डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-विशेष संवाददाता। गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, जमुहार के अंतर्गत संचालित नारायण कृषि विज्ञान संस्थान के शस्य विज्ञान विभाग में कार्यरत सहायक प्राध्यापक सह प्रभारी फसल प्रक्षेत्र डा. धनंजय तिवारी ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र में खेतों में धान का बीज डालना शुभ माना गया है। खरीफ फसल की खेती को लेकर किसान तैयारी में जुट गए हैं। अच्छी खेती के लिए रोहिणी नक्षत्र को वरदान माना गया है। किसानों का भी मानना है कि इस नक्षत्र में बीज डालने से खेती आगे होती है । रोहिणी नक्षत्र में बीज डालने वाले किसानो की फसल नवंबर माह में तैयार हो जाती है। इससे रबी फसल की बुआई भी समय से हो जाती है। रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज डालने से धान का पौधा ज्यादा तेजी से विकास करता है। साथ ही रोहिणी नक्षत्र में लगाए गए धान के बीज से अधिक उत्पादन भी प्राप्त होता है। कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इस दौरान सूर्य की रोशनी तेजी से सीधे धरती पर पड़ती है, जिससे बीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वहीं तेज धूप से मिट्टी भी रोगमुक्त होती है। क्योकि इस समय खेत को तैयार करने से उसके अंदर तक धूप जाती है। किसान भाइयों को चाहिए कि धान के बीजों को अंकुरित होने के बाद ही बुवाई करें । बीज को पहले पानी में भिगो दें । इसके बाद बीजो को पानी से छानकर जूट के कट्टो से 15 से 20 घंटे के लिए ढक दें और अंकुरित होने के बाद ही बुवाई करें । बुवाई के समय खेत की सतह पर पानी होना आवश्यक है और उसके बाद भी तापमान अधिक होने के कारण खेतों में पर्याप्त नमी बनाये रखें । साथ ही अगर बीज की मात्रा की बात करें तो 2 से 2.5 किलोग्राम बीज एक बीघा में रोपने के लिए पर्याप्त होता है । हालाँकि बीज में जमाव प्रतिशत कम है तो किसान भाई 3 से 4 किलो बीज प्रति बीघा की दर से बिचड़ा के लिए प्रयोग कर सकते हैं। हमें इसके साथ ही उन्नत प्रजातियों का चयन भी किसान भाइयों को अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से करना चाहिए जिससे अधिक लाभ प्राप्त हो।इसके साथ ही कुछ प्रमुख प्रजातियां विभिन्न क्षेत्रों के हिसाब से उपयुक्त हैं जैसे सुगंधित धान के प्रभेद में – राजेन्द्र भगवती, राजेन्द्र कस्तूरी, राजेंद्र सुवासिनी, निचली भूमियों के लिए- सबौर हीरा, स्वर्ण सब 1, राजेंद्र मसूरी तथा सूखा वाले क्षेत्रों के लिए- सबौर हर्षित धान , राजेंद्र श्वेता, सबौर सम्पन्न धान, सबौर श्री बहुत ही उत्तम किस्म की प्रजाति है। अगर किसान भाई इन सब बातों का ध्यान रखें तो निश्चित तौर पर बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा। अंत में एक और आवश्यक बात किसान भाइयों के लिए जरुरी है की बीज किसी प्रमाणित संस्था, कृषि विश्वविद्यालय से या कृषि विज्ञान केंद्र से ही लेकर बुवाई के लिए प्रयोग करें।
(रिपोर्ट, तस्वीर: भूपेंद्रनारायण सिंह, पीआरओ, जीएनएसयू)