पटना / डेहरी -आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। समन्वय के तत्वावधान में शुक्रवार को पटना के कालिदास रंगालय में कुमार बिंदु के कविता संग्रह साझे का संसार का विमोचन किया गया, जिसमें कविता पाठ और कृति चर्चा भी की गई।
मुख्य वक्ता प्रसिद्ध कवि अरुण कमल में कहा कि कुमार बिंदु ने लगातार लिखना जारी रखा, इसी का परिणाम है कि इनकी कविताएं निखर कर सामने आयी हैं। इनकी कविताएं पाठकों को उद्वेलित करती हैं। इनकी कविता सरलता से बड़ी बात कह जाती है। इसमें आप अंतर्ध्वनियों को सुन सकते हैं। जीवन के सवाल करती है कविता।
उन्होंने कहा कि जब कैफी आजमी पटना आये थे तो उन्हें डालमियानगर लेकर साथ गया था। वहां कुमार बिंदु ने बहुत ही भव्य आयोजन किया था।
साहित्यकार प्रेम कुमार मणि ने कहा कि प्रगतिशील लेखक संघ में हमसब साथ में सक्रिय थे। कुमार बिंदु शब्द, गीत और सपनों के समन्वय की बात करते हैं। जबकि शब्द और सपने हमारे बीच से गुम हो रहे हैं। हम जब युवा थे तो गीतों की खोज करते थे। आज न धर्म, न राजनीति मनुष्यों के पक्ष में है। सिर्फ कविता ही हमारे पक्ष में है।
प्रत्युष चंद्र मिश्र ने कहा कि बिंदु जी की कविताएं साझापन की अनूभूति देती हैं। इनकी कविताओं में केदार जी की तरह लय है। संग्रह की कविताओं से गुजरते हुए अहसास होता है कि वह आम भाषा में बड़ी बात कह जाते हैं।
प्रो. सुनीता गुप्ता ने कहा कि कुमार बिंदु की कविताओं में गंवई जीवन की गंध है जो हमें गांव-जवार तक खींच ले जाती है। हाशिए पर खड़े लोगों के दर्द को वे अपनी कविता में प्रतिबद्धता के साथ प्रस्तुत करते हैं। उनकी कविता में मानवता झलकती है, जो कविता को संपूर्ण बनाती है।
डीजी बीसैप एके अम्बेडकर ने कहा कि कुमार बिंदु से हमारा संबंध 1997 से ही है। हमसब इस कविता संग्रह के ड्राफ्ट को देखते थे। आज यह छपकर आ गयी है सो यह हमसब के लिए खुशी का क्षण है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए जयप्रकाश ने कहा कि कुमार बिंदु की कविताओं से नई पीढ़ी अपरिचित है लेकिन इनकी कविताओं से आम जनजीवन झांकता प्रतीत होता है। ये चूंकि डेहरी ऑन सोन के रहने वाले हैं। पत्रकारिता और रंगमंच से जुड़े रहे हैं, इससे इनका काव्य और निखर कर सामने आता है।
कुमार बिंदु जी ने अपने संबोधन में कहा कि यह एकल काव्य संकलन मेरे लिए गौरव का विषय है। इसमें मेरे अनुभवों का एक साझा संसार है। उन्होंने काव्य संग्रह साझे का संसार से कई कविताएं भी सुनायी। वहीं, डा. अरुण ने कुमार बिंदु की अंग्रेजी में अनुदित ‘औरत की आजादी‘ का पाठ किया।
समन्वय की ओर से अतिथियों का स्वागत रविशंकर उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम में हाल के दिनों में घायल हुए कवि आलोकधन्वा और मुकेश प्रत्युष के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की गई।
कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार, कवि कुमार अनिल, कहानीकार चितरंजन भारती, कवि कुमार मुकुल, श्री यादवेंद्र, कवयित्री सौम्या सुमन, अर्चना त्रिपाठी, वरिष्ठ नाट्यकर्मी राजेंद्र नरेंद्र, सुमंत शरण, संजय कुमार कुंदन, कवि विजय कुमार, डा. सुधीर कुमार, शत्रुघ्न प्रसाद सहित अनेक साहित्यानुरागी एवं बुद्धिजीवी उपस्थित थे।
(रिपोर्ट, तस्वीरः निशांत राज)