केेंद्र ने दी बौद्ध सर्किट के लिए 250 करोड़ की मंजूरी
गया (मुकेशकुमार सिन्हा)। केंद्र सरकार ने बौद्ध सर्किट के लिए दो सौ करोड़ रुपये स्वीकृत किए है, जिससे बोधगया में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म मैनेजमेंट (आईआईटीएम) की स्थापना की जाएगी और ढाई हजार लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक कन्वेंशन सेंटर बनाया जायेगा। ब्रह्मयोनि, प्रेतशिला और ढुंगेश्वर पर रोप-वे निर्माण के लिए भी स्वीकृति मिल चुकी है। डीपीआर भी बन चुका है।
गया और बोधगया में देश-दुनिया से बड़ी संख्या में धार्मिक पर्यटक पहुंचते हैं। हिंदू धर्मावलंबी पिंडदान व मोक्ष प्राप्ति के लिए यहां पहुंचते हैं तो बौध धर्म को मानने वालों के लिए यह विश्व में उनके धर्म का उद्गम स्थल है। इसलिए तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर सेवा, बेहतर सुविधा की व्यवस्था करने की योजना है, ताकि जो पर्यटक यहां से लौटें वे सुखद अनुभूति लेकर लौटें और ब्रांड एंबेसडर की तरह गयाधाम व बोधगया का प्रचार करें।
बोधगया सिद्धार्थ गौतम बुद्ध की तप:स्थली है, जहां उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। यह दुनिया का एकमात्र स्थल है, जहां ज्ञान और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं। पितृपक्ष मेले में गया में पूरा देश दिखता है क्योंकि इस अवसर पर यहां अलग भाषा, अलग वेश के लोग पहुंचते हैं। एक पखवारे तक चलने वाले विश्व विख्यात पितृपक्ष मेले में हर भाषा और जाति के नागरिक देश-विदेश से लाखों की संख्या में आते हैं। जाति-पांति व राजा-रंक का भेद मिटाते हुए लोग फल्गू नदी के किनारे पिंडदान और जलतर्पण कर अपने-अपने पितरों के लिए मोक्ष अर्थात स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।