समीक्षा
विदेशी कहानियां जो दुर्लभ हैं
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साहित्यकार-समीक्षक वीणा भाटिया ने कुछ दुर्लभ विदेशी कहानियों का संकलन किया है। इस संग्रह में सभी लेखकों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है, जिनमें उनकी प्रमुख रचनाओं और साहित्य में उनके योगदान का जिक्र है। कहा जा सकता है कि इस संग्रह का संपादन कर वीणा भाटिया ने हिंदी के पाठकों को एक सौगात दी है।
एक समय था जब हिंदी में विदेशी साहित्य के काफी अनुवाद सामने आए। कई बड़े लेखकों ने महत्त्वपूर्ण विदेशी कहानियों, कविताओं, नाटकों, उपन्यासों और आत्मकथाओं का बेहतरीन अनुवाद किया। विदेशी कहानियों और कविताओं के संग्रह भी सामने आए। इससे हिंदीभाषी पाठकों का विदेशी साहित्य से परिचय हुआ। पर अब विदेशी साहित्य के अनुवाद की परम्परा लगभग खत्म-सी होती जा रही है। ऐसे संकलन देखने को नहीं मिलते जिनमें एक साथ श्रेष्ठ और चुनिंदा कहानियां-कविताएं पढ़ने को मिल सकें। खासकर, अलग-अलग विदेशी भाषाओं के सर्वश्रेष्ठ लेखकों की रचनाएं किसी एक संकलन में तो नहीं ही मिलतीं। ऐसे में, विदेशी साहित्य के प्रेमी पाठकों के लिए उन्हें ढूंढ-ढूंढ कर पढ़ना काफी मुश्किल हो जाता है।
सर्वश्रेष्ठ रूसी, चीनी, इतालवी, चेक, हंगारी, जापानी कहानियां संकलित
वीणा भाटिया के संपादन में प्रकाशित ‘विश्व साहित्य की दुर्लभ कहानियाँ’ में रूसी, चीनी, इतालवी, चेक, हंगारी, जापानी आदि भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली कहानियां संकलित हैं। ये कहानियां दुर्लभ इस मायने में हैं कि एकाध को छोड़ कर आसानी से कहीं नहीं मिल पातीं। जिन लोगों ने इन कहानियों को कभी कहीं पढ़ा होगा, उनके जेहन में इनकी छाप अमिट होगी। इस संग्रह में शामिल गोर्की और चेखोव से हिंदी के पाठक आम तौर पर परिचित हैं। इसकी वजह है एक समय सोवियत संघ (रूस) में हिंदी में इनकी रचनाओं के अनुवाद काफी प्रकाशित हुए और उनकी कीमत कम होने के कारण आम पाठकों की पहुंच में रहे, लेकिन दूसरी भाषाओं के लेखकों के बारे में यह नहीं कहा जा सकता। उनका हिंदी में अनुवाद और प्रकाशन वाकई दुर्लभ ही है।
वीणा भाटिया ने लिखा है, “इस संग्रह में शामिल लेखकों की कहानियां तो अब शायद ही कहीं मिल सकें। संग्रह में शामिल सभी कहानियां अपनी-अपनी भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ हैं। इन कहानियों को पढ़ने का मतलब है विश्व साहित्य की क्लासिक परम्परा को जानना और समझना। श्रेष्ठ साहित्य समय के प्रवाह में कभी पुराना नहीं पड़ता और उसमें नये अर्थ संदर्भ जुड़ते चले जाते हैं। वह हमेशा प्रासंगिक बना रहता है।” इस संग्रह में अन्तोन चेखोव (रूसी), मक्सिम गोर्की (रूसी), लू शुन (चीनी), लुई पिरान्दलो (इतालवी), कारेल चापके (चेक), जिगमोन्द मोरित्ज (हंगारी), फूमिको हयाशि (जापानी) और जोसेफ श्कवोरेस्की (चेक) की कहानियां शामिल हैं।
अन्तोन चेखोव की प्रसिद्ध कहानी
संग्रह में शामिल ‘गिरगिट’ अन्तोन चेखोव की प्रसिद्ध कहानी है, जो नौकरशाही के चरित्र को उजागर करती है। इस कहानी में पुलिस का जो चरित्र दिखाया गया है, वह आज भी वैसा ही है। कहानी में व्यंग्य की ऐसी तीक्ष्ण धार है जो पुलिसिया व्यवस्था पर कड़ी चोट करती है। खास बात यह है कि जब यह कहानी लिखी गई थी, तब से सौ साल से ज्यादा बीत जाने पर भी परिस्थिति जस की तस है। कहानी में भले ही तत्कालीन रूस की पुलिस व्यवस्था का चित्रण हुआ है, पर वह आज हमारे देश के लिए भी पूरी तरह सच है। यह कहानी हिंदी में बहुचर्चित रही है और इस पर आधारित नुक्कड़ नाटक भी खूब खेले गए हैं।
मक्सिम गोर्की की कहानी
मक्सिम गोर्की की ‘एक छोटे लड़के और लड़की की कहानी’ रूस के उन गरीब बच्चों की मार्मिक जीवन स्थितियों का चित्रण करती है, जो जीविकोपार्जन के लिए मजदूरी करते हैं और बड़े दिन का जश्न मनाने के लिए किसी तरह एक-एक कोपेक बचाते हैं। इस कहानी में बहुत ही अंधकारपूर्ण स्थितियों का चित्रण हुआ है, जिसे भुगतना उन बच्चों की विवशता है। कहानी में तत्कालीन रूस के तलछट का जीवन सामने आया है, जिसमें भीषण ठंड और भूख के बीच भी त्योहार मनाने की जीवटता कहीं शेष है। ऐसी यथार्थवादी कहानी विश्व साहित्य में दुर्लभ ही कही जा सकती है।
लू शुन की कहानी
लू शुन की कहानी ‘नव वर्ष की बलि’ चीन के सामंती समाज में एक गरीब ग्रामीण स्त्री के दुर्दशापूर्ण जीवन की दास्तान है। यह चीनी समाज में एक स्त्री की गुलामी का जीवंत दस्तावेज है, जिसका जिक्र किसी इतिहास की किताब में नहीं मिल सकता। ऐसी मार्मिक और यथार्थपूर्ण कहानी शायद ही कहीं लिखी गई हो। कहना नहीं होगा कि यह लू शुन की सर्वाधिक चर्चित और श्रेष्ठ कहानियों में से एक है।
लुई पिरान्दलो की कहानी
वहीं, लुई पिरान्दलो की कहानी ‘मटका’ एक ऐसे सामंती चरित्र को सामने लाती है, जो अपनी कंजूसी के कारण बहुत ही विचित्र और हास्यास्पद परिस्थितियों में फंस जाता है। यह एक मनोरंजक कहानी है और इतालवी साहित्य में बहुत ही लोकप्रिय हुई। कारेल चापके की कहानी ‘दो बाप’ भी जीवन की उन विडम्बनापूर्ण परिस्थितियों को सामने लाती है, जिनका सामना अक्सर उन लोगों को करना पड़ता है जो बेहद संवेदनशील होते हैं, पर गरीबी के कारण परिस्थितियों से समझौता करना जिनकी मजबूरी होती है। यह एक त्रासदीपूर्ण कहानी है जिसका असर पाठक पर किसी शोकगीत की तरह होता है।
जिगमोन्द मोरित्ज की कहानी
जिगमोन्द मोरित्ज की कहानी ‘सात पैसे’ उन दिहाड़ी मजदूरों की जीवन स्थितियों को सामने लाती है, जिन्हें कोई छोटा-सा जश्न मनाने के लिए भी एक-एक पैसे का जुगाड़ करना पड़ता है, लेकिन फिर भी उनमें रोने-खीजने की जगह जिंदादिली कूट-कूट कर भरी होती है। तभी वे जीवन संघर्ष में अपने अस्तित्व को बचाए रख पाते हैं। इस कहानी की पहली ही पंक्ति है – दूरदर्शी देवताओं ने निर्धनों को भी हंसी का वरदान दिया है।
फूमिको हयाशि की ‘तोक्यो’
फूमिको हयाशि की ‘तोक्यो’ भी तलछट पर जीने वाले लोगों की संघर्ष की जीवटता को सामने लाती है, पर जिसका अंत बहुत ही कारुणिक होता है। संग्रह की अंतिम कहानी जोसेफ श्कवोरेस्की की ‘मास्टर जी’ है। यह कहानी जर्मनी में नाजीवादियों द्वारा यहूदियों पर जो अत्याचार किए गए, उसके क्रूर यथार्थ को सामने लाने वाली है। अपने कथ्य और विन्यास में इस कहानी का कोई जोर नहीं है। यह कहानी उस यंत्रणा को सामने लाती है जो नाजी शासन के दौरान ना जाने कितने यहूदी परिवारों को भुगतनी पड़ी जिसका अंत कॉन्सन्ट्रेशन कैम्पों में ही जाकर होता है। यह कहानी हमें चेतावनी देती है कि फिर ऐसी स्थितियां नहीं बनें जिनमें किसी मास्टर जी को उन खौफनाक हालात से गुजरना पड़े।
–समीक्षक : मनोज कुमार झा, वरिष्ठ लेखक-पत्रकार
पुस्तक – विश्व साहित्य की दुर्लभ कहानियाँ सम्पादक – वीणा भाटिया
प्रकाशक – सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर मूल्य – 100 रुपए मात्र प्रकाशन वर्ष – 2018