घास खानेवाली लड़की चंडीगढ़ के ‘रन-वे’ पर/ जीएनएसयू में संकाय विकास कार्यक्रम/ माघ अमावस्या पर संगम-स्नानार्थियों का रेला

दूब घास खाकर पैदा किया दम, चंड़ीगढ़ में दौड़ेगी सोन-घाटी की बेटी

नौहट्टा/डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-गोविंद मिश्रा/विजयकुमार पाठक। हौसला बुलंद है बिहार की सोन-घाटी की इस बेटी का, जिसने घास (दूब) खाकर अपने शरीर में दौडऩे का दम पैदा किया है। समाज के अति पिछड़े समुदाय से आने वाली इस बेटी ने जब से होश संभाला, तब से सामने पहाड़ खड़ा देखा और देखा पहाड़ जैसी ही गरीबी। मगर इस पर्वतपुत्री ने अपने जज्बे को पर्वतशिखर जैसा बनाया। कहते हैं, हौसला बुलंद हो तो बड़ी मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं। रोहतास जिला के सीमांत पर्वतीय थाना चुटिया के पड़रिया गांव के खेत मजदूर भूपेंद्र चौधरी की बेटी कुमारी शोभा का संकल्प और साहस पिछड़े समाज की हर उस बेटी के लिए सीख है, नजीर है, जो अभावों और गरीबी में जीवन गुजार रही हैं। शोभा ने अपनी मुश्किल को अवसर में बदल दिया। वह अपने गांव पड़रिया से प्रतिदिन 06 किलोमीटर दूर नौहट्टा बाजार में कोचिंग करने दौड़कर जाती है। अपने गांव पड़रिया के राजकीय विद्यालय से आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने बाद उसका नामांकन चुटिया के उच्च विद्यालय में हुआ, जहां दौड में उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया। दौड़ प्रतियोगिता में उसकी तेज सहभागिता ने हाई स्कूल के शिक्षकों का ध्यान आकृष्ट किया। उसे दौड़ का अभ्यास करने की सलाह दी गई और संभव मदद का आश्वासन दिया गया। उसे परिवार वालों का बिना बंदिश साथ मिला तो उसने गांव से बाहर निकलकर कैमूर पर्वत के पूरब स्थित सोन नदी के किनारे दौडऩा शुरू किया। आज वह हर रोज अपने गांव पड़रिया से गांव पंडुका तक सोन किनारे तीन किलोमीटर की दौड़ लगाती है। अपनी शरीर की एथेलिटिक क्षमता को बनाए रखने के लिए वह चार घंटों तक व्यायाम करती है और शरीर की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए सुबह दूब घास पीसकर पीती है, क्योंकि उसे घर में खेल के अनुकूल पर्याप्त भोजन की सुविधा नहीं है।

मुकाम के लिए कुमारी शोभा ने की कठोर मेहनत :

(कुमारी शोभा)

अपनी मेहनत की बदौलत कुमारी शोभा ने बिहार एथलेटिक्स में 03 फरवरी को राज्यस्तरीय स्वर्णपदक पाने का मुकाम हासिल किया। एथलेटिक्स कोच विनय कृष्ण की देखरेख में उसने नवादा में संपन्न बिहार एथलेटिक्स में स्वर्णपदक प्राप्त किया है। अब उसका लक्ष्य 21 फरवरी को चंडीगढ़ की राष्ट्रीय स्तर की दौड़ प्रतियोगिता में स्थान बनाने की है। हवाई जहाज से उसके और उसके कोच के चंडीगढ़ जाने के लिए पैसे की व्यवस्था महिला फुटबाल संघ के अध्यक्ष आलोक कुमार सिंह की ओर से की गई है। जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय, डेहरी-आन-सोन में प्लस-टू की इस होनहार छात्रा को मदद देने के लिए कई हाथ उठे हैं। ऐसे ही एक सहयोग-दाता गांव के रसूलपुर पंचायत के पूर्व मुखिया उम्मत रसूल ने शोभा को राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए बधाई देते हुए भविष्य में भी संभव सहयोग का अश्वासन दिया है।

जीएनएसयू में संकाय विकास के कार्यक्रम

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-विशेष संवाददाता। जमुहार स्थित गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय (जीएनएसयू) के प्राध्यापकों के लिए आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत इफेक्टिव टीचिंग कार्यक्रम में भारतीय खानि विद्यापीठ (धनबाद) के प्रबंधन विभाग के पूर्व अध्यक्ष और झरिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद पाठक ने कहा कि शिक्षकों के लिए स्वाध्याय बेहद जरूरी है। गुणवत्ता युक्त संसाधान से लैस होकर ही श्रेष्ठ शिक्षक बना जा सकता है। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मोहनलाल वर्मा और सचिव गोविंदनारायण सिंह ने संयुक्त रूप से किया। विश्वविद्यालय देश और समाज को ज्ञानवान बनाने के साथ आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाता है। कार्यक्रम के तहत प्रबंधन और वाणिज्य के विद्यार्थियों के लिए कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। बिहेवियरल डाइमेंशंस आफ मैनेजरियल स्किल्स नामक इस कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थियों को कौशल समागम के लिए उत्प्रेरित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रबंधन शिक्षा संकाय के प्रमुख प्रो. आलोक कुमार ने किया और अंत में सुदीप कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

माघ अमावस्या स्नान के लिए टूट पड़ा आदमी का रेला

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)-डा. भगवान प्रसाद उपाध्याय। 150 साल बाद आए पुंयलाभ सुयोग के लिए प्रयागराज के संगम तट पर अपार जन-समुद्र उमड़ पड़ा है। श्रद्धालुओं की भीड़ की रेलमरेल ऐसी कि कोरोना काल की सामाजिक दूरी अनुपालन का दो गज दूरी का मानक ध्वस्त हो गया है। भागीरथी गंगा, रवितनया कालिन्दी यमुना और ज्ञानदायिनी सरस्वती के संगम तट पर मौनी अमावस्या के अवसर पर पवित्र स्नान के लिए बहुत बड़ी संख्या में लोग जुटे। ज्योतिष गणना के अनुसार मकर राशि में गुरुवार को सूर्य, गुरु और चंद्र तीनों ग्रह-उपग्रह पिंडों के एक साथ होने से स्नान महत्वपूर्ण हो गया। श्रीदेवरहाबाबा सेवाश्रम शिविर, प्रयागराज के संचालक डा. रामेश्वर प्रपन्नाचार्य शास्त्री का कहना है कि एक सौ पचास वर्षों के बाद ऐसा पुण्यदायक योग बना है। आस्था की इस रेला के आगे कोविड-19 नियंत्रण मेला प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा बन गई। अमावस्या स्नान के लिए लोगों ने संगम के पानी में गोता लगाया। भीड़ इतनी कि प्रयागराज के किसी आश्रम, मठ, मंदिर, अखाड़ा, सरकारी पंडाल में जगह नहीं बची।

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