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आलेख/समीक्षादुनियासामयिक

अमेरिका के लिए बड़ा खतरा बनता उत्तर कोरिया

परमाणु मिसाइलों के लिए उत्तर कोरिया का बेरोक-टोक अभियान अमेरिका के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। अमेरिका की ओर से अधिकतम दबाव बनाने का अभियान चलाया जा रहा है, ताकि ऐसा होने से रोका जा सके। उत्तर कोरिया ने दूर तक पहुंचने वाले मिसाइल को विकसित कर लिया है, जिसके जरिये वह परमाणु हथियार भी अपने वांछित लक्ष्य तक पहुंचा सकता है। अमेरिका इस बात की पुरजोर कोशिश कर रहा है कि उत्तर कोरिया के हाथ परमाणु हथियार नहीं लग सके।
ओट्टो वॉर्मबियर की मौत से खटास
छात्र ओट्टो वॉर्मबियर की मौत ने उत्तर कोरिया को लेकर अमेरिकी लोगों के मन में खटास को और कड़ुवा बना दिया है। उत्तर कोरिया ने अमेरिकी छात्र ओट्टो वॉर्मबियर को 17 महीनों तक कैदी बनाकर रखा था, जिसकी मौत रिहा होने के कुछ ही दिन बाद (पिछले वर्ष) अमेरिका में मौत हुई। ओट्टो वर्जिनिया विश्वविद्यालय का मेहनती छात्र था, जो उत्तर कोरिया के दौरे पर गया था। उसे गिरफ्तार कर राज्य के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया गया। शर्मनाक तरीक से जारी मुकदमे में तानाशाह शासन ने उसे 15 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। दबाव के बाद पिछले साल (2017) जून में उसे अमेरिका को लौटाया गया। वह बुरी तरह घायल था और मौत की कगार पर था।
ट्रंप ने कहा भ्रष्ट और दुष्ट
अमेरिकी कांग्रेस में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपने पहले भाषण में उत्तरी कोरिया के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए उसे भ्रष्ट तक कह दिया और कहा कि परमाणु मिसाइल्स के प्रति कोरिया की बढ़ती दिलचस्पी खतरे का संकेत है, जिसके खिलाफ लगातार अभियान चलाने का हमने संकल्प लिया है। अपने भाषण में उत्तर कोरिया के शासन के दुष्ट चरित्र का उल्लेख करते हुए ट्रंप ने उत्तर कोरिया द्वारा दो पीडि़तों के उत्पीडऩ की कहानी बताई। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के समक्ष परमाणु खतरे की प्रकृति को समझने के लिए हमें उत्तर कोरिया के दुष्ट चरित्र पर नजर डालने की जरूरत है।
बर्बरता के साथ दमन
अमेरिकी राष्ट्रपति ने चेतावनी दी है कि परमाणु हथियार को लेकर उत्तर कोरिया का पागलपन अमेरिकी शहरों के लिए खतरा है। वे पूर्ववर्ती प्रशासनों की गलतियों को नहीं दोहराएंगे, जिनके कारण अमेरिका खतरे की स्थिति में है। उत्तर कोरिया में किसी भी शासन ने अपने नागरिकों का उस तरह और उतनी बर्बरता से दमन नहीं किया, जितना कि किम जोंग उन के शासन में हुआ है।
नस्ली भेदभाव जारी
उधर, उत्तरी कोरिया का अमेरिका पर लगातार वाक आकम्रण जारी है। डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया में इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की ओर से अमेरिका में मानवाधिकार उल्लंघन पर जारी श्वेतपक्ष में कहा गया है कि ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन नस्लवादी नीति पर चल रहा है। अब तो अमेरिका में प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिकों के लिए हेल्थ कवरेज पर भी रोक लगा दी गई है। नस्लीय भेदभाव जैसी गंभीर बीमारी से अमेरिका की सामाजिक व्यवस्था ग्रस्त हो गई है। अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन, सेक्रेटरी ऑफ कॉमर्स विलबर रॉस, ट्रेजरी सेक्रेटरी स्टीवन और रक्षा सचिव जेम्स मैटिस का हवाला देते हुए कहा गया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेेरिका की सत्ता संभाली है, तब से नस्लीय भेदभाव में तेजी से इजाफा हुआ है। हालांकि श्वेतपत्र में उत्तरी कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच प्योंगयांग के परमाणु व मिसाइल परीक्षण कार्यक्रमों या उस पर इस संदंर्भ में लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का जिक्र नहीं किया गया है।
अमेरिका के रुख पर दुनिया की नजर
बहरहाल, अमेरिका के राष्ट्रपति चाहे अपने देश में कुछ कहें चाहे बाहर, उनकी बातों पर पूरी दुनिया की नजर रहती है। दरअसल अमेरिका की आंतरिक नीति भी किसी न किसी रूप में पूरी दुनिया को प्रभावित करती है। कई बार तो अमेरिका के रुख से पूरी वैश्विक राजनीति का तापमान बदल जाता है। डोनल्ड ट्रंप के अपने प्रथम ‘स्टेट ऑफ द यूनियन भाषणÓ में जो कुछ कहा है, उसके अलग-अलग मायने अलग-अलग देशों में निकाले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका दशकों से चले आ रहे ऐसे अन्यायपूर्ण व्यापार समझौतों को अब नहीं चलने देगा, जिससे अमेरिका की खुशहाली छीन गई, हमारी कंपनियां, हमारी नौकरियां और हमारा पैसा छीन गया।
विश्व व्यापार में अनिश्चितता का माहौल
दावोस में आयोजित वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम के मंच पर भी डोनाल्ड ट्रंप लगभग इसी तरह की बात दोहरा चुके हैं। इससे यूरोप से अमेरिका का व्यापारिक संबंध कमजोर हुआ है और विश्व व्यापार में एक तरह की अनिश्चितता का माहौल बना है। प्रवासियों को लेकर डोनाल्ड ट्रंप का रुख जरूर थोड़ा बदला है कि मेरिट के आधार पर अमेरिका में रहने का ग्रीन कार्ड दिया जाएगा। इससे भारत के कौशल युक्त प्रोफेशनलों की उम्मीद बढ़ गई है। ट््रंप ने यह भी कहा है कि इस्लामिक स्टेट के कब्जे से इराक और सीरिया को मुक्त करा लिया गया है, लेकिन इस धरती से उसका नामोनिशान मिटाने के लिए अमेरिका अपना अभियान जारी रखेगा। चीन और रूस को लेकर ट्रंप ने यह कहा है कि दोनों देश अमेरिकी मूल्यों को चुनौती देते हैं।

– सोनमाटी समाचार

 

सौ साल : मुकदमा भारत में, फैसला पाकिस्तान में

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सौ साल पुराने पुश्तैनी संपत्ति के मामले में फैसला सुनाया है। यह मामला अविभाजित भारत में 1918 में राजस्थान कोर्ट में शुरू हुआ था। संपत्ति से जुड़ा यह मामला भावलपुर के 700 एकड़ जमीन पर अधिकार का है। भावलपुर इलाका भारत के बंटवारे से पहले राजपूताना राज्य के तहत था। इस विवादित जमीन के असली मालिक मो. शहाबुद्दीन की 1918 में मौत हो गई थी। तब से यह विवाद जारी था।
बंटवारे के बाद यह केस भावलपुर ट्रायल कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का शहर है। साल 2005 में इस केस को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था।
चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान मियां साकिब निसार की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि संपत्ति सभी उत्तराधिकारियों को इस्लामिक कानून के तहत बराबर बांट दी जाए। कोर्ट किसी को उसके कानूनी हक से वंचित नहीं रख सकता।
कश्मीर मुद्दा : पाकिस्तान का कहना है कि दुनिया में दरार पैदा करने वाले मुद्दों में कश्मीर और रोहिंग्या जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। यह बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच की शिखर बैठक में भाग लेने के क्रम में संवाददाता सम्मेलन में कही। अब्बासी ने कहा कि चीन और अमेरिका के साथ पाकिस्तान के सबंध मजबूत बने रहेंगे। कश्मीर और रोहिंग्या उन तमाम मुद्दों में शामिल हैं, जिनके कारण दुनिया के बीच दरारें पड़ी हैं। इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हल किया जाना चाहिए।
सौंपे आतंकी : पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क व तहरीक-ए-तालिबान के संदिग्ध तत्वों को खदेडऩा शुरू किया है, ताकि पाक की सरजमीं से अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधि को अंजाम देने से रोका जा सके। इसी क्रम में पाकिस्तान ने तालिबान व हक्कानी नेटवर्क के 27 संदिग्धों को अफगानिस्तान को सौंपा है।

– सोनमाटी समाचार

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