पटना, डेहरी-आन-सोन, सोनमाटी समाचार टीम)। बिहार मेें पूर्ण शराबबंदी कैसे सफल हो? यह बड़ा और गंभीर सवाल बन गया है। बिहार में पिछले साल अप्रैल महीने से शराब पर पूर्ण प्रतिबंध होने के बावजूद पूर्वी चंपारण जिले के सरकारी दफ्तर में दो सरकारी कर्मचारियों को शराब पीते गिरफ्तार किया गया। दोनों को निलंबित कर दिया गया है। उधर, अपने घर में शराब पीने के आरोप में उत्पाद विभाग की टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए अभियंता के निलंबन की अनुशंसा रोहतास के जिलाधिकारी ने अभियंता के मूल विभाग को अग्रसारित कर दी है। ग्रामीण कार्य विभाग में कार्यरत सिंचाई विभाग के अभियंता इंद्रदेव प्रसाद मंडल को इसी हफ्ते गिरफ्तार किया गया था। यह प्रकरण इस बात का उदाहरण है कि सरकारी कर्मचारी भी अपने सरकार के निर्णय को कूड़ेदान में डालने की चीज समझ रहे हैं।
पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी रमण कुमार मोतिहारी अंचल कार्यालय में औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे। एक कमरे में टेबल पर विदेशी शराब की दो बोतलें और कुछ खाने का सामान रखा हुआ था। जानकारी के सामने आने पर राजस्व कर्मचारी हारून रशीद और चपरासी भोला राम को जिलाधिकारी ने तत्काल निलंबित करने का निर्देश दिया। दोनों कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पूर्वी चंपारण की यह घटना इस बात का सबूत है कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद चोरी-छिपे तस्करी की शराब आ रही है। रोहतास के दनवार में जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत घटना इस बात का प्रमाण है कि गांवों में देशी शराब बनाई भी जा रही है। और, औरंगाबाद जिले के हसपुरा प्रखंड की दो महिलाओं की गिरफ्तारी इस बात का सबूत है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं भी महुआ की शराब चुलाने के अवैध काम में जुटी हुई हैं।
इसीलिए राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी को फ्लाप करार दिया है और कहा है कि घर-घर में शराब पहुंच रहा है, तस्करी के जरिये होम डिलिवरी हो रही है।
इस तरह की अनेक घटनाओं ने सरकार की नीति, प्रशासन व पुलिस की कायशैली और समाज की नीयत पर भी सवाल खड़ा किया है। फिलहाल बिहार सरकार शराबबंदी को सफल बनाने के लिए आईजी के नेतृत्व में अलग पुलिस यूनिट का गठन करने की तैयारी में है।