पटना (बिहार)-सोनमाटी समाचार। भागलपुर में हुए बहुचर्चित सृजन घोटाले में आरोप की आंच अब भागलपुर से पटना में राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशीलकुमार मोदी तक पहुंची है। इस घोटाले की आरोपी उनकी चचेरी बहन ने उनका नाम लिया है। आयकर विभाग की टीम ने पटना में रेखा मोदी के एसपी वर्मा रोड आवास में छापेमारी की। आयकर विभाग के अधिकारियों की टीम पटना में रेखा मोदी के आवास को छापे के दौरान खंगालत्ती रही। छापेमारी के दौरान पटना पुलिस की टीम भी मौजूद रही। यह पता नहीं चला है कि छापे में क्या मिला? सुशील कुमार मोदी का नाम घसीटे जाने में कितना दम है और इसमें कोई प्रतिपक्ष राजनीति का शह व दांव है, यह तो सीबीआई की जांच पूरी होने के बाद ही जाहिर होगा।
चचेरी बहन दूर की, घरेलू हिंसा का किया था मुकदमा, 10 सालों से नहीं मिला
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर बताया है कि रेखा मोदी उनकी दूर की चचेरी बहन हैं, जिससे कोई व्यापारिक या वित्तीय संबंध नहीं है। इस केस में उन्होंने मेरा नाम घसीटा है, जबकि मैं उनसे पिछले 10 सालों से नहीं मिला हूं। सुशील कुमार मोदी कहा है कि रेखा मोदी कहां रहती और कौन-सा व्यापार करती हैं, इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है और न ही उसके साथ मेरा कोई संबंध है। रेखा मोदी मेरी दो दर्जन चचेरी-ममेरी बहनों में से एक है, जिसने मेरे ऊपर घरेलू हिंसा से जुड़ा एक मुकदमा दायर किया और मुकदमे मेंं वर्ष 2011 में न्यायालय ने मुझे दोषमुक्त किया।
तेजस्वी यादव पर कसा तंज
आरोप लगाने और इस्तीफा मांगने वाले बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मीसा भारती, चंदा, रोहिणी आदि तेजस्वी यादव की सात सगी बहनें हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद परिवार की छह खोखा कंपनियों, अनेक कारोबार और दर्जनों बेनामी संपत्ति में हिस्सेदार हैं।
तेजस्वी यादव ने किया था सवाल जांच क्यों नहींकर रही सीबीआई?
तेजस्वी यादव ने 28 जून 2018 को सुशील मोदी की बहन रेखा मोदी बहन और भतीजी उर्वशी मोदी पर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी से इस्तीफा देने की मांग की थी। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर आरोप लगाया था कि रेखा मोदी और उर्वशी मोदी ने करोड़ों का गबन किया है, जिससे संबंधित लेन-देन को लेकर बैंक स्टेटमेंट देखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा था कि आखिर 2500 करोड़ के घोटाले की जांच सीबीआई क्यों नहीं कर रही है?
नीतीश कुमार ने एक साल पहले की थी सीबीआई जांच की अनुशंसा
इसके बाद सीबीआई ने सृजन घोटाले में 25 अगस्त 2017 को एफआईआर दर्ज कर इसकी जांच शुरू की। जबकि 13 अगस्त 2017 को ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सृजन घोटाले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की थी और राज्य सरकार के संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव को इस मामले में सरकारी धन के खर्च से संबंधित विवरण सीबीआई को सौंपने को कहा था। अब सीबीआई की विशेष अदालत में दायर आरोपपत्र में 12 लोगों पर आईपीसी की धारा 34, 409, 420, 467, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए हैं। आरोपपत्र में संस्था की पूर्व अध्यक्ष मनोरमा देवी का भी है। मामले के एक आरोपी महेश मंडल की इलाज के दौरान मौत हो गई।
पहले जांच कर रही थी राज्य की एसआईटी
सीबीआई से पहले आर्थिक अपराध इकाई की एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) सृजन घोटाले मामले की जांच कर रही थी। अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) एसके सिंघल ने तब बताया था कि इस मामले में गबन की रकम 950 करोड़ रुपये से ऊपर है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति (एनजीओ) की स्थापना मनोरमा देवी ने की थी, जिनकी मौत के बाद उनके बेटे और उनकी पत्नी इसको चला रहे थे। आरोप के मुताबिक राज्य सरकार और जिला प्रशासन के बैंक खाते में रखा गया सरकारी धन सृजन (एनजीओ) और इसके कर्मचारियों के छह बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया था। सृजन घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब एक सरकारी अधिकारी द्वारा चेक काटने के बाद यह पता चला कि सरकारी खाते में पैसे नहीं हैं।