(प्रसंगवश/कृष्ण किसलय) : अधर में पंचायत चुनाव

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अधर में पंचायत चुनाव
-कृष्ण किसलय (संपादक : सोनमाटी)

बिहार में पांच सालों के लिए निर्वाचित होने वाली गांव की सरकार ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) की पेंच में इस तरह उलझ गई है कि इस बार इसका गठन समय पर नहींहोगा। इस मसले पर राज्य की ग्रामीण जनता के साथ चुनाव आयोग और राज्य सरकार को पटना उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार है। मसला यह है कि बिहार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के अंतर्गत छह पदों का निर्वाचन नए माडल की ईवीएम से हो या पुरानी बैलेट वाली पद्धति से हो? वैधानिक रूप से बिहार पंचायती राज की सभी समितियां और पद 15 जून तक ही प्रभावी हैं। इस लिहाज से पंचायत चुनाव अप्रैल-मई में संभावित था। मगर मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से अब पंचायत चुनाव में कई महीनों की देरी हो चुकी है, क्योंकि राज्य चुनाव आयोग पंचायत चुनाव की घोषणा न्यायालय का निर्णय आने के बाद ही कर सकेगा। हालांकि हाई कोर्ट की न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की एकल पीठ ने 15 मार्च की अदालती तारीख पर सुनवाई के दौरान दोनों आयोगों (केेंद्र और राज्य) को आपसी वार्ता के जरिये समाधान निकालने की सलाह दी थी। अगर ईवीएम मुद्दा इस महीने (अप्रैल), जैसीकि संभावना है, कोर्ट के फैसले के बाद सुलझ जाता है तो पंचायत चुनाव परिणाम प्रस्तावित नौ चरणों की विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद अगस्त-सितम्बर तक ही आ सकेगा।

जारी है चुनाव आयोग की तैयारी :

वैसे बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की अपनी तैयारी पहले से जारी है। भारत निर्वाचन आयोग ईवीएम मसला का हल निकालने के लिए बिहार राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त दीपक प्रसाद को तकनीकी टीम के साथ 14 अप्रैल को दिल्ली बुला चुका है। पंचायत चुनाव की तैयारी के तहत राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव योगेन्द्र राम 08 अप्रैल को वीडियो कान्फ्रेन्स के जरिये हर जिले में तैयारी की समीक्षा कर पिछले चुनाव खर्च का ब्योरा, मतदाता सूची में नाम जोडऩे और डिजिटाइजेशन के बाबत जरूरी निर्देश दे चुके हैं। विभिन्न जिलों के 300 से अधिक पंचायत क्षेत्रों के नगर निकायों की सीमा में आने के बाद की स्थिति पर भी राज्य चुनाव आयोग सभी जिलों से संबंधित रिपोर्ट तलब कर चुका है। इससे पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला पार्षद, मुखिया, सरपंच, वार्ड पंच और पंचायत समिति सदस्य आदि पदों को डिजिटाइज करने का निर्देश दिया था। राज्य में आरक्षित पदों की निर्वाचन आयोग से अनुमोदित सूची चुनाव आयोग कार्यालयों और जिला कार्यालयों में हैं, मगर डिजिटाइजेशन से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के सभी प्रत्याशियों से संबंधित जानकारी एक साथ प्राप्त हो सकेगी। चुनाव आयोग ने पंचायत पदों के आरक्षण को डिजिटाइज कराना इसलिए अनिवार्य माना है कि प्रत्याशियों के नामांकन, उनके नामांकन पत्रों की जांच, मतगणना, निर्वाचन प्रमाणपत्र और प्रपत्र-23 तैयार करने में असुविधा या तकनीकी अवरोध नहींहो। आरक्षित पदों के सार्वजनिक होने से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अधिक पारदर्शी भी होगा।

मसला नए माडल की ईवीएम का :

दरअसल पंचायत चुनाव के ईवीएम के उन्नत एकीकृत माडल से हो या बैलेट पेपर के पुराने ढर्रे की तरह हो, इस मुद्दे पर केेंद्रीय निर्वाचन आयोग और बिहार राज्य निर्वाचन आयोग के बीच विवाद है। राज्य निर्वाचन आयोग सिंगल पोस्ट इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से मतदान के पक्ष में नहींहै, क्योंकि यह तो पुराने बैलेट पेपर से मतदान की तरह ही होगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहार पंचायती राज के छह पदों जिला परिषद अध्यक्ष, मुखिया, सरपंच, जिला परिषद सदस्य, प्रखंड समिति सदस्य और पंचायत वार्ड सदस्य के चुनाव के लिए विशेष माडल की ईवीएम का सुझाव-प्रस्ताव दिया है। ताकि एक ईवीएम से सभी छह पदों का एक साथ चुनाव हो जाए अन्यथा छह पदों के चुनाव के लिए हर बूथ पर कम-से-कम छह-छह ईवीएम रखना होगा। हर पद के लिए अलग-अलग ईवीएम होने से आर्थिक बोझ के साथ मानव श्रम संसाधन भी अधिक लगेगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने इसी मुद्दे को लेकर 19 फरवरी को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ईवीएम की खरीद ईसीआईएल (इलेक्ट्रनिक कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड) से होनी है, जिसके लिए भारत निर्वाचन आयोग को कोर्ट में अनापत्ति प्रमाणपत्र दाखिल करना है। ग्राम पंचायत चुनाव पद्धति प्रकरण में पटना हाई कोर्ट में सुनवाई को लेकर 19 फरवरी के बाद 12 अप्रैल को सातवींअदालती तारीख पड़ चुकी है।

बिहार में 8386 मुखिया, इनमें 3772 महिलाएं :

बिहार पंचायत राज विभाग के अनुसार राज्य के ग्राम पंचायतों में मुखिया के कुल 8386 पद हैं, जिसमें 3772 पद महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 1388 मुखिया पदों में महिला के लिए 562 पद सुरक्षित हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए मुखिया के 92 आरक्षित पदों में 21 पद महिला के लिए हैं। जबकि पिछड़ा वर्ग के लिए 1441 मुखिया के पदों में महिला के लिए 585 पद हैं। इसी तरह ग्राम कचहरी के सरपंचों के कुल 8386 पदों में महिलाओं के लिए 3772 पद सुरक्षित हैं। सरपंच के पदों में अनुसूचित जाति के लिए 1388 पद (महिला 562), अनुसूचित जनजाति के लिए 92 पद (महिला 21) और पिछड़ा वर्ग के लिए 1441 पद (महिला 585) आरक्षित हैं। राज्य में पंचायत के वार्ड सदस्यों के कुल 114733 पद हैं, जिसमें महिलाओं के लिए 51998 पद सुरक्षित हैं। पंचायत वार्ड सदस्यों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 19037 पदों में 7469 पद, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 1223 पदों में 300 पद और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित 18561 पदों में 7890 पद महिलाओं के लिए हैं। पंचायत समिति के सदस्यों के कुल 11497 पद हैं, जिसमें महिलाओं के लिए 5341 पद सुरक्षित हैं। पंचायत समिति सदस्यों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 1910 पदों में 819 पद, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 131 पदों में 35 पद और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित 2049 पदों में 903 पद महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं।

38 जिला परिषद अध्यक्षों में 18 महिला :

बिहार में जिला परिषद के अध्यक्ष पद के लिए 38 पदों पर चुनाव होगा, जिनमें महिलाओं के लिए 18 पद सुरक्षित हैं। इनमें 38 पद अनुसूचित जाति (6 महिला) और एक ही पद (महिला नहीं) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। पिछड़ा वर्ग से 07 जिला परिषद अध्यक्ष चुने जाएंगे, जिनमें तीन महिलाएं होंगी। जिला परिषद सदस्यों के भी 1161 पदों पर चुनाव होगा, जिसमें महिलाओं के लिए 548 पद सुरक्षित हैं। जिला परिषद सदस्यों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 195 पदों में 87 पद, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 13 पदों में दो पद और पिछड़ा वर्ग के आरक्षित 217 पदों में 101 पद महिलाओं के लिए हैं। इनके अलावा प्रखंड प्रमुख के लिए इस बार 538 पदों पर चुनाव होगा, जिनमें 236 पद महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं। इनमें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 92 पदों में 36 पद महिला के लिए हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 5 पदों में कोई भी महिला के लिए नहीं है। पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित 93 पदों में महिलाओं के लिए 36 पद हैं।

निर्धारित समय पर नहीं होगा पंचायत चुनाव :

बहरहाल, यह तो तय हो चुका है कि बिहार में इस बार पंचायत चुनाव अपने निर्धारित समय पर नहींहोगा। न्यायालय का फैसला आने और नए माडल की ईवीएम बनाने में निर्माता कंपनी (ईसीआईएल) को कम-से-कम एक महीना का समय लगेगा। इस माडल की ईवीएम मशीन की आपूर्ति हो जाने और चुनाव आयोग की अधिसूचना जारी होने के बाद नौ चरणों के मतदान परिणाम के आने तक जाहिर है कि अगस्त का महीना पहुंच जाएगा। जबकि पिछला पंचायत चुनाव 24 अप्रैल तक हो चुका था और इसकी अधिसूचना 25 फरवरी को ही जारी कर दी गई थी। इस स्थिति में यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या चुनाव होने तक ग्रामीण इलाकों का विकास कार्य बाधित रहेगा? बिहार में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के अधिसंख्य कार्य पंचायती राज व्यवस्था के तहत ही हो रहे हैं। पंचायती राज की मूल संस्था ग्राससभा है, जिसमें विकास संबंधी फैसला ग्रामीणों की बैठक में करने का प्रावधान है। ग्राम कचहरी, पंचायत समिति और जिला परिषद ग्रामीण जनता के प्रतिनिधित्व वाली संस्थाएं हैं। ऐसी स्थिति में शायद बिहार सरकार पंचायत चुनाव होने तक गांवों के विकास को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए ग्राम पंचायतों को प्रखंड के प्रशासनिक अधिकारियों के सीधे नियंत्रण में रखने का फैसला कर सकती है। ऐसा 15 साल पहले हो चुका है।

  • कृष्ण किसलय, पटना

संपर्क : सोनमाटी-प्रेस गली, जोड़ा मंदिर, न्यू एरिया, डालमियानगर-821305, जिला रोहतास (बिहार) फोन 9523154607, 9955622367 व्हाट्सएप 9708778136

देहरादून (दिल्ली) से प्रकाशित समय-सत्ता-संघर्ष की पाक्षिक पत्रिका चाणक्य मंत्र के 16-31 अप्रैल के अंक में प्रकाशित बिहार (पटना) से कृष्ण किसलय की राजनीतिक रिपोर्ट

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