सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है   Click to listen highlighted text! सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है
इतिहासज्ञान - विज्ञानराज्यसमाचार

भारत यायावार की साहित्यग्राम यात्रा, ‘सुनो मैं समय हूं’ का विमोचन/ अर्थहीन होते आनलाइन आयोजन/ होलीमिलन रद्द

बिहार के सबसे समर्थवान कथाशिल्पियों में थे रेणु : यायावर

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-निशान्त राज। फणीश्वरनाथ रेणु संपूर्ण हिन्दी साहित्य में आंचलिकता में राष्ट्रीयता और वैश्विकता के सबसे समर्थवान कथाशिल्पियों में एक हैं। प्रेमचंद के जमाने में हिन्दी की उपन्यास विधा बदलाव का साहित्यिक औजार बनी थी। रेणु ने प्रेमचंद की उस यथार्थवादी परंपरा को अपने समय की प्रामाणिकता से महाकाव्यात्मक लय की नई ऊंचाई के साथ लैस किया। उनकी रचनाओं में तुरंत स्वतंत्र हुए भारत के तत्कालीन समय के जातिवाद, अफरशाही, राजनीतिक अवसरवाद, मठ-आश्रम के पाखंड आदि का चित्रण पूरी मानवीय संवेदना के साथ अभिव्यक्त हुआ है। रेणु सही अर्थ में बिहार की धरती पर पैदा हुए एक युगद्रष्टा साहित्यकार थे। यह विचार रेणु की जीवनी और साहित्य पर खोजपूर्ण अग्रणी कार्य करने वाले हजाराबीग के प्रो. भारत यायावर ने व्यक्त किए। भारत यायावर की साहित्यकार ग्राम परिपथ यात्रा के क्रम में बिहार के रोहतास जिला के डेहरी-आन-सोन में वरिष्ठ कवि कुमार बिन्दु और युवा पत्रकार गोविन्दा मिश्रा के संयोजन में लघु विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया। हजारीबाग के वरिष्ठ पत्रकार समालोचक गणेशचंद्र राही ने रेणु के उपन्यासों-कहानियों के पात्रों पर नई दृष्टि सम्मत विचार रखते हुए कहा कि रेणु का रचना संसार विलक्षण है।

कहा कि ‘सुनो मैं समय हूं’ महत्वपूर्ण उल्लेखनीय कृति

(कृष्ण किसलय की पुस्तक का विमोचन करते भारत यायावर)

इस संगोष्ठी में प्रो. भारत यायावर ने वरिष्ठ विज्ञान लेखक-संपादक कृष्ण किसलय की नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया द्वारा प्रकाशित विज्ञान के इतिहास और हिन्दी में अपनी विषय-वस्तु की प्रथम पुस्तक ‘सुनो मैं समय हूं’ के सद्य प्रकाशित तीसरे संस्करण का विमोचन किया। कहा कि कृष्ण किसलय की पुस्तक ‘सुनो मैं समय हूं’ हिन्दी में एक अलग विशिष्ट विधा की निसंदेह महत्वपूर्ण उल्लेखनीय कृति है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. प्रदीप दुबे ने की। संगोष्ठी में डेहरी-आन-सोन के साहित्यकारों-पत्रकारों-साहित्यसेवियों कृष्ण किसलय, उपेन्द्र मिश्र, कुमार बिन्दु, मिथिलेश दीपक, संजय सिंह बाला, सुरेंद्र तिवारी, अवधेश कुमार सिंह, उमाशंकर पांडेय, अजय कुमार, मदन कुमार, रामअवतार चौधरी, निशान्त राज, गोविंदा मिश्रा आदि ने रेणु के साहित्य और रचना संसार पर अपनी-अपनी बातें रखीं। संगोष्ठी के आरंभ में उपेन्द्र मिश्र ने आगतों का स्वागत किया, कृष्ण किसलय ने संचालन किया और अंत में कुमार बिन्दु ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। भारत यायावार डेहरी-आन-सोन में रात्रि विश्राम के बाद बिहार के 20वींसदी के शीर्ष साहित्यकारों में से एक आचार्य शिवपूजन सहाय के गांव की यात्रा पर निकल गए।

किट्टी पार्टी की तरह अर्थहीन होतींआनलाइन गोष्ठियां

पटना (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना के तत्वावधान में फेसबुक पर अवसर साहित्यधर्मी पेज पर डिजिटल प्रमाणपत्र के औचित्य विषय पर विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आनलाइन गोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डा. शरदनारायण खरे (मध्य प्रदेश) ने कहा कि थोक भाव में बांटे जा रहे सम्मानपत्र ने सम्मान को ही अर्थहीन बना दिया है। प्रतिभाशाली कवि-लेखकों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर विशेषज्ञ समिति के जरिये चयन सम्मान देने के बजाय थोक के भाव डिजिटल सम्मान प्रमाणपत्र वितरित किए जाने लगे हैं। इससे सृजनात्मकता अवरोधित होगी। बतौर अध्यक्षीय संबोधन में ऋचा वर्मा ने कहा कि डिजिटल साहित्यिक गोष्ठियां किट्टी पार्टी की तरह हो गई हैं। हद तो यह हो गई है कि फेसबुक पर संदेश आता है कि ग्रुप से जुडि़ए, रजिस्ट्रेशन फीस दीजिए और डिजिटल सम्मानपत्र प्राप्त कीजिए। इस कार्यक्रम का संचालन करते वरिष्ठ चित्रकार-कवि-कथाकार सिद्धेश्वर ने किया। विभा रानी श्रीवास्तव, डा. बीएल प्रवीण, अपूर्व कुमार, मधुरेश नारायण, डा. अर्चना त्रिपाठी, मनोज अम्बष्ठ, गजानन पांडे, राजप्रिया रानी आदि ने भी आनलाइन कार्यक्रम के औचित्य, महत्व और अर्थहीनता पर अपनी-अपनी बातें रखीं।

एकल कविता पाठ में सिद्धेश्वर की कविताओं पर विमर्श :

पटना से एक अन्य संवाद के अनुसार, स्पर्श भारती के फेसबुक पेज पर आनलाइन एकल पाठ कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि-कथाकार-चित्रकार सिद्धेश्वर ने अपनी विविधरंगी दर्जनभर कविताओं का पाठ किया। उन्हें अपनी कविता पढ़ी- तुम्हें सच बताने को जी चाहता है, कहानी सुनाने को जी चाहता है…. उजड़ा हुआ गांव है, गांव में रोने वाला भी है, आंसू है या बरसात का पानी, यह समझने वाला कोई नहीं! सिद्धेश्वर की कविताओं पर मधुरेश नारायण, कंचन वर्मा, डा. नूतन सिंह, गरिमा अस्थाना, राजकांता, संतोष कुमार, अंजू भारती, मीना कुमारी परिहार आदि ने अपनी टिप्पिणयां आनलाइन व्यक्त कीं। बताया गया कि साहित्य-कला की कई विधा में रचना करने वाले सिद्धेश्वर की कविताएं समाज और समय का दस्तावेज हैं। संस्थागत गतिविधियों में निरंतर सक्रियता और सामाजिक सरोकार के लिए उनकी प्रतिबद्धता उल्लेखनीय है। कार्यक्रम का संयोजन अंजू भारती ने किया।

प्रस्तुति : ऋचा वर्मा, सचिव, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना फोन 923476 0365

कोरोना के कारण होली मिलन समारोह रद्द

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। कायस्थ समाज कल्याण ट्रस्ट द्वारा 26 मार्च को आयोजित होने वाले होली मिलन समारोह को कोराना महामारी के पुन: बढ़ते प्रसार और कोविड-19 के नई गाइड लाइन के एहतियात पालन के मद्देनजर रद्द कर दिया गया है। यह जानकारी कायस्थ समाज कल्याण ट्रस्ट के महासचिव बरमेश्वर नाथ ने दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Click to listen highlighted text!