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देश-दुनिया में सुरसा जैसा बढ़ता जा रहा कोविड-19 का साइड इफेक्ट
– कृष्ण किसलय
(समूह संपादक, सोनमाटी मीडिया समूह)
कोराना का वैश्विक सामाजिक साइड-इफेक्ट सुरसा जैसा फैल रहा है। रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र पर असर स्पष्ट दिख भी रहा है। मौजूदा शिक्षा-व्यवधान तो मानव सभ्यता के इतिहास में पहली बार वैश्विक विराट रूपमें है।
कोरोना वायरस का सामाजिक साइड इफेक्ट देश-दुनिया में सुरसा के मुंह जैसा फैलता जा रहा है। देश में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या 13 लाख के करीब और जान गंवाने वालों की संख्या 29861 हो चुकी है। जिंदगी कई स्तरों पर बुरी तरह प्रभावित है। शिक्षा और रोजगार पर असर साफ-साफ दिख रहा है। यूनेस्को ने बताया है कि दुनियाभर के 160 करोड़ बच्चे और किशोर स्कूलों-कालेजों से बाहर हैं। पूरे विश्व कीपूरी एक पीढ़ी के इस व्यापक शिक्षा-व्यवधान को समूची मानव सभ्यता अपने इतिहास में पहली बार बेवश बनी हुई निरुपाय देख रही है। एमआईटी (अमेरिका) की शोध रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अगले महीनों में भारत मेंंहर रोज तीन लाख लोग कोविड-19 संक्रमित होंगे। यह बेहद चिंताजनक सूचना है। लाकडाउन की आर्थिक परेशानी से जूझ रहे परिवार तो बच्चों को नए सत्र में नामांकन कराने की सोच भी नहींपा रहे। भारत की गैर-सरकारी संस्था ‘सेव द चिल्ड्रेनÓ की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में एक करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा पाएंगे। विदेशी मुद्रा की नियमित कमाई करने के मामले में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में रह है। प्रवासी भारतीयों की यह कमाई देश के जीडीपी की करीब तीन फीसदी होती है। मगर अपने परिवार और देश की आय में इजाफा कर विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने लाखों प्रवासी अब अपने देश लौट आए हैं या लौटा दिए गए हैं।
बैक्सीन की रेस में कौन निकलेगा आगे ? :
भारत सहित दुनिया में कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने की रेस जारी है। स्वास्थ्य विज्ञान की पत्रिका ‘लैन्सेटÓ में प्रकाशित शोधपत्र के अनुसार, आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा पांच स्थानों पर 18-55 वर्ष के लोगों पर दो चरणों के मानवीय परीक्षण के परिणाम सफल रहे हैं। इस परीक्षण के अंतर्गत जिन व्यक्तियों को वैक्सीन दी गई, उनमें सिरदर्द, बुखार, बदनदर्द पैरासिटमाल की गोली से ठीक हो गए। तीसरे चरण का परीक्षण हो रहा है। आक्सफोर्ड की टीम ब्रिटेन की फार्मास्यूटिकल कंपनी के साथ अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृखंला बनाने की दिशा में भी काम कर रही है, जिसका भारते के पुणे स्थित बैक्सीन निर्माता कंपनी से भी करार है। भारत में सबसे पहला बैक्सीन परीक्षण पटना एम्स में शुरू हुआ। अब देखना है, कोरोना से जंग की होड़-दौड़ में कौन कितना आगे रहता और कितना सफल होता है? बिहार में तो कोरोना महामारी विस्फोटक कगार पर है, जहां पिछले हफ्तों में तेजी से बढ़ संक्रमितों की संख्या 32 हजार के करीब और मौत की संख्या 249 हो गई। केेंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम राज्य का दौरा कर राज्य के स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से विमर्श कर और हालात का जायजा लेकर लौट चुकी है, इस आश्ïïवासन के साथ कि हर संभव मदद बिहार को मिलेगी। राज्य सरकार को घर से बाहर बिना मास्क लगाकर निकलने वालों पर व्यापक स्तर पर जुर्माना अभियान चलाने का आदेश देना पड़ा और 16 दिनों का लाकडाउन भी लगाना पड़ा है। प्रदेश सरकार का यह प्रयास है कि जल्द ही प्रखंड मुख्यालयों में कोरोना से संबंधित टेस्ट की व्यवस्था कर दी जाए। बहरहाल, मास्क और सतर्कता ही कोरोना बचाव के मौजूदा सुलभ उपाय हैं।
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बिहार के सियासी गलियारे में मौत, चार डाक्टरों की भी बलि :
पटना/सासाराम/डेहरी-आन-सोन/दाउदनगर (औरंगाबाद)-सोनमाटी टीम। बिहार में कोरोना महामारी ने 03 राजनेताओं और चार वरिष्ठ चिकित्सकों की जान ले ली। भाजपा के विधान परिषद सदस्य सुनील कुमार सिंह कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद पटना एम्स में भर्ती हुए थे, मगर उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई और अंतत: 21 जुलाई वह कोरोना से जिंदगी की जंग हार गए। कोराना से सियासी गलियारा में यह पहली मौत है। राजधानी पटना में आरजेडी के वरिष्ठ नेता दानापुर क्षेत्र से विधानसभा के प्रत्याशी और दानापुर नगर परिषद के उपाध्यक्ष रहे राजकिशोर यादव की कोविड-19 से 22 जुलाई को मौत हो गई। राजकिशोर यादव 17 तारीख को कोरोना संक्रमित होने के बाद एम्स में भर्ती हुए थे। जबकि पीएमसीएच, पटना में भर्ती गया जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष बिंदी यादव की मौत भी कोरोना से 23 जुलाई को हो गई। पिछले दिनों विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेशनारायण सिंह, राज्य सरकार के मंत्री विनोद कुमार सिंह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, भाजपा सांसद रामकृपाल यादव, राजद के वरिष्ठ नेता डा. रघुवंश प्रसाद सिंह, भाजपा विधायक सत्यनारायण सिंह यादव आदि अनेक मंत्री, सांसद, विधायक, चिकित्सक, अभियंता, पुलिस अधिकारी कोरोना संक्रमित हुए, जांच में पाजिटिव पाए गए, मगर अस्पतालों और घरों में पूरी तरह पृथकवास (क्वरांटइन) में रहकर उबरने में सफल रहे।
एम्स अस्पताल में डाक्टर की कोरोना से पहली मौत :
कोविड-19 से संक्रमणग्रस्त पीएमसीएच के ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. एनके सिंह की भी कोरोना से 21 जुलाई को एम्स में सात दिन तक भर्ती रहने के बाद मौत हो गई। उनकी रिपोर्ट 06 जुलाई को पाजिटिव आई थी। कोरोना से एम्स अस्पताल के किसी डाक्टर की कोरोना से पहली मौत है। इसके बाद समस्तीपुर जिला के सिविल सर्जन आरआर झा की पटना एम्स में 22 जुलाई को मौत हो गई। डाक्टर झा की 13 जुलाई को जांच की हुई थी, जिसमें संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उन्हें इलाज के लिए पटना एम्स में भर्ती किया गया था। इसके बिहार स्वास्थ्य सेवा से सेवानिवृत डा. कल्याण कुमार की मौत हो गई, जो भोजपुर जिला के शाहपुर में निजी प्रैक्टिस करते थे। पटना एम्स में ही 13 जुलाई को गया निवासी डा. अश्विनी कुमार (59 वर्ष) की मौत हो गई, जो गया में निजी प्रैक्टिस करते थे। वह 03 जुलाई को पटना एम्स में भर्ती हुए थे।
रोहतास में 541 एक्टिव मरीज, मगर बेड दो सौ ही :
बिहार के सोन नद अंचल के जिलों रोहतास में 90 हजार 995 संदिग्धों की जांच में 1130 कोरोना पाजिटिव और औरंगाबाद में 09 हजार 729 संदिग्धों की जांच में 504 कोरोना पाजिटिव पाए गए। रोहतास जिला में कोविड-19 पुष्टि वाले 541 मरीज हैं, मगर कोरोना के चिकित्सार्थ सासाराम सदर अस्पताल में 100 और एनएमसीएच, जमुहार में 100 बेड हैं। स्वास्थ्य विभाग कोई उपाय नहीं होने की वजह से मरीजों को जरूरी हिदायत और दवा के साथ होम आइसोलेशन में भेज रहा है। होम आइसोलेशन के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की अलग टीम बनाई गई है। रोहतास के जिलाधिकारी पंकज दीक्षित ने ने सदर अस्पताल का 22 जुलाई को निरीक्षण किया और यह निर्देश दिया कि फ्लू कार्नर में स्क्रीनिंग के बाद ही संबंधित चिकित्सक के पास किसी भी मरीजों को भेजा जाए।
मौत की खबर झूठी, प्राथमिकी दर्ज :
डेहरी-आन-सोन में मां देवरानी देवी चिकित्सालय के वरिष्ठ संचालक चिकित्सक डा. निर्मल कुमार की कोरोना से मौत की झूठी खबर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर डिहरी पुलिस थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है। सोन कला केेंद्र के अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव और उपाध्यक्ष अरुण कुमार शर्मा (जदयू नेता) ने बताया कि डा. निर्मल कुमार सोन कला केेंद्र के संरक्षक है, जो स्वस्थ-सलामत हैं। पुलिस जांच कर रही है कि सोशल मीडिया पर इस तरह का आपत्तिजनक क्यों पोस्ट किया गया?
पत्रकार वारिस अली के पिता का निधन :
डेहरी-आन-सोन के वरिष्ठ पत्रकार वारिस अली के पिता मोहम्मद जमालुद्दीन रोहतासवी का निधन जक्की बिगहा (वार्ड-24) स्थित अपने निवास पर हुआ। सकला बाजार के मूल निवासी 84 वर्षीय मरहूम रोहतासवी सरकारी विभाग से सेवानिवृत्त थे और पिछले महीनों से बीमार चल रहे थे। अपने समाजवादी रूझान और बिक्रमगंज (अब काराकाट) लोकसभा क्षेत्र के सांसद रहे रामअवधेश सिंह के साथ समाजवादी कार्यकर्ता के रूप में भी सक्रिय रहे और संपादक के नाम पत्र लिखकर समस्यों को सामने लाने वाले मो. जमालुद्दीन रोहतासवी अपने परिचय-वृत्त में नेताजी के नाम से जाने जाते थे।
रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत कुमार, इनपुट : उपेन्द्र कश्यप, अर्जुन कुमार, पापिया मित्रा