भूले नरहरि, याद रहे तुलसी

– कालजयी कृति रामचरित मानस के अति महान रचनाकार तुलसी दास के गुरु थे संत नरहरि
– शैव पंथी संत नरहरि जाति से स्वर्णकार और मराठी साहित्य के थे अप्रतिम रचयिता

डेहरी-आन-सोन, बिहार (सोनमाटी समाचार)। संत तुलसी दास की अवधि (आरंभिक हिंदी) में लिखी गई कालजयी कृति रामचरित मानस सनातनियों के धर्मग्रंथ के रूप में स्वीकृत होकर पिछली पांच सदियों से समग्र भारतीय समाज का प्रतिनिधि साहित्य बना हुआ है और पूरी दुनिया आज तुलसी के ही राम को जानती है, जिसका चित्रण रामचरित मानस में हुआ है। मगर इस बात को बेहद कम लोग जानते हैं कि संत तुलसी दास को गुरुमंत्र देकर सर्वपूजनीय बनाने वाले संत नरहरि सुनार थे। 1611 ईस्वी में जन्मे तुलसी दास का यज्ञोपवित संस्कार 1618 ईस्वी करने वाले संत नरहरिदास ही थे, जिनका गुरुमंत्र पाकर तुलसी दास बड़े संत बने और रामभक्ति के शिखर पर पहुंच कर कालजयी कृति रामचरितमानस की रचना की। नरहरि दास का जन्म देवगिरी, जिला महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिला के देवगिरि में हुआ था। इनकी पत्नी का नाम गंगा, बेटा का नाम नारायण और बेटी का नाम.मालु है। इनके पिता दीनानाथ सुनार स्वर्णाभूषण निर्माण का पुश्तैनी कार्य करते थे, जो बाद में पंढरपुर चले गये थे। संत नरहरि दास पर मराठी साहित्य में बहुत कुछ लिखा गया है।


संत नरहरि दास कट्टर शिवोपासक थे, जिसका प्रमाण यह है कि वह पंढरपुर में रहने के बावजूद वहां के प्रसिद्ध पान्डुरंग (विष्णु) मन्दिर में दर्शन करने नहीं जाते थे।
इनकी मराठी भाषा में दो किताबें संवगडे निवृत्ती सोपान मुक्ताई और शिव आणी विष्णु एकचि प्रतिमा है। नरहरि दास ने अपने दार्शनिक विचार को सोनार-कर्म की दृष्टि से इस प्रकार अभिव्यक्त किया है- जो अग्नी दहक रही है, वह मेरा शरीर है। मेरी जिन्दगी का सोना इस भठ्ठी में तपता है। सत्व, रज एवं तम को मिलाकर हमने घडिय़ां बनाई हैं, जिसमें हमने ब्रह्मारस मिलाया है। शरीर की अंतरात्मा से सोने गलाने के लिए फूंक मारते हैं, तब सोना गलता-निखरता है, जिसको हम रात-दिन ठोंका-ठोंकी कर आकार देते हैं और जिससे सारा संसार खुद को सजाता-संवारता है।
स्थानीय मोहन बिगहा में उसी सन्त शिरोमणि नरहरि सुनार की जयंती बुधवार को मनाई गई, जिसमें रोहतास जिला भ्रष्टाचार उजागर मंच के अध्यक्ष सुनील शरद, रालोसपा के राज्य सचिव रिंकू सोनी, भाजपा उद्योग मंच के राज्य उपाध्यक्ष बबल कश्यप, पूर्व वार्ड पार्षद सुरेंद्र सेठ, संगीत शिक्षक राजेश सोनी आदि ने संत नरहरि के बारे में जानकारी दी।

 

ईंग्लिश स्काॅलर चैंपियनशिप ट्रेनिंग

सासाराम (रोहतास)। शैक्षणिक संस्था संत पाॅल स्कूल के वर्ग तीन से आठवीं तक के 180 विद्यार्थियों को केरल की बुक बकेट के ट्रेनर सह डायरेक्टर राजेश गोपाल एवं रीजनल को-आॅर्डिनेटर प्रशांत कुमार ने ईंग्लिश स्काॅलर चैंपियनशिप नेशनल लेबल के लिये ट्रेनिंग दी।

संत पाॅल स्कूल के चेयरमैन एसपी वर्मा, प्राचार्या  अराधना वर्मा  ने विद्यार्थियों की सफलता की कामना की है। पिछले वर्ष सितंम्बर में इस विद्यालय से 192 विद्यार्थियों ने ईंग्लिश स्काॅलर चैंपियनशिप रीजनल लेबल में भाग लिया था, जिसमें 52 को प्रथम , द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार पाये।
      ईंग्लिश स्काॅलर चैंपियनशिप के रीजनल को-आॅर्डिनेटर प्रशांत कुमार ने बताया कि रोहतास जिले के विभिन्न विद्यालयों से करीब 600 विद्यार्थि नेशनल लेबल ईंग्लिश स्काॅलर चैंपियनशिप में भाग लेंगे, जिनका सेंटर संत पाॅल स्कूल में दिया जायेगा।
                                                                                                                (अर्जुन कुमार, शिक्षक सह मीडिया प्रभारी, संत पाॅल स्कूल)
स्वास्थ्य मंत्री के स्वागत की तैयारी
सासाराम (सोनमाटी समाचार)। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के रोहतास जिला आगमन पर सासाराम में पोस्टआफिस चौक पर भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से स्वागत किया जाएगा, जिसकी तैयारी बैठक भाजपा के जिलाध्यक्ष राधामोहन पांडेय की अध्यक्षता में स्थानीय भाजपा कार्यालय में हुई। बैठक में जिला प्रवक्ता ब्रजेश कुमार सिंह, मंगलानंद पाठक, डा. शरदचंद्र संतोष, पुष्पा चौहान, ललिता कुशवाहा, अमृता सिंह, प्रभाकर तिवारी, विजय कुशवाहा, कौशल जायसवाल आदि शामिल थे। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के कुदरा होकर परसथुआ जाने के क्रम में सासाराम पोस्टआफिस चौक पर बैंड-बाजे के साथ स्वागत किया जाएगा।

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    One thought on “भूले नरहरि, याद रहे तुलसी

    1. कोरोना महामारी संकट में बजट सरकार ने बहुत ही अच्छा पेश किया है और हमें उम्मीद है कि मार्च में अच्छा बजट पेश करेगी

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