हाई कोर्ट ने किया है प्रबंध समिति के निर्वाचन का प्रावधान
डालमियानगर (रोहतास)-विशेष प्रतिनिधि। रोहतास जिला का सबसे पुराना सीबीएसई विद्यालय माडल स्कूल की तीन वर्षीय नई प्रबंध समिति का गठन करने के लिए विद्यार्थियों के अभिभावक 10 प्रतिनिधियों का चुनाव करने जा रहे हैं, जिसके लिए माडल स्कूल के डालमियानगर परिसर के मतदान केेंद्र में कोविड-19 के प्रावधान का पालन करते हुए 07 सितम्बर सोमवार को मतदान निर्धारित है। प्रबंध समिति के 06 सामान्य सदस्य चुने जाने के लिए 14 उम्मीदवार अजय सिंह, आलोक कुमार सिंह, जीवन प्रकाश गुप्ता, धनजी सिंह, धीरज कुमार, प्रीति कुमार झा, मुकेश कुमार, रविशंकर राय, रविशंकर सिन्हा, राजेश कुमार मेहता, रंजीत कुमार मेहता, सुनील शरद, संजय सिंह, सुनील कुमार, 02 शिक्षाविद सदस्य चुने जाने के लिए चार प्रत्याशी कमलाकांत कमल, कमलेश कुमार गुप्ता, जीतेन्द्र कुमार सिंह, शिवशंकर साहा और 02 शिक्षक सदस्य चुने जाने के लिए विद्यालय के चार शिक्षक प्रत्याशी कुशबहादुर सिंह, पंकज कुमार त्रिपाठी, लल्लू सिंह, सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता चुनाव के मैदान में हैं। उम्मीदवार अपने-अपने पक्ष में मतदान के लिए अभिभावकों से घर-घर संपर्क कर चुके हैं। रोहतास उद्योगसमूह और इसके परिसर के निष्पादन का मामला वर्ष 1995 में समापन (लिक्वेडेशन) में चले जाने के बाद पटना उच्च न्यायालय ने 10 सदस्यीय विद्यालय संचालन प्रबंध समिति के गठन के लिए अभिभावकों में से दो शिक्षाविद सहित 08 और शिक्षकों में से दो प्रतिनिधि चुनने का प्रावधान किया। समिति में प्राचार्य को 11वें पदेन सदस्य के रूप में स्थान दिया, ताकि शिक्षकों-कर्मचारियों के भी पक्ष के साथ संचालन समिति बेहतर बन सके।
किसी जागीर की तरह होता रहा है स्कूल का संचालन :
मगर सच यही है कि पूरी तरह अभिभावकों के पैसे संचालित माडल स्कूल को लोकतांत्रिक व्यवस्था को नजरअंदाज कर किसी निजी जागीर की तरह चलाया जाता रहा। यही वजह है कि आयकर विभाग ने स्कूल के संबंधित बैंक को सेविंग एकाउंट बंद करने, संज्ञान में आए फिक्सड डिपाजिट को फ्रीज करने का पत्र लिखा और 2.4 करोड़ रुपये आयकर मद में भुगतान करने का दावा किया। सेविंग एकाउंट बंद होने पर डेढ़ साल पहले स्कूल खाता संचालन के लिए करंट एकाउंट खोला गया और बमुश्किल 2018-19 का आयकर रिटर्न भरा गया, क्योंकि पिछले चार सालों के आय-व्यय का आडिट ही नहीं हुआ था। यह भी चकित करने वाला तथ्य है कि स्कूल खाता संचालन सेविंग एकाउंट के जरिये और सिर्फ सचिव, कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर से ही होता रहा था। गुटबाजी ऐसी कि करीब नौ माह बाद सितम्बर 2019 में बैठक हुई तो पता चला कि 50 लाख रुपये से अधिक परिपोषण आदि पर खर्च कर दिए गए। हालत यह कि लाकडाउन से पहले कर्मचारियों के फरवरी तक के वेतन भुगतान के लिए पैसे नहीं थे और सात-आठ माह से वेतन भुगतान नहीं हुआ था। बेशक लाकडाउन में तो फीस की रकम बेहद कम जमा हुई। दबे जुबान चर्चा तो यह भी रही कि वेतन भुगतान के लिए संबंधित लोग पैसे की चाहत रखने लगे।
48 हजार रुपये किराया के मकान में 600 बच्चों का जूनियर विंग :
माडल स्कूल की मुख्य शाखा डालमियानगर में कंपनी (रोहतास उद्योगसमूह) द्वारा दिए गए भव्य भवन परिसर में चलती है, जहां तीन हजार से अधिक छात्र-छात्राएं और करीब 90 शिक्षक, 20 गैर शिक्षक कर्मचारी कार्यरत हैं। फीस प्रति छात्र औसतन एक हजार रुपये से थोड़ा अधिक हैं। प्री-स्कूल कक्षा की फीस 500 रुपये (एलकेजी) से शुरू होती है। नामांकन के वक्त प्रति छात्र विशेष-विकास शुल्क 7000 रुपये लिए जाते हैं। डालमियानगर मुख्य शाखा से अलग वर्ष 2002 से कक्षा-1 से कक्षा-8 तक के विद्यार्थियों के लिए माडल स्कूल (जूनियर विंग) का संचालन हो रहा है। 600 से अधिक छात्र-छात्राओं और ढाई दर्जन शिक्षक, गैर शिक्षक वाले जूनियर विंग पर करीब 07 लाख रुपये महीना वेतन, किराया, परिपोषण आदि पर खर्च होता है। मुख्य शाखा जूनियर विंग के संचालन के लिए उस पर करीब 45 लाख रुपये का डेबिट (आंतरिक कर्ज) है। फिर भी इस शाखा का संचालन लाइट रेलवे स्टेशन से दक्षिण स्थित 48 हजार रुपये के मासिक किराये के मकान में जारी रखा गया है।
एक अनाम अभिभावक ने की सोच-समझ कर मतदान की अपील :
07 सितम्बर के निर्वाचन से पूर्व 05-06 सितम्बर को माडल स्कूल के अभिभावकों के नाम खुला पत्र के रूप में एक पर्चा (प्रिंटेड हैंडबिल) वितरित किया गया है, जिसमें एक अनाम अभिभावक की ओर से अभिभावकों को अपने मतों का प्रयोग सोच-समझकर विद्यार्थियों के भविष्य की सुरक्षा के लिए करने की अपील की गई है। हालांकि वितरित पर्चा में न तो खुला-पत्र लिखने वाले का नाम है और न ही छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस का। फिर भी पर्चा की बातें गौर करने लायक हैं। पर्चा में कहा गया है कि अभिभावक अपराध-प्रवृति, घरेलू हिंसा में लिप्त, तड़ीपार, बैठक में भी शराब पीकर आने-जाने वाले का निरीक्षण-परीक्षण कर ही मतदान करें। पर्चा में आठ महीनों तक वेतन भुगतान नहीं होने का मुद्दा उठाते हुए कहा गया है कि इस कारण एक शिक्षक लकवाग्रस्त हुआ, एक के पारिवारिक सदस्य की इलाज-दवा के अभाव में मौत हुई और एक कर्मचारी ने नहर में डूबकर आत्महत्या कर ली। बहरहाल, मौजूदा हालात में माडल स्कूल के अभिभावक अपने नीर-क्षीर विवेक से ही अनुमंडल प्रशासन द्वारा संपन्न कराई जा रही निर्वाचन-प्रक्रिया में भाग लेकर प्रबंध समिति के सदस्यों का चुनाव करेंगे।
रिपोर्ट : कृष्ण किसलय, तस्वीर संयोजन : निशांत राज
ग्रामीण इलाके में कार्य करती है स्वयंसेवी संस्था
पटना (सोनमाटी प्रतिनिधि)। कोरोना महामारी से लडऩे के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षित और मजदूर वर्ग के लोगों को स्वयंसेवी संस्था हेल्पिंग हैंड्स फ्रेंडस चैरिटेबल ट्रस्ट जागरूक कर रही है और निशुल्क मास्क, सैनिटाइजर बांटने के साथ इनके इस्तेमाल के तरीके भी बता रही है। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष अक्षय कुमार झा के अनुसार, कोरोना महामारी से कैसे बचा जाए, यह सुदूर गांव के लोगों को नहीं पता है। हेल्पिंग हैंड्स फ्रेंडस चैरिटेबल ट्रस्ट राजधानी पटना के कुछ कालेजों के छात्र-छात्राओं द्वारा संचालित स्वयंसेवी संस्था है, जो खासकर ग्रामीण और स्लम एरिया के महिलाओं-बच्चों के लिए कार्य करती है।
रिपोर्ट, तस्वीर : बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता