शिक्षकों की मदद और स्कूल खोलने का आदेश दे सरकार
सासाराम (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने निजी विद्यालयों के शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के परिवार को मासिक 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद करने के साथ 50 किलो अनाज देने की अपील की। एसोसिएशन ने कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए स्कूलों को भी अन्य संस्थानों की तरह खोले जाने की मांग की। यह अपील और मांग प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने प्रेस-वार्ता में की। प्रेस-वार्ता में प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से इसके राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डा. एसपी वर्मा ने बताया कि मार्च 2020 से बीते डेढ़ साल से देश में शिक्षा व्यवस्था ठप है। बीते तीन माह बिहार सरकार के आदेशानुसार कक्षा-एक से आठवीं तक कोराना गाइड लाइन का पालन कर विद्यालय संचालित हुए और कोरोना का कोई मामला नहीं आया। इसके बावजूद विद्यालयों को दो किस्तों में आदेश जारी कर 18 अप्रैल तक बंद कर दिया गया। किसी भी आदेश से पहले विद्यालय समितियों को पठन-पाठन की योजना पर काम करने का समय नहींदिया गया और न ही सरकार के किसी अधिकारी से इस पर चर्चा की। डेढ़ साल की बंदी में फीस नहीं आने की वजह से राज्य के लाखों निजी शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों का वेतन भुगतान नहीं हो सका है और उनके परिवार की दयनीय स्थिति अवर्णनीय हो चुकी है।
निजी स्कूलों मेंं नामांकन ठप, सरकारी में जारी :
डा. एसपी वर्मा ने कहा कि सरकार को विद्यार्थियों की बेहतर शिक्षा और निजी विद्यालयों की चिंता नहीं है। इस विषम स्थिति में भी सरकार ने आरटीई (शिक्षा के अधिकार) की बकाई राशि का भुगतान नहीं किया है। दरअसल सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की स्थिति और नामांकन की घटती दर से सरकार चिंता में है। 06 अप्रैल से मई तक निजी स्कूलों में नामांकन प्रक्रिया चलती है, जो पूरी तरह ठप है। जबकि सरकारी विद्यालयों में नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ है। सरकार नहीं चाहती कि निजी विद्यालयों में नामांकन का ग्राफ ऊंचा हो। प्रेस-वार्ता में प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की रोहतास जिला इकाई के अध्यक्ष रोहित वर्मा, उपाध्यक्ष सुभाष कुमार कुशवाहा, जिला सचिव समरेंद्र कुमार समीर, सह सचिव संग्राम कांत, महामंत्री अनिल कुमार शर्मा, कोषाध्यक्ष कुमार विकास प्रकाश, संयोजक धनेन्द्र कुमार, जनसम्पर्क पदाधिकारी दुर्गेश पटेल, डिहरी प्रखंड के अध्यक्ष अरविंद भारती, सचिव प्रशांत सिंह, कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, तिलौथू प्रखंड अध्यक्ष मनोज सिंह, अकोढ़ीगोला प्रखंड अध्यक्ष अशोक पाल, उपाध्यक्ष राजीव रंजन कुमार, सचिव बिनायक सिंह के साथ अन्य प्रखंड इकाइयों के पदाधिकारी-प्रतिनिधि मौजूद थे।
एनएमसीएच में परिवर्धित चिकित्सा पाठ्यक्रम प्रशिक्षण
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-विशेष संवाददाता। क्षेत्रीय चिकित्सा तकनीकी शिक्षा केंद्र श्रीअरविंदो आयुर्विज्ञान संस्थान (इंदौर) के तत्वावधान में नारायण चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (एनएमसीएच), जमुहार में तीन दिवसीय परिवर्धित चिकित्सा शिक्षा बुनियादी पाठ्यक्रम प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें एनएमसीएच जमुहार के चिकित्सा विज्ञान के 25 शिक्षकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस कार्यशाला का आयोजन चिकित्सा शिक्षा में नई पद्धति के प्रयोग की जानकारी चिकित्सा विज्ञान के विद्यार्थियों को देने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद के निर्देश पर किया गया। कार्यशाला के समन्वयक डा. पुनीत कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष चर्म रोग और डा. मुकेश कुमार सह प्राध्यापक माइक्रो बायोलाजी थे, जबकि पीएमसीएच पटना की कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की सह प्राध्यापक डा. अमिता सिन्हा राष्ट्रीय शिक्षा परिषद नई दिल्ली की ओर से आब्जर्वर थीं। प्रोफेसर डा. शंभू प्रसाद एनाटॉमी विभाग, डा. राणाप्रताप सह प्राध्यापक माइक्रोबायोलाजी विभाग, डा. अनिमेष गुप्ता सह प्राध्यापक कम्युनिटी मेडिसिन विभाग और प्रोफेसर डा. मनीष जनरल सर्जरी विभाग ने प्रशिक्षक सदस्य के रूप में भाग लिया। कार्यशाला के समापन सत्र को संस्थान के सचिव गोविंद नारायण सिंह, प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह और प्राचार्य विनोद कुमार ने संबोधित किया।
नोखा में भी मनी अंबेदकर की 130वीं जयंती
नोखा (रोहतास)-सोनमाटी समाचार नेटवर्क। अखिल भारतीय अंबेडकर कल्याण संघ की ओर से भी रविदास स्थल पर डा. भीमराव अंबेडकर की 130वीं जयंती अरविंद चक्रवर्ती की अध्यक्षता में मनाई गई। कार्यक्रम का संचालन राहुल पटेल ने किया। अरविंद चक्रवर्ती, राहुल पटेल, लालबहादुर यादव, विजय पटेल, रविशंकर राम, जितेंद्र बैठा, शमशेर अंसारी, रंजीत कुमार, केशो राम, पन्ना लाल आदि ने अपने विचार रखते हुए कहा कि डा. भीमराव अंबेडकर का देश की अधिसंख्यक गरीब, दलित जनता को शिक्षा, संसाधन मुहैया कराने की दिशा में महान योगदान रहा है। कहा कि आजीवन अस्पृश्यता का दंश झेलकर भी डा. अंबेडकर ने शिक्षा पर जोर दिया और संदेश दिया कि आर्थिक, सामाजिक गुलामी के चक्रव्यूह से शिक्षा से किसी व्यक्ति, समाज को बाहर निकाल सकती है।