प्राणवायु और पानी के लिए हरियाली बढ़ाना-बचाना अब अपरिहार्य

दाउदनगर (औरंगाबाद)-विशेष प्रतिनिधि। प्राणवायु (आक्सीजन) और पानी दोनों के लिए धरती पर हरियाली (पेड़-पौधे) को बचाना और बढ़ाना आवश्यक ही नहीं, अब अपरिहार्य हो गया है। हरियाली को बचाने-बढ़ाने की जरूरत अब टाली या उपेक्षित नहीं की जा सकती। यह वर्तमान का अपरिहार्य राष्ट्रीय, सामाजिक और व्यक्तिगत कार्य है। हरियाली के बिना धरती पर किसी भी जीव-जंतु का अस्तित्व संभव नहीं है। हरियाली को बचाना और इसमें वृद्धि करना ही पर्यावरण का संरक्षण है, प्रदूषण से रक्षा है। पेड़-पौधे कार्बन-डाई-आक्साइड गैस का अवशोषण करते और आक्सीजन गैस मुक्त करते हैं। पेड़-पौधों की भूमिका जमीन के भीतर जलस्तर को ऊपर बनाए रखने और उपजाऊ मिट्टी के क्षरण को रोकने में भी है।

पर्यावरण के संतुलित बने रहने के लिए यह जरूरी है कि भूभाग (धरती) के कम-से-कम एक-तिहाई हिस्से में सघन हरियाली (जंगल) होनी चाहिए। मगर आज देश के 22 फीसदी भूभाग में ही जंगल बच रहा है। यदि शहरों-गांवों के खेतों-बागीचों को भी जोड़ दें तो भी कुल हरियाली 24 फीसदी से अधिक नहींहै। इससे जाहिर है कि देश में पर्यावरण का संतुलित नहीं है।

इसके अलावा पेट्रोल-डीजल का लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा इस्तेमाल पर्यावरण संतुलन को तेजी से बिगाड़ रहा है। इसी का दुष्परिणाम है कि हर साल धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है और आदमी व जीव-जंतुओं की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। साफ पानी, साफ हवा और तरह-तरह की बीमारी का संकट गहराता जा रहा है। धरती के तापमान का अगर इसी तेजी से बढ़ता रहा तो तय है कि आने वाली सदियों में जीव-जंतुओं के साथ आदमी का भी अस्तित्व नहीं बचेगा। आज पर्यावरण संरक्षण के लिए हर स्तर पर हर व्यक्ति और पूरे समाज को जागरूक, कृतसंकल्पी होने की जरूरत है।

इसी संदेश, इसी विचार, इसी राष्ट्रीय-सामाजिक दायित्व की भावना के साथ बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के दाउदनगर स्थित भगवान प्रसाद शिवनाथ प्रसाद बीएड कालेज परिसर में पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन वन विभाग के सहयोग से किया गया, जिसमें कालेज शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मियों और छात्र-छात्राओं के साथ शहर के समाजसेवियों ने भी भाग लिया।

आरंभ में पर्यावरण जागरूकता समारोह,  इसके बाद सामूहिक पौधरोपण

आरंभ में कालेज सभागार में समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें औरंगाबाद वन प्रमंडल अंतर्गत औरंगाबाद वन क्षेत्र के फारेस्ट रेंजर एसपी चौहान ने पौध रोपण की तकनीक और पौधे को वृक्ष में बदलने तक बचाए रखने के तरीके के बारे में जानकारी दी और कहा कि अगर पौधे की रक्षा नहीं हुई तो वह सूख जाएगा और वृक्ष वृद्धि का लक्ष्य निष्फल खत्म हो जाएगा। एसपी चौहान ने कहा कि मनुष्य अपनी जरूरतों के लिए जंगल को काटकर खेत, भवन बनाता और विभिन्न उत्पाद पैदा करता रहा है। आदमी की बढ़ती आबादी के कारण जंगल इतना काटा गया कि करोड़ों-हजारों से जारी पर्यावरण संतुलन ही गड़बड़ा गया है। इसलिए जंगल को बचाना और खेतों-मकानों में पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाना जरूरी हो गया है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण एक बेहतर तरीका

कालेज के सचिव डा. प्रकाश चंद्र और कालेज के प्राचार्य डा. अजय कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आज विभिन्न अनुसंधानों-प्रयोगों के जरिये यह जाना जा चुका है कि पृथ्वी पर आदमी सहित हर जीव-जंतु का हरियाली और जंगल से सह-अस्तित्व का संबंध है। सह-अस्तित्व का यह संबंध जंगल के बेतरतीब दोहन से बिगड़ चुका है। यह धरती सभी जीव-जंतुओं की है, मगर आदमी ने धरती के संसाधनों पर कब्जा जमा लिया है और प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन कर रहा है। इसलिए यह सामूहिक जिम्मेदारी आदमी के ही कंधों पर है कि वह बिगड़ते पर्यावरण को सुधारने के लिए प्रयास करे। पर्यावरण संरक्षण के प्रयास में वृक्ष-वृद्धि के लिए पौधरोपण एक बेहतर तरीका है। पेड़-पौधों से हवा साफ बना रहता है और वायु प्रदूषण भी नियंत्रित होता है।

समारोह के बाद महाविद्यालय परिसर और इसके पाश्र्ववर्ती खेत में भी पौधरोपण का कार्यक्रम संपन्न हुआ।

पौधरोपण के लिए विभिन्न प्रजाति के पेड़ों शीशम, सागवान, गुलमोहर, आंवला, अरंड, पिल्टोफर्म आदि के पौधे वन विभाग की ओर से मुहैया कराए गए।

पौधरोपण कार्यक्रम में औरंगाबाद वन क्षेत्र के फारेस्टरों शंभूशरण दुबे (औरंगाबाद), सत्यनारायण लाल (दाउदनगर), रामसुरेश सिंह (बारून) व विफन विश्वकर्मा (देव) के साथ कालेज के छात्र-छात्राओं में अंजू कुमारी, फूल कुमारी, गुड्डु कुमार आदि ने अग्रणी भूमिका का निर्वाह किया।

 

(इनपुट व तस्वीरें : निशांत राज)

 

 

 

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