकर सिंह द्वारा बनाए गए पोस्टर लगाए गए थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन आशुतोष कुमार पांडेय ने किया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : सुमन सिंह)