तुलसी सदियों के जननायक : सुरेश कुमार गुप्ता
दाउदनगर (औरंगाबाद)-विशेष प्रतिनिधि। तुलसी दास सदियों के जननायक हैं, भले ही उन्होंने रामचरित्र मानस की रचना पांच सदी पहले भारत के भक्तिकाल के समाज के अनुरूप की। लोकभाषा में रचा गया उनका यह कालजयी महाकाव्य भविष्य के समाज के जीवन-चरित्रों का भी दर्पण बना रहेगा। यह विचार विद्या निकेतन विद्यालय समूह के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक सुरेश कुमार गुप्ता ने विद्यालय परिसर में आयोजित तुलसी जयंती संगोष्ठी को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। सुरेश कुमार गुप्ता ने कहा कि रामचरित्र मानस के पढऩा और आत्मसात करना मनुष्य के भावी जीवन की तैयारी की तरह है। तुलसी जननायक थे, राष्ट्र उन्नायक थे और अपने समय के प्रगतिशील चिंतक थे। उन्होंने समाज को अपनी रचनाओं की आत्मा से जोड़कर मनुष्यता के निर्माण की साधना की और सदियों-सदियों के जननायक बन गए।
विद्यालय समूह प्रशासन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद प्रकाश ने बताया कि समाज पिछली पांच सदियों से तुलसी के राम को ही अधिक जानता हैं, आदिकवि वाल्मीकि के राम को तो बहुत कम जानता है। भले ही संस्कृत महाकाव्य रामायण में राजा राम की कथा महर्षि वाल्मीकि ने लिखी हो, मगर आम आदमी आज तुलसी दास के लोक महाकाव्य रामचरित्र मानस के जन-जन के राम को ही जानता है। समय और संदर्भ के बदल जाने के बावजूद आज भी तुलसी दास की अमर कृतियों से शिक्षा ग्रहण करने की जरूरत बनी हुई है।
उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी विद्यासागर ने कहा कि कई मायने में तुलसी दास के बताए मार्ग पर अनुसरण करने की गुंजाइश आज भी है, भले ही पांच सदी पहले के मुकाबले समय बदल गया हो। प्राचार्य सरयू प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि तुलसीदास मानवता के महान पुजारी थे। उनकी रचनाओं का आज भी आध्यात्मिक महत्व है। वह भक्तिकाल के महान कवि, भक्ति आंदोलन के जनक और समाज को जोडऩे, एकसूत्र में बांधने वाले जननायक, जननेता थे।
कार्यक्रम का संचालन विद्यालय समूह के प्रशासक संदीप कुमार सुमन ने किया। तुलसी जयंती के अवसर पर संगोष्ठी में संस्कार-लक्ष्य, चरित्र-निर्माण और सद्गुण-विकास का सामूहिक संकल्प लिया गया, जिसके लिए विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं अविनाश कुमार, सुमित कुमार, जयप्रकाश नारायण, रमारानी जैन, किरण जैन, मीनाक्षी दुबे, सुनीता देवी ने संयोजन किया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : निशान्तकुमार राज)
भाजपा ग्रामीण मंडल का सदस्यता अभियान जारी
दाउदनगर (औरंगाबाद)-सोनमाटी समाचार। ग्रामीण मंडल समिति की ओर से सदस्यता अभियान लगातार जारी है। इस क्रम में सिंदुआर शक्ति केेंन्द्र के प्रभारी दिलीप यादव के नेतृत्व में रेपुरा मोड़ पर सदस्यता अभियान चलाया गया, जिसमे दौलतपुर गांव के लोगों ने भी भाग लिया। सदस्यता अभियान में भाग लेकर भोजपुरी गायक दीपक यादव अकेला और लोकगीत कलाकार अखिलेश यादव ने सदस्यता कार्यक्रम को सरस बना दिया। दलितों के स्थानीय नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, महेन्द्र पासवान, मनोज यादव, ललन यादव, चंद्रशेखर कुमार, राजकुमार सिंह, मनोज सिंह यादव आदि ने सदस्यता अभियान में सहयोग किया।
(रिपोर्ट : सोनमाटी डेस्क, वाट्सएप सूचना)
22 वर्ष पूर्व हुआ हरियाली अभियान का बीजारोपण : डा. शंभुशरण
दाउदनगर (औरंगाबाद)-विशेष संवाददाता। चंद पौधों को रोपने से शुरू हुआ विवेकानंद की स्मृति को समर्पित हरियाली अभियान आत्मोदय आज जनआंदोलन जैसी स्थिति में तब्दील हो चुका है और इस वर्ष जनभागीदारी से दस हजार पौधरोपण का लक्ष्य है। विवेकानंद ब्रिगेड मिशन (दाउदनगर) और विवेकानन्द विजन ब्रिगेड (औरंगाबाद) के विद्यार्थी पौधरोपण करने के साथ जल, प्रदूषण, स्वच्छता पर जनता से गांव-गांव जाकर संवाद भी करते हैं। इस वर्ष 10 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है। विवेकानंद मिशन स्कूल के संस्थापक प्रो. डा. शंभुशरण सिंह ने सोनमाटीडाटकाम को बताया कि इस अभियान का बीजारोपण 22 साल पहले हुआ था। तब एक जनवरी 1997 को विवेकानंद स्कूल आफ एजुकेशन की नींव किराये के मकान में रखी गई थी। इसके संकरे परिसर की खाली जगह में कुछ-कुछ पौधा लगाया जाता रहा। एक दिन अहसास हुआ कि परिसर तो इस उपक्रम से अंदर-बाहर से हरियाली और प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज हो गया है।
डा. शंभुशरण सिंह के अनुसार, यह लगा कि यह विद्यार्थियों के साथ पौधों-पेड़ों की देखभाल में अन्तर्निहित सामुदायिक जीवन-संस्कृति और नेतृत्व क्षमता के विस्तार में भी सहायक है। 2000 में विद्यालय भवन का निर्माण आरंभ हुआ तो उसमें फूलों वाले पौधों की क्यारी बनाने का कार्य शुरू किया गया। विद्यालय के सामने सड़क की 50-60 फीट चैड़ी चाट का नामकरण सद्भावना उद्यान करने का आदेश अनुमंडल पदाधिकारी ने दिया तो पर्यावरण संगोष्ठी 21 जुलाई 2001 को आयोजित की गई और उसी दिन वन विभाग के सहयोग से 500 पौधे लगाए गए। उसके बाद जुलाई माह पर्यावरण को समर्पित होने लगा। इसके बाद इस अभियान ने गांवों, कस्बों में पहुंच बनाई। इसमें विद्यार्थियों के भाषण, वाद-विवाद, निबंध, चित्रांकन प्रतियोगिता आदि को जोड़ा गया। पहले हर साल 250 से 500 सौ पेड़ लगाने का ही लक्ष्य था। 2007 में औरंगाबाद में विवेकानन्द मिशन रेसिडेन्सियल स्कूल की स्थापना हुई तो इस अभियान का विस्तार दाउदनगर के साथ ओबरा, हसपुरा, गोह, कलेर आदि की सड़कों, सरकारी-सार्वजनिक परिसरों तक हो गया। यह केवल पौधे लगाने वाला नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में संस्कार सृजन, लीडरशीप, जिम्मेवारी निर्वहन, सामुदायिक भावना, और सामाजिक सरोकार का अभियान बन चुका है।
डा. शंभुशरण सिंह का कहना है कि आज सर्वविदित है कि हरियाली नष्ट होने और वायु प्रदूषण में विस्तार के कारण पर्यावरण बिगड़ चुका है, जिसमें संतुलन हरियाली-वृद्धि से ही संभव है। हरियाली मन-मस्तिष्क को शीतलता देने के साथ पर्यावरण का खुशनुमा संतुलन बनाए रखती है। पिछली कुछ सदियों के आधुनिक और मशीनी-तकनीकी जीवन से पहले मनुष्य हजारों सालों से पर्यावरणपूर्ण प्राकृतिक वातावरण में ही रहता आया है। जीव-जन्तुओं, पादपों-वनस्पतियों, कीड़ों-मकोड़ों, पहाड़ों-रेगिस्तानों, नदियों-झरनों-जंगलों का आपस में एक अविच्छिन्न जैविक रिश्ता है। यह अंतर्सबंध पर्यावरण प्रदूषण से गडमड हो रहा है। इस दृष्टि से आत्मोदय जैसे अभियान का महत्व बढ़ जाता है। सामाजिक सरोकार के आत्मोदय अभियान जल संरक्षण, स्वच्छता, जीवन के उन्नयन का भी अभियान है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप)