सुकून,शांति,आनंद और सरसता का एहसास है :संगीत


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पटना (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। फेसबुक पर अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर आनलाइन हेलो फेसबुक पर संगीत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुरारी मधुकर  ने कहा कि आज के समय में मानव के दुखी और अवसादग्रस्त होने का एक बड़ा बुनियादी कारण है तन की तंदुरुस्ती और मन की खूबसूरती पर ध्यान नहीं देना l धन भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने का महज साधन- मात्र है, न कि सुख का स्रोत । सुख एक अदृश्य अनुभूति है। जिसका संबंध  तन की सेहत और मन की शांति से है। गीत- संगीत जीवन का एक ऐसा प्रभावकारी नैसर्गिक पक्ष और पहलू है जिसका श्रवण हमें सुकून, शांति, आनंद और सरसता का एहसास कराता है।      .      
अध्यक्षीय उद्बोधन में सिद्धेश्वर ने कहा कि अधिकांशत फिल्मी गीत साहित्यिक प्रकृति से परिपूर्ण होते हैं ! पुराने फिल्मी गीत आज भी इतनी लोकप्रिय है कि नए कलाकार भी उन  गीतों  पर ही अपना रियाज करते हैं। उन गीतों में कथ्य, शिल्प, लय,भाव, प्रवाह,वज़न सभी कुछ  सहज भाव से संप्रेषित होता हैl सुर और ताल के साथ, शब्दों द्वारा अभिव्यक्त फिल्मी गीत भी साहित्य  है। गुलजार,नीरज, बच्चन,  कैफ अज़ीमाबादी, प्रदीप, संतोष आनंद, सुल्तानपुरी आदि जैसे तमाम  कवियों को साहित्य से अलग नहीं किया जा सका है।
इस कार्यक्रम में फिल्मी संगीत पर मीना कुमारी परिहार ने नृत्य और  सिद्धेश्वर ने अभिनय की  शानदार प्रस्तुति दी lसतेंद्र संगीत ने लोक गीत,  धर्मवीर कुमार शर्मा, नागेंद्र राशिनकर , वीणाश्री हेंब्रम,  प्रतिभा अग्निहोत्री, डॉ शरद नारायण खरे, गजानंद पांडे आदि ने पुरानी  फिल्मी गीतों को प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मुक्त कर दिया l
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में “मेरी पसंद :आपके संग ” के तहत, कविता को प्रस्तुत किया गया जिसमें अजीत कुमार (गया) ने अपनी कविता ‘बड़े-बड़े  विषधर आज विषहीन हैं !’, शैलजा सिंह (गाजियाबाद),अपूर्व कुमार(वैशाली), राज प्रिया रानी ने अपने प्रिये कवि की कविता को प्रस्तुत किया l गोपालदास, नीरज, दुष्यंत कुमार, कमल,  राजेश शुक्ल,  आदि ने भी कविताओं को प्रस्तुत किया।

इस कार्यक्रम में डॉ संतोष मालवीय, मधुरेश नारायण , ऋचा वर्मा, डॉ सुशील कुमार,  दुर्गेश मोहन, दिलीप,  आदि ने भी भाग लिया।

प्रस्तुति : ऋचा वर्मा ( सचिव, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना)

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