अस्थाई है कठिन परिस्थिति, कोरोना से महायुद्ध में विजयी होंगे हम : डा. मालिनी राय
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक और संवेदना न्यूरोसायकिट्रिक रिसर्च सेन्टर की प्रबंध निदेशक डा. मालिनी राय (डेहरी-आन-सोन, बिहार) का कहना है कि आज पूरी दुनिया में कोविड-19 से लड़ाई कल्पनातीत स्तर तक पहुंच गई है। ऐसी दु:स्थिति मानव जाति के इतिहास में कभी नहीं आई। मरीजों की बढ़ती जा रही संख्या के मुकाबले स्वास्थ्य संसाधनों का कम होना और पूर्णबंदी (लाकडाउन) में घर में ही सिमटे रहने की स्थिति मानसिक रूप से कमजोर कर रही है। लोगों के मन में हतोत्साह, भविष्य की अनिश्चितता और भय भरता जा रहा है। एकाकीपन से अज्ञात चिंता, चिड़चिड़ापन, आक्रामकता, निराशा बढ़ रही है। फिर भी इस माहौल में हमें हौसला बनाए रखना है और मन से भय को भगाना है। सोचना है कि अनिश्चितता और भय-क्रोध जनक कुंठा के इस व्यापक परिवेश में हमें क्या करना चाहिए? डा. मालिनी राय ने सलाह दी है कि सबसे पहले अपने को मानसिक, व्यावहारिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाए रखें। शुद्ध, पौष्टिक आहार, व्यायाम, योग से शरीर की प्रतिरोधी क्षमता मजबूत करें और संयमित-सतर्क जीवनशैली अपनाएं, ताकि विषाणु संक्रमण का प्रसार नहीं हो। किसी भी युक्ति से, मनोरंजन से या मोबाइल फोन से आत्मीय जनों से संपर्क रखकर, स्वयं को व्यस्त रखें। वह कार्य करें, जो व्यस्तता के दिनों में नहीं कर सके थे। विश्वास रखें, यह कठिन परिस्थिति अस्थाई है और कोविड-19 पर हम विजय प्राप्त करेंगे।
रहें जागरुक और सतर्क, असहायों की करें मदद : डा. सरिता सिंह
रोहतास जिला (बिहार) की उच्च विद्यालय शिक्षा से सेवानिवृत्त वरिष्ठ शिक्षाविद डा. सरिता सिंह का कहना है कि कोराना की वैश्विक महाआपदा के इस वक्त में सभी को जागरूक रहने की जरूरत है और अपने आस-पास के असहायों पर नजर रखते हुए मानवीय गरिमा के साथ यथा सामर्थ्य उनकी मदद किए जाने की दरकार है। जैसीकि प्रदेश-देश-विदेश की परिस्थिति है, महामारी का प्रकोप लंबा चलने वाला है। इसलिए हर स्तर पर सतर्कता बरतना जरूरी है। सरकार की शर्तों का, प्रावधानों का पालन करें, साफ-सफाई पर खास ध्यान दें, घर में बने रहें और घर से बाहर निकलने पर मास्क का उपयोग जरूर करें। कोरोना विषाणु की महामारी से महायुद्ध में चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस बल मुख्य कोरोना वैरियर्स की भूमिका में हैं, जो अपनी जान दांव पर लगाकर घर से बाहर के मोर्चे पर रहते हुए हमारी सुरक्षा कर रहे हैं। इन सबका सम्मान-सहयोग हम सबका कर्तव्य है। कोरोना विषाणु से जारी समूची मानवता का महायुद्ध पूरी तरह तभी जीता जा सकेगा, जब हम घर में रहेंगे। घर में ही बने रहने में हमारी विजय है।
जरूरी है बचाव के उपायों पर कड़ाई से अमल : डा. अरविंद कुमार
वरिष्ठ होमियोपैथी चिकित्सक और ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केेंद्र (दरिहट, जिला रोहतास) के प्रभारी डा. अरविंद कुमार ने बताया कि सबसे पहले चीन के वुहान में दस्तक देने वाला कोरोना विषाणु जनित महामारी कोविड-19 आज भारत सहित दुनिया के लगभग सभी देशों में फैल चुकी है। कोरोना से मुक्ति के लिए दुनियाभर की प्रमुख प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक प्रयोग मेें जुटे हैं। यह चिकित्सा विज्ञान, वैश्विक अर्थतंत्र और संपूर्ण मानवता के लिए चुनौती बन गई है। देश-दुनिया के कामगार रोजी-रोजगार खत्म होने से भुखमरी की राह पर आ गए हैं। विश्व की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ठहर गई हैं और अब रसातल की ओर जा रही हैं। अभी तक कारगर इलाज (वैक्सीन, दवा) खोजा नहीं जा सका है, इसलिए बचाव के उपायों पर कड़ाई से अमल जरूरी है। हां, होमियोपैथी दवा एएलजी-30 पोटेंसी की एक बूंद लगातार सात दिन लेकर शरीर की प्रतिरोधी क्षमता मजबूत बनाई सकती है।
शिक्षक ने दिया एक प्रयोग का सुझाव : गौतम मध्य विद्यालय, डेहरी-आन-सोन के शिक्षक अरविंद कुमार ने बताया है, मेरे मन में एक विचार यह है कि जब साबुन से वायरस प्रभाव का विखंडन हो सकता है, तब क्या साबुन के रसायन को इनह्वेलर से फेफड़ों में सांस के जरिये भरने से कोरोना पर काबू नहीं पाया जा सकता? रसायन वैज्ञानिकों को इस दिशा में भी प्रयोग करना चाहिए और इसका परीक्षण चिकित्सा वैज्ञानिकों को करना चाहिए। यदि ऐसा हो सका तो एक बहुत सस्ता इलाज का विकल्प संभव हो सकेगा।
घुप्प अंधेरे में भी एक किरण संकटमोचन स्वास्थ्य सहायता केेंद्र
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। कोरोना महाआपदा के कारण पूर्णबंदी (लाकडाउन) से उत्पन्न विषम परिस्थिति में समाज के अति असहाय निर्धनों के लिए सोन कला केेंद्र के संरक्षक वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. एसबी प्रसाद के निर्देशन में पाली रोड स्थित प्रसाद हर्ट क्लिनिक परिसर में संकटमोचन स्वास्थ्य सहायता केेंद्र का संचालन किया जा रहा है। यह स्वास्थ्य केेंद्र निराशा के घुप्प अंधेरे में निर्धनों के लिए एक किरण की तरह सामने आया है। संकटमोचन स्वास्थ्य सहायता केेंद्र में जरूरतमंद मरीज स्टेशन रोड स्थित सोन कला केेंद्र के कार्यालय (शंकर लाज) से अनुमति कूपन प्राप्त कर इलाज के लिए जा सकते हैं। सोन कला केेंद्र के अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव और सचिव निशान्त राज के अनुसार, लाकडाउन की अवधि खत्म होने पर संकटमोचन स्वास्थ्य सहायता केेंद्र सप्ताह में सिर्फ एक दिन रविवार को ही इलाज होगा, ऐसा फैसला सोन कला केेंद्र की वीडियो कांफ्रेेंसिंग के जरिये हुई रात में टेलीमीटिंग में लिया गया। इस दूर-संपर्क बैठक में सोन कला केेंद्र के अध्यक्ष, सचिव, डा. प्रसाद के साथ कार्यकारी अध्यक्ष जीवन प्रकाश, कोषाध्यक्ष राजीव सिंह, उपसचिव सत्येन्द्र गुप्ता आदि ने भाग लिया।
उधर, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा के आह्वान पर मजदूर दिवस पर राज्यभर में जगह-जगह लाकडाउन का पालन करते हुए रालोसपा नेताओं द्वारा अपने आस-पास के दैनिक मजदूरों को आर्थिक मदद के साथ अंगवस्त्र देकर सम्मानित करने का कार्यक्रम किया गया। अपने गांव कर्मा में भी यह आयोजन रालोसपा के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष अखिलेश सिंह ने अपने नेतृत्व में किया, जिसमें भीम सिंह सहित कई वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित थे।
(रिपोर्ट, तस्वीर : अवधेशकुमार सिंह, निशान्त राज)
(कविता) वेदना के स्वर !
मैं तुम्हारी वेदना के स्वर नहीं अब सुन सकूंगा,
पीर हरने को तुम्हारे द्वार पर ही आ रहा हूं।
देना चुनौती परम सत्ता को तुम्हारी भूल थी
मान बैठे सुखद छाया जो दुखों की मूल थी
पर नहीं संकेत समझे अहर्निश बतला रहा हूं
पीर हरने को तुम्हारे द्वार पर ही आ रहा हूं।
बो लिए कांटे स्वयं के मार्ग में तुमने कंटीले
विषभरी जिन क्यारियों में फल नहीं मिलते रसीले
तुम उन्हीं को सींचते हो जब मना मैं कर रहा हूं
पीर हरने को तुम्हारे द्वार पर ही आ रहा हूं।
तुम हठीले चूर मद में बात कुछ सुनते नहीं क्यों
रक्तरंजित नेत्र खोले स्वप्न मृदु बुनते नहीं क्यों
सुखी जीवन का तुम्हारे सूत्र मैं बतला रहा हूं
पीर हरने को तुम्हारे द्वार पर ही आ रहा हूं।
पीढिय़ों की जिंदगी क्यों बोझ करते जा रहे हो
राष्ट्र की धारा से कटकर तुम विलग क्यों हो रहे हो
आओ चलो फिर साथ मेरे मैं पुन: समझा रहा हूं
पीर हरने को तुम्हारे द्वार पर ही आ रहा हूं।
डा. भगवान प्रसाद उपाध्याय (कवि, पत्रकार)
गंधियांव, करछना, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
फोन 8299280381
(कविता) क्या बता सकते हो ?
मैं मोहब्बत की किताब में लिखी
दिलकश इबारतों को पढऩा चाहता हूं
उसके सुनहरे हरफों को चूमना चाहता हूं
उस किताब के हर पन्ने की नायाब खुशबू को
अपनी सांसों में भर लेना चाहता हूं,
मैं जानना चाहता हूं
कैसी होती है मोहब्बत की पवित्र आग
जो जवां दिलों में सुलगती रहती है दिन-रात
जो गरीब दशरथ मांझी को अता फरमाती है
उसकी राह में आड़े आने वाले पहाड़ को
चूर-चूर कर देने की वह अजीम ताकत।
मैं यह भी जानना चाहता हूं
कैसी होती है नफरत की नापाक आग
जो कभी हिरोशिमा और नागासाकी को
जो कभी गोधरा तो कभी भिवंडी को
जलाकर कर देती है राख
ये कैसा जादू है कैसा करिश्मा है
हमारे दिल में हमारे जिस्म में हमारी रूह में
मोहब्बत की आग जो हसीन फूल खिलाती है
वो अचानक नफरत में तब्दील हो जाती है
जो कभी हमें लाश में कभी शहर को राख में
तब्दील कर जाती है।
क्या तुम बता सकते हो दोस्त
कौन दरवेश का भेस धरकर
दिल के दुआरे पर आकर
दुआ के लिए फैले हमारे दामन में
नफरत की आग भरकर चला जाता है
जिससे कभी गोधरा तो कभी भिवंडी शहर
देखते ही देखते मरघट में बदल जाता है।
कुमार बिंदु (कवि, पत्रकार)
पाली, डेहरी-आन-सोन, जिला रोहतास (बिहार)
फोन 9939388474