(समाचार विश्लेषण/खोजी रिपोर्ट)
सुनो कहानी पवन सेठ की : घड़ा पाप का भरा, झुनझुनवाला फिर जेल गया
(कृष्ण किसलय, समूह संपादक, सोनमाटी)
डेहरी-आन-सोन (बिहार)। बिहार और झारखंड के पुलिस रिकार्ड में कई किस्सों से वास्ता रखने वाला पवन झुनझुनवाला उर्फ पवन सेठ एक बार फिर गिरफ्तार होकर न्यायिक हिरासत में जेल के सींखचों के पीछे पहुंच गया। वह सबसे पहले वर्ष 2008 में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर झारखंड की जेल भेजा गया था। डेहरी-आन-सोन में चार दशकों से रक्तबीज की तरह जारी रहने वाले अवैध लाटरी नेटवर्क से इस लाटरी मटका किंग ने भी इतनी दौलत बटोर ली कि वह मारवाड़ी समाज का सिरमौर बन बैठा और अकूत काली कमाई के तिकड़म के बूते राजनीति में प्रवेश करने की जुगाड़ में जुट गया। चाटुकार प्रचार करते रहे हैं कि पवन झुनझुनवाला ऊंची चीज हैं, उनके मायावी नेटवर्क में लक्ष्मी थिरकती है और उनके दरबार में तथाकथित अनेक मीडियाकर्मी चाकरी करते हैं। मगर सभ्य समाज में सदियों से इस बात के उदाहरण भी मौजूद रहे हैं कि पाप का घड़ा एक दिन भरता है, पापी चाहे क्यों न अपनी रक्षा कवच के लिए समाजसेवा, धर्म या राजनीति की छद्म आड़ लेता रहा हो।
मीडिया जगत के वरिष्ठ सम्मानित प्रतिनिधि से की बदसलूकी
छद्म शोहरत के नशे में इस बदमिजाज ने सार्वजनिक स्थल पर मारवाड़ी सम्मेलन और समाज के लोगों के सामने विज्ञापन मांगने गए सोनमाटी के विशेष प्रतिनिधि और मीडिया जगत के वरिष्ठ सम्मानित से अकारण बदसलूकी की और मारवाड़ी समाज के मौजूद लोग खामोश बने रहे। सोनमाटी का विशेष प्रतिनिधि इसलिए विज्ञापन मांगने गया कि पटना से प्रकाशित दैनिकों के साथ स्थानीय मीडिया में मारवाड़ी सम्मेलन के वसंतोत्सव कार्यक्रम (22-23 फरवरी) के विज्ञापन दिए गए थे। मारवाड़ी सम्मेलन, ट्रस्ट और समाज के वरिष्ठों संत शर्मा (संरक्षक, कार्यक्रम संयोजक), अमित अग्रवाल (ट्रस्टी) से वार्ता के बाद ही सोनमाटी का विशेष प्रतिनिधि सार्वजनिक कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा था, जहां पवन झुनझुनवाला से पहली बार मुलाकात हुई। बदसलूकी के अपने आचरण पर इस हयाहीन माफिया को कोई मलाल नहीं हुआ और न ही मारवाड़ी सम्मेलन या समाज के लोगों ने संस्थागत प्रतिक्रिया की कोई जरूरत समझी। तब सोनमाटीडाटकाम (वेबपोर्टल) ने 21 फरवरी को प्रसारित रिपोर्ट में यह प्रश्न खड़ा किया था– सवाल : मारवाड़ी समाज बताए कौन है पवन झुनझुनवाला और राष्ट्रीय वसंत महोत्सव क्या निजी आयोजन है? इसके बाद सोनमाटी (पाक्षिक प्रिंट एडीशन) में भी 20 मार्च के अंक में खोजी रिपोर्ट प्रकाशित हुई– …और असली रूप में आ जाता है लाटरी माफिया का चेहरा !
पुलिस रिकार्ड में पवन झुनझुनवाला उर्फ पवन सेठ :
11 अप्रैल को हालांकि सोशल डिस्टेन्स का पालन भंग होने के प्रथमद्रष्टया आरोप (कांड सं. 272/20, भादवि धारा 178, 269, 270) में बिहार प्रदेश मारवाड़ी सम्मेलन की डेहरी-आन-सोन शाखा के अध्यक्ष और पुलिस रिकार्ड के पहले से लाटरी माफिया के रूप में कुख्यात पवन कुमार झुनझुनवाला को गिरफ्तार किया गया, मगर पुलिस रिकार्ड में अवैध लाटरी, जुआ, नशीला पदार्थ, ठगी आदि में दर्ज कांडों के मद्देनजर भी यह गिरफ्तारी आवश्यक समझी गई। इससे पहले 05 मार्च को डेहरी थाना पुलिस द्वारा आफताब आलम उर्फ मिंटू अवैध लाटरी टिकट बेचते हुए 10950 रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया। तब डेहरी थानाध्यक्ष पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने बताया कि इसके पीछे लाटरी टिकट कारोबार नेटवर्क के मास्टर माइंड की गिरफ्तारी होगी। हालांकि तब गिरफ्तारी नहीं हुई, क्योंकि पुलिस त्वरित कार्रवाई में चूक गई और मास्टर माइंड ने कोर्ट से जमानत ले ली। इस कांड के जांचकर्ता पुलिस सब-इंस्पेक्टर सूर्यभूषण प्रसाद ने दो हफ्ते बाद सोनमाटी के विशेष प्रतिनिधि को यह बताया कि अनुसंधान जारी है और गिरफ्तार अभियुक्त (आफताब आलम) ने दो गिरोह सरगना के नाम (एक झुनझुनवाला, दूसरा पासवान) बताए हैं। इससे एक साल पहले मार्च 2019 में तत्कालीन थानाध्यक्ष कामाख्या नारायण सिंह द्वारा बताया गया था कि सब-इंस्पेक्टर अरुण पासवान और तीन महिला पुलिसकर्मियों के साथ की गई छापेमारी में गिरफ्तार हुए दोनों अभियुक्तों ने अवैध लाटरी नेटवर्क के सरगना का नाम पवन सेठ उर्फ पवन झुनझुनवाला बताया है। डेढ़ साल पहले 05 अक्टूबर 2018 को रोहतास के वर्तमान पुलिस अधीक्षक सत्यवीर सिंह ने प्रेस कान्फ्रेन्स कर मीडिया प्रतिनिधियों को एसडीपीओ अनवर जावेद अंसारी द्वारा की गई छापेमारी का ब्यौरा दिया था कि काफी दिनों से अवैध लाटरी का धंधा करने वाले पवन झुनझुनवाला उर्फ पवन सेठ के पड़ाव मैदान स्थित पुराने मकान से 1600 से अधिक लाटरी टिकट, नकद राशि आदि बरामद की गई। बताया था कि पवन झुनझुनवाला पर बतौर मुख्य अभियुक्त डेहरी थाना में पहले से चार मामले (2006 में दो, 2007 में एक, 2012 में एक) भी दर्ज हैं। इस प्रकार डेहरी थाना में ही पिछले 14 सालों में पवन झुनझुनवाला पर केवल लाटरी कांड के छह मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें पुलिस द्वारा विस्तृत अनुसंधान और न्यायालय में आरोप-पत्र दायर होने का इंतजार है।
पहली बार दुमका में हुआ गिरफ्तार :
पवन झुनझुनवाला को पहली बार झारखंड राज्य के दुमका शहर में वर्ष 2008 में गिरफ्तार किया गया था। जब दुमका पुलिस ने कोर्ट में मटका किंग पवन झुनझुनवाला उर्फ पवन सेठ को हथकड़ी लगाकर प्रस्तुत किया, तब उस तस्वीर के साथ अंग्रेजी दैनिक (द टेलीग्राफ) में दुमका स्थित संवाददाता गौतम सरकार की रिपोर्ट छपी थी। पवन झुनझुनवाला उस समय पवन सेठ के नाम से ही ज्यादा जाना जाता था। आरोप था कि दुमका में लाटरी के धंधे के एक मामले में उसने 1.4 लाख रुपये की ठगी विकास गोराई से की थी। दुमका के पुलिस रिकार्ड में दर्ज दो अभियुक्तों (तिवारी और घुटघुटिया) में एक केबल चैनल संचालक था। तब दुमका शहर में झुनझुनवाला के लाटरी के 36 अवैध काउंटर थे। द टेलीग्राफ में प्रसारित उस खबर में झारखंड पुलिस अधिकारी के हवाले से यह जानकारी भी गई कि दुमका के कई मीडियाकर्मी झुनझुनवाला की छवि बनाते, पैरवी करते हैं। वैसा ही रिश्ता उसने डेहरी-आन-सोन में कई मीडिया प्रतिनिधियों से बना रखा है, जिसे अखबारों में प्रकाशित खबरों में देखा-समझा जा सकता है। इस संबंध में रोहतास जिला के वरिष्ठ पत्रकार-अधिवक्ता राजेश कुमार का सोशल मीडिया पोस्ट (अक्टूबर 2018) का जिक्र प्रासंगिक है कि इस लाटरी माफिया ने अपनी शादी की सालगिरह पर भव्य जश्न का आयोजन कर कुछ चुनिंदा मीडिया प्रतिनिधि को सूट के कपड़े, सोने की अंगूठी, पांच हजार नगद और एक को 38 हजार रुपये का मोबाइल फोन उपहार में दिए।
तो कहानी अभी बाकी है…! :
राज्य सरकारों को कोई टैक्स नहीं देने वाले, एक के बदले हजार-सौ की कमाई वाले और अत्यंत गरीबों को लूटने वाले अवैध लाटरी के धंधे का साम्राज्य बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में दशकों से कायम है। इस बड़े नेटवर्क में सैकड़ों मोबाइल सिम का इस्तेमाल होता है। डेहरी-आन-सोन का बारह पत्थर मुहल्ला तो चार दशकों से इस भूमिगत कारोबार का एक चिहिन्त मुख्यालय रहा है। अवैध लाटरी टिकट कारोबारी शराब और नशा सामग्री का भी अवैध कारोबार करते रहे हैं। यह बात समाज के लोग अच्छी तरह जानते हैं और पुलिस को भी बेहतर पता है कि लालच देकर, ठगी कर गरीब परिवार के लोग लाटरी का शिकार बनाए जाते हैं। जुए, नशाखोरी और ठग-कर्म के कारण गरीब घरों की घरेलू महिलाओं को अकल्पनीय-अवर्णनीय यातना और तकलीफ झेलनी पड़ती है। अपने सुपरविजन में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने एक कांड के अनुसंधानकर्ता को मुख्य अभियुक्त पवन झुनझुनवाला की चल-अचल संपत्ति और आय का जरिया पुलिस-डायरी में दर्ज करने का निर्देश दिया था। ताकि जरूरत होने पर कोर्ट उसे देख सके। उस सुपरविजन अधिकारी ने पीएमएल एक्ट और सीएल एक्ट के तहत उचित माध्यम से अवैध संपत्ति समाहरण प्रक्रिया का निर्देश भी दिया था। सवाल है, इस बात का जवाब तलाशने का काम क्या खुफिया आर्थिक अपराध विभाग का नहीं है कि पवन झुनझुनवाला राणी सती के नाम पर पानी की तरह बहाने के लिए करोड़ों रुपये का इंतजाम कहां से और कैसे करता है? बहरहाल, इंतजार है कि लाटरी नेटवर्क के तिलस्म को तोडऩे, अकूत अवैध कमाई के जरिया को जड़ से खत्म करने और आरोपपत्र के रूप में जांच निष्कर्ष को मजबूत साक्ष्यों के साथ न्यायालय की चौखट तक पहुंचाने के एक्शन-आपरेशन का यशकामी भगीरथ कार्य कोई न कोई विशेष पुलिस टीम करेगी। इस तरह कहा जा सकता है कि देवी राणीसती और मारवाड़ी सम्मेलन, ट्रस्ट के नाम पर अवैध दौलत की बदौलत शोहरत बटोरने के बहुचर्चित लाटरी माफिया की हकीकत की विस्तृत कहानी तो अभी सामने आनी बाकी है।
संपर्क :
सोनमाटी प्रेस गली, जोड़ा मंदिर, न्यू एरिया, डेहरी-आन-सोन, जिला रोहतास (बिहार) फोन 9708778136