दाउदनगर (औरंगाबाद ) कार्यालय प्रतिनिधि। जिउतिया-पर्व के अवसर पर दाउदनगर शहर एक प्रकार से नकलमय सा बना हुआ है। वैसे तो स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा करीब एक सप्ताह तक नकलों की प्रस्तुती की जाती है, लेकिन नहाय खाय से लेकर पारण तक (तीन दिन) नकलों की भरमार सी रहती है। एक से बढ़कर एक पारंपरिक व साहसिक नकलों के साथ साथ सम सामयिकी विषयों पर नकलों की प्रस्तुती की जाती है। नहाय खाय यानी मंगलवार को देर रात और जिउतिया पर्व यानी बुधवार को भी दिन से लेकर रात तक नकलों की प्रस्तुती की जाएगी। पारण के दिन यानी गुरुवार को विसर्जन के साथ नकल का समापन होगा।
गौरतलब है कि जिउतिया पर्व में शहर के लोक कलाकार करीब एक सप्ताह तक हंसी-मजाक, व्यंग्य-विनोद, गीत-संगीत, नृत्य-नाच, रहस्य-रोमांच और साहसिक कारनामे करने-दिखाने में लिप्त रहता है। नकल बनने वाले कलाकार साहसिक कारनामे (मुड़िकटवा, डाकिनी, चाकुधारी, तलवारधारी, त्रिशुलधारी, लालदेव-कालादेव आदि) दिखलाते हैं। विशेष बात यह है कि नकल के माध्यम से समसामयिक घटनाओं और सामाजिक कुरीतियों पर करारा व्यंग्य-प्रहार किया जाता है। नकल बनकर सरकारी तंत्र की जमकर पोल खोली जाती है। विभिन्न प्रकार की झांकियां भी निकाली जाती हैं।
स्थानीय लोक कलाकार नकलों की प्रस्तुती कर अपनी लोक कला का प्रदर्शन करते रहे हैं यहां जिउतिया यानि जीवित-पुत्रिका व्रत को बड़े ही धूम-धाम और रंगारंग रूप में मनाया जाता है। नकल बनने के लिए बच्चे, युवा,अधेड़, बुढ़े सभी उम्र के पुरुषों में होड़ लगी रहती है। इस वर्ष भी पारंपरिक नकलों के अलावे विभिन्न विषयों पर आधारित नकलों की प्रस्तुती लोक कलाकारों द्वारा की जा रही है। नकल बने लोक कलाकार चारों चौकों पर स्थापित भगवान जीमुतवाहन मंदिर के समक्ष पहुंचकर माथा भी टेकते हैं। नकलों की प्रस्तुति देखने के लिए दूर दराज के इलाकों एवं कई राज्यों से भी लोग नकल देखने पहुंचे हैं।
(रिपोर्ट: ओमप्रकाश कुमार)