पटना -कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में गुरुवार को संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास की अध्यक्षता में ‘मृदा की देखभाल : माप, निरीक्षण, प्रबंधन’ थीम के तहत विश्व मृदा दिवस मनाया गया। निदेशक डॉ. अनुप दास ने मृदा स्वास्थ्य के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि संरक्षण कृषि, फसल चक्र, जलवायु अनुकूल कृषि और संतुलित उर्वरक एवं पोषक तत्वों का प्रबंधन भविष्य में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने मृदा की गुणवत्ता का नियमित रूप से मूल्यांकन करवाने पर जोर दिया ।
डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक (शोध), बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने किसानों को संतुलित उर्वरक का उपयोग और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. आशुतोष उपाध्याय, प्रभागाध्यक्ष, भूमि और जल प्रबंधन ने मृदा और जल गुणवत्ता बनाए रखने के विभिन्न तरीकों के बारे में विस्तार से बताया। इस अवसर पर उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड की जानकारी देते हुए रासायनिक और जैविक उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर भी बल दिया।
डॉ. कमल शर्मा, प्रभागाध्यक्ष, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन ने मत्स्य पालन में मृदा और जल की गुणवत्ता के महत्व; डॉ. ए. के. चौधरी, प्रभारी प्रभागाध्यक्ष, फसल अनुसंधान ने समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन और संतुलित उर्वरीकरण के साथ दलहन फसलों को लेने तथा डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रभागाध्यक्ष, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार ने जलवायु अनुकूल कृषि अपनाकर मृदा स्वास्थ्य पद्धतियों पर बल दिया।
इस कार्यक्रम के दौरान, दुल्हिन बाजार गाँव के 18 किसानों को उनके खेतों की जाँच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी दिए गए। साथ ही, उन्नत रासायनिक और जैविक उर्वरक का भी उनके बीच वितरण कर सतत् खेती की दिशा में संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन के लिए व्यावहारिक कदम उठाने पर जोर दिया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत एक संवाद सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें किसान, छात्र एवं वैज्ञानिकों सहित लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. प्रेम कुमार सुंदरम, डॉ. कीर्ति सौरभ, डॉ. पवन जीत, डॉ. आरती कुमारी, डॉ. गोविन्द मकराना, अनिल कुमार, संजय राजपूत, मनोज कुमार सिन्हा, रवि रंजन, उमेश कुमार मिश्र एवं अन्य कर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।