ईमानदारी-नैतिकता की पराकाष्ठा थे लालबहादुर शास्त्री/ बीएचयू प्रवेशपरीक्षा में श्रेया गौतम को 7वां स्थान/ लौंगी भुइंया पर डाक्युमेंट्री जल्द ही

ऐसे थे भारत के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री

(पत्नी ललिता शास्त्री के साथ लालबहादुर शास्त्री)

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि निशान्त राज। भूतपूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के जीवनी लेखकों डा. महावीर अधिकारी (साप्ताहिक करंट के संपादक) और चंद्रिका प्रसाद श्रीवास्तव (निजी सचिव रहे आईएएस अधिकारी) की पुस्तकों के आधार पर सोनघाटी पुरातत्व परिषद, बिहार के सचिव कृष्ण किसलय का कहना है कि उनकी जिंदगी खुली किताब की तरह थी, वह न तो पैसा छोड़ गए थे और न ही घर या जमीन-जायदाद। मरने के बाद उनके बैंक एकाउंट में 365 रुपये 35 पैसे थे। स्कूल-कालेज के दिनों में पैसे के अभाव में वह लंबी दूरी पैदल ही तय करते थे। कई बार तो गंगा पार कराने के लिए नाव के पैसे नहीं होने पर तैर कर ही नदी पार की थी। समाजसुधार की भावना ऐसी कि काशी विद्यापीठ से शास्त्री की डिग्री (उपाधि) पाने के बाद जातिसूचक श्रीवास्तव हटाकर शास्त्री रख लिया। प्रधानमंत्री रहते हुए एक बार बिहार के कुछ लोगों को प्रधानमंत्री आवास पर मिलने का समय दिया था, मगर एक खास विदेशी मेहमान के स्वागत के कार्यक्रम के कारण आवास पर पहुंचने में देर हो गई। बिहारी दल इंतजार के बाद निराश होकर लौट गया। घर आने पर शास्त्रीजी खुद बस स्टाप पहुंचे और उस दल को प्रधानमंत्री आवास ले आए। बहुत कम लोगों को पता है कि शास्त्रीजी देश के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबारों के संपादकीय पृष्ठ के स्तंभ लेखक भी थे। कामराज योजना के तहत 1963 में नेहरू मंत्रीमंडल से इस्तीफा देने के बाद सिर्फ सांसद रह गए तो 500 रुपये के वेतन से घर का खर्च नहीं चल पाता था। तब सुप्रसिद्ध पत्रकार कुलदीप नैयर ने लेखक सिंडीकेट बनाकर उन्हें अखबारों में लिखने के लिए मनाया। कुलदीप नैयर उनके प्रेस सलाहकार के रूप में उनकी मृत्यु के समय ताशकंद में मौजूद थे।

सादगी, ईमानदारी के प्रति कृतज्ञ है देश :

(कृष्ण किसलय)

वरिष्ठ लेखक-संपादक कृष्ण किसलय यह मानते हैं कि बेशक आज भी समूचा भारत लालबहादुर शास्त्री की सादगी, ईमानदारी, दृढ़ता और राष्ट्रभक्ति को कृतज्ञता से याद करता है। प्रधानमंत्री रहते हुए शास्त्रीजी ने कर्ज लेकर फीएट कार खरीदी थी। उनकी मृत्यु के बाद बैंक अधिकारी उनकी पत्नी ललिता शास्त्री के पास प्रस्ताव लेकर पहुंचे कि कार का कर्ज माफ कर देंगे, लेकिन स्वाभिमानी ललिताजी ने अभाव के बावजूद कर्ज माफ करने की इजाजत नहीं दी और उसे किस्तों में भरना मंजूर किया।

दो महापुरुषों का जन्मदिवस एक ही दिन :

(डा.एसपी वर्मा)

रोहतास जिला के वरिष्ठ शिक्षाविद डा. एसपी वर्मा बताते हैं कि जब उत्तर प्रदेश में गोविंदवल्लभ पंत मंत्रिमंडल में लालबहादुर शास्त्री पुलिस एवं परिवहन मंत्री थे, तब उन्होंने भीड़ नियंत्रित करने के लिए लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग शुरू कराया था। और, बसों में पहली बार महिला कंडक्टर्स की नियुक्ति कर महिला अधिकार की शुरुआत की थी। वरिष्ठ मनोचिकित्सक और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के चिकित्सा प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष डा. उदय कुमार सिन्हा का कहना है कि राष्ट्रपिात महात्मा गांधी का भी जन्मदिन 02 अक्टूबर ही होने के कारण लालबहादुर शास्त्री का जन्मदिन स्वाभाविक तौर पर दब जाता है। दोनों ही नैतिक बल की पराकाष्ठ थे। डालमियानगर रोहतास उद्योगसमूह परिसर के प्रभारी अधिकारी एआर वर्मा और मोहिनी समूह के प्रबंध निदेशक उदय शंकर ने कहा कि दो अक्टूबर देश के ऐसी दो महान विभूतियों महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री का जन्मदिवस हैं, जो सदियों तक देश और दुनिया में शुचिता, अहिंसा और नैतिकता के उदाहरण बने रहेंगे। कायस्थ महासभा के रोहतास जिला अध्यक्ष राजीव रंजन सिन्हा और कार्यकारी अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव का कहना है कि 1965 के भारत-पाकिस्तन युद्ध के समय शास्त्रीजी के आह्वान पर जरूरी संसाधन जुटाने के लिए देश के लोगों ने हर सोमवार को व्रत रखा और एक वक्त का भोजन तक छोड़ दिया था। उस समय का उनका दिया नारा जय जवान जय किसान आज भी लोकप्रिय है।

सफलता के लिए कठोर परिश्रम के सिवा दूसरी सूरत नहीं : डा.वर्मा

(श्रेया गौतम)

सासाराम (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। रोहतास जिला के सर्वप्रतिष्ठ विद्यालय संतपाल सीनियर सेकेेंडरी स्कूल की छात्रा रही श्रेया गौतम ने केेंद्रीय विश्वविद्यालय बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के ला-संकाय की प्रवेश परीक्षा में सामान्य श्रेणी में 58वां और सामान्य महिला श्रेणी में सातवां स्थान प्राप्त कर एक रिकार्ड बनाया। विद्या की राजधानी काशी (वाराणसी) स्थित बीएचयू एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है, जहां प्रवेश पाना विद्यार्थियो के लिए गौरव की बात है। श्रेया गौतम ने वर्ष 2013 में संतपाल स्कूल से सीबीएसई की 10वीं बोर्ड परीक्षा में 10 में 10 सीजीपीए स्तर का अंक प्राप्त कर रिकार्ड कायम किया था। संतपाल स्कूल के अध्यक्ष डा. एसपी वर्मा ने श्रेया गौतम की उपलब्धि पर कहा कि सफलता के लिए कठोर परिश्रम के सिवा दूसरी सूरत नहीं हैं। उन्होंने विद्यालय की छात्राओं को श्रेया की सफलता से सीख लेने का आह्वान किया। संतपाल स्कूल के प्रबंध रोहित वर्मा ने बताया कि श्रेया गौतम के पिता सासाराम के फजलगंज निवासी विनोद कुमार मिश्र जिला मुख्यालय सासाराम के सिविल कोर्ट के प्रतिष्ठित अधिवक्ता और मां सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। श्रेया गौतम ने सफलता का श्रेय माता-पिता के साथ संतपाल स्कूल के अध्यक्ष, प्राचार्य अराधना वर्मा और अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी दिया, जिनका बतौर विद्यार्थी मजबूत आधार बनाने में योगदान रहा।

लौंगी भुइया : बिहार के दूसरे दशरथ मांझी पर जल्द बनेगी फिल्म

(लौंगी भुइंया के साथ धर्मवीर भारती)

गया (बिहार)-कार्यालय प्रतिनिधि। खुदी को कर बुलंद इतना कि खुदा पूछे, तेरी रजा क्या है? कहा जाता है कि अगर दिल में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो कोई भी बाधा आड़े नहीं आ सकती। ऐसा ही कर दिखाया है गया के लहथुआ इलाके के लौंगी भुइंया ने। लौंगी भुइंया ने 30 सालों तक लगातार मेहनत कर तीन किलोमीटर से अधिक लंबी पूरी एक नहर ही खोद डालने का भगीरथ कार्य किया है। लौंगी भुइंया के मुताबिक, खेत तक पानी के नहीं पहुंचने और सिंचाई नहींहो पाने से खेती नहीं हो पाती थी। तब उन्होंने नहर खोदने का फैसला लिया। बेशक उनके सामने रास्ता बनाने के लिए पहाड़ काट डालने वाले माउंटेनमैन दशरथ मांझी की प्रेरणा थी। लौंगी भुइंया को उनकेपरिवार ने भी रोकने की कोशिश नहीं की। गया जिला के बांके बाजार के पास कोठीलवा गांव निवासी लौंगी भुइंया के दिमाग में नहर खोदने का विचार इसलिए आया कि गांव के पास ही जलाशय था, लेकिन खेत सूखे थे। उन्होंने कुदाल उठाया और 30 साल लगातार मेहनत करते रहे। आखिर खेत तक पानी पहुंचा। पिछले सप्ताह लौंगी भुइंया के इस कार्य से प्रभावित महिन्द्रा टैक्टर निर्माता कंपनी के प्रबंध निदेशक आनंद महिंद्रा ने ट्रैक्टर देने की घोषणा की है। दरअसल स्वतंत्र पत्रकार रोहिण कुमार ने 18 सितम्बर को ट्वीट में अपील की थी कि लौंगी भुइंया को सिर्फ एक ट्रैक्टर चाहिए। प्रतिक्रिया देते हुए आनंद महिंद्रा ने ट्वीट किया कि उनको (लौंगी भुइंया) ट्रैक्टर देना मेरे लिए सौभाग्य होगा, क्योंकि उनकी नहर ताजमहल या पिरामिड जैसी प्रभावशाली है। पिछले सप्ताह ही लौंगी भुइंया के जीवन पर फिल्म निर्माण के उद्देश्य से बिहार के अग्रणी युवा डाक्युमेंट्री फिल्म निर्माता-निर्देशक डा. धर्मवीर भारती ने लौंगी भुइंया के साथ उनके गांव और खोदी गई नहर का दौरा किया है। उम्मीद है, धर्मवीर भारती की डाक्युमेंट्री जल्द ही सामने आएगी।

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