लघुकथा के प्रति जन आकर्षण बढ़ा है : सिद्धेश्वर
पटना (सोनमाटी समाचार नेटवर्क )। कई दशक पहले से ही हिंदी में लघुकथाओं के लेखन का चलन जारी था। किंतु तब लघुकथा को व्यापक स्वरूप नहीं मिला था। यहां तक कि समीक्षक हो या आलोचक, लघुकथा को, स्वतंत्र विधा के रूप में भी नहीं आकलन करते थे। सातवें दशक के बाद लघुकथा एक आंदोलन का रूप अख़्तियार किया। बिहार से आरम्भ यह आंदोलन पूरे देश भर में फैल गया। और तब हर प्रांत में लघुकथा को लेकर चर्चाएं होती रही। कई वर्ष को लघुकथा वर्ष भी घोषित किया जाता रह। क्योंकि मैं इस लघुकथा आंदोलन में शामिल था, इसलिए एक- एक दृश्य मेरी आंखों में जीवंतता बनाए हुए रहती है। लघुकथाओं पर आलोचना और समीक्षाएं भी खूब होने लगी। इसके स्वरूप पर चर्चाएं होती रही। और अंततः इसे एक विधा के रूप में स्थापित किया गया।
लघुकथा 20वीं शताब्दी से 21वीं शताब्दी में अपना पैर जमा चुकी है। ढेर सारे मुख्य धारा के कथाकार और कवि लघुकथा सृजन कर रहे हैं। जब से साहित्य सोशल मीडिया पर अधिक लिखी पढ़ी जा रही है, लघुकथा के प्रति जन आकर्षण बढ़ता जा रहा है। नई पीढ़ी के रचनाकार लघुकथा सृजन के प्रति अधिक जागरूक और प्रयासरत है। खासकर महिला की अपेक्षा पुरूष साहित्यकार, इधर अधिक लघुकथा का सृजन कर रहे हैं और अपनी अलग पहचान भी बना रहे हैं।
उक्त बातें भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वधान में फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर ऑनलाइन के माध्यम से साहित्य पाठशाला आयोजन का संचालन कर रहे सिद्धेश्वर ने कहा।
उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि कई नए रचनाकार इस पाठशाला में शामिल हो रहे हैं और लाभ उठा रहे हैं l
योगराज प्रभाकर ने कहा कि पटल पर ढेर सारी लघुकथाएं आ रही है, लेकिन अधिकांश लघुकथाएँ लघुकथा के मानक पर खरी नहीं उतरती। लघुकथा के सृजन के पहले रचनाकारों को अच्छी लघुकथाएं खूब पढ़ने की जरूरत है। सिर्फ प्रकाशित रचनाओं की भीड़ लगाने से कोई लाभ होने वाला नहीं है, ना साहित्यकार को और ना साहित्य को।
अनीता रश्मि, अनीता पंडा, दीप्ति, अर्चना, सपना चंद्रा, विज्ञान व्रत, आलोक चोपड़ा, निधि गौतम, पूनम श्रेयसी, सुमन मेहरोत्रा, सुधा पांडे, राज प्रिया रानी, ऋचा वर्मा, डॉ. अनुज प्रभात, वीरेंद्र कुमार भारद्वाज, अनिल जैन, प्रतिभा पराशर, डॉ. विद्या चौधरी, सुशीला जोशी, लक्ष्मण सिंह आरोही, वीरेंद्र कुमार भारद्वाज, मनोरमा पंत, नीरज कृष्णा. गार्गी रॉय, रशीद गौरी, नलिनी श्रीवास्तव, इंदु उपाध्याय, रमाकांत श्रीवास्तव, संजय राय, राजेंद्र राज आदि ने नए- पुराने रचनाकारों ने अपनी-अपनी लघुकथाओं को प्रस्तुत किया तथा एक दूसरे की लघुकथाओं पर प्रतिक्रिया भी दिया।
प्रस्तुति : बीना गुप्ता, जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना
मोबाइल : 9234 760365