सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है   Click to listen highlighted text! सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है
विचारसमाचार

कोराना : अभूतपूर्व संकट (विचार) / घर से बाहर निकलने वालों की गिरफ्तारी जारी, सांसद ने दिए एक करोड़ / डरा हुआ आदमी (कविता)

मानव सभ्यता के इतिहास का अभूतपूर्व संकट
(विचार/कृष्ण किसलय, विज्ञान इतिहासकार )

पृथ्वी का यह संकट मानव सभ्यता के इतिहास का अभूतपूर्व संकट है। कोरोना वायरस जनित बीमारी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में पूरी दुनिया नजरबंद है। हालात प्रथम-द्वितीय विश्वयुद्धों से भी बदतर होने जा रहे हैं। भारत में तो जैसे कफ्र्यू ही लागू है। कानून की किताब और सरकारी दस्तावेज में जरूरत नहीं होने के कारण धूल फांक रहा 123 साल पुराना महामारी अधिनियम 1897 को जीवित करना और लाकडाउन के लिए उसमें निहित शक्ति का उपयोग करना पड़ा है। रेलसेवा जो युद्ध के दिनों में भी ठप नहीं हुई, उसे बंद करनी पड़ी है। यह आपदा ऐसी है कि सभी धार्मिक स्थलों में भगवान को श्रद्धालुओं से अकेला छोड़ दिया गया है। पटना के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में अपने स्थापना काल से अब तक संभवत: पहली बार श्रद्धालु-प्रवेशनिषेध किया गया है। बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा हनुमान मंदिर सहित बिहार के साढ़े चार हजार मंदिरों में प्रवेश-निषेध का आदेश लागू है। बिहारियों का प्रसिद्ध मूल आदिपर्व छठ (चैती) भी सीमित हो गया है और घरों में ही हो रहा है। जुमा (शुक्रवार) की नमाज मस्जिदों के बजाय घरों में अता की गई। यह नई तरह की आपदा है, अदृश्य है। ऐसा सूक्ष्म हमलावर परजीवी है, जो आंखों से दिखाई नहीं देता। इस अदृश्य दुश्मन से दुनिया में 30 हजार से अधिक लोग मौत की भेंट चढ़ चुके हैं और 06 लाख से अधिक इसके असंदिग्ध मरीज हैं। भारत में 47 विदेशी सहित 1000 से अधिक संक्रमित हैं और मरने वाले की संखया 25 तक पहुंच गई है। आने वाले दिनों में परिस्थिति कितनी और कैसी विकट होगी, यह अनुमान लगाना कठिन है।
भारत में लाकडाउन ही उपाय : विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च ने बताया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 अनुमान से अधिक व्यापक होता जा रहा है। यह जंतु या वनस्पति से नहीं बल्कि आदमी से आदमी में स्थानांतरित होने वाली बीमारी है। इसके संक्रमण से ग्रस्त व्यक्ति में लक्षण प्रकट होने में 14 दिनों तक का समय लगता है। इसकी कोई दवा अभी ईजाद नहीं हुई है। देश-प्रदेश के अस्पतालों में आबादी के मुकाबले सैनिटाइज्ड आइसोलेशन वार्ड नहीं के बराबर हैं। इसीलिए सामाजिक अलगाव (सोशल डिस्टेन्स) ही इससे बचाव का उपाय है। सुपर कंप्यूटर माडल से जो गणना की गई है, उसका एक निष्कर्ष यह है कि सामाजिक अलगाव से इसके प्रसार में 60 से 89 फीसदी की कमी हो सकती है। कम चिकित्सा संसाधन के कारण इस महामारी से लडऩे का भारत के पास फिलहाल संपूर्ण लाकडाउन और सामाजिक अलगाव ही उपाय है। कोरोना विषाणु के मनुष्य से मनुष्य में फैलने के कारण ही सामाजिक दूरी बनाने, अनजान लोगों से नजदीकी शारीरिक स्पर्श का निषेध करने और हफ्तों घरों में बंद रहने की नीति अपनाई गई है। यह सूचना सुखद है कि बिहार सरकार ने नालंदा मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (एनएमसीएच) को विशेष कोरोना अस्पताल बनाने का फैसला लिया है। बिहार देश का पहला राज्य है, जिसने 600 बिस्तर वाला इस अस्पताल को कोराना नियंत्रक नोडल अस्पताल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। आने वाले बेहद कठिन दिनों के लिए बिहार सरकार के साथ केन्द्र सरकार के लिए भी गंभीर, तेज होमवर्क करना अभी बाकी है।
जीना मुश्किल बना देने वाली आपदा : भारत आंतरिक विस्थापितों का देश है, जहां लोग रोजी-रोटी और शिक्षा के लिए अपना घर छोड़ दूर के शहरों में जाते रहते हैं। आम लोगों के लिए इस हालात का सामना करना बेहद कठिन है। जो जहां है, वहीं बना रहे के कठोर फैसला से, लाकडाउन से दिहाड़ी पर काम करनेवाले मजदूर और उनके परिजन संकट में हैं। देश की कुल श्रम शक्ति का 90 फीसदी असंगठित क्षेत्र में है, जिनके लिए 14 अप्रैल तक बंदी जीना मुश्किल बना देने वाली होगी। 12 करोड़ की घनी आबादी, कम जोत, प्रति व्यक्ति कम आर्थिक संसाधन और प्रवासी श्रमिकों वाले बिहार की हालत तो बेहद मुश्किल भरी हो सकती है। प्रदेश से बाहर विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में बिहार के लोग फंसे हुए हैं। संकट की मौजूदा स्थिति में बिहारियों की अपने गृहप्रदेश लौटने की बेचैनी स्वाभाविक है। यह दृश्य कितना पीड़ादायक है कि आश्रय के अभाव में जयपुर से एक दर्जन बिहारी मजदूर पैदल ही 1500 किलोमीटर दूर बिहार के लिए चल पड़े।
सब्र की अग्निपरीक्षा अभी बाकी : यह ऐसी घड़ी है, जिसमें आम लोगों को धीरज और सब्र की अग्निपरीक्षा देनी अभी बाकी है। जैसे-जैसे लाकडाउन का समय गुजरेगा, वैसे-वैसे परिस्थिति और विकट होगी। यह ऐसी दुख की घड़ी है, जिसमें दूर से आंसू बहा सकते हैं, मगर दुख में शामिल होने नहीं जा सकते हैं। यह तो शुक्र है कि यह युग इंटरनेट और मोबाइल फोन का है, जिससे सबको तक सूचनाएं पहुंच रही हैं। मगर इसमें फेक सूचनाओं से बचना भी है, क्योंकि फेसबुक, वाह्टसएप पर अराजक पुराणवीर अधिक पैदा हो गए हैं। खाद्य आपूर्ति बाधित होने से दाल, तेल, आटा, आलू, प्याज आदि आवश्यक उपभोक्ता सामग्री की किल्लत होना भांपकर कालाबाजारियों ने रोजमर्रा की चीजों की कीमत बढ़ा दी है। आशंका में लोग खाद्य सामग्री घरों में स्टोर करने लगे हैं। इस मास हिस्टीरिया के असर से आबादी के बड़े हिस्से को आवश्यक उपभोक्ता सामग्री के अभाव का शिकार होने से बचाने की बड़ी प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन के कंधों पर आ गई है।
सामथ्र्यवानों के आगे आने का वक्त : दानी धनवानों के लिए यह वक्त है कि वह अपनी नेकनियती की, अपनी बरकत की, अपने धनबल की जोरआजमाईश करें। समाज के सामथ्र्यवनों की यह जिम्मेदारी इसलिए है कि उन्होंने सब कुछ समाज से ही पाया है। संतोष की बात है कि इस अदृश्य दुश्मन से लड़ाई में राजनीतिक और स्वयंसेवी कार्यकर्ता आगे आ रहे हैं। सरकार ने प्रशासन को लाकडाउन लागू की जिम्मेदारी सौंप रखी है। विषाणु-युद्ध के अग्रिम मोर्चा पर लडऩे वाले प्रशासन, पुलिस, चिकित्सा, आपूर्ति आदि के वीरों को सैल्यूट करने का भी वक्त है यह।
बहरहाल, आदमी का काफिला सभ्यता के इतिहास में हजारों सालों से तरह-तरह की आपदओं से जूझते-बचते हुए 21वीं सदी तक पहुंचा है। माइक्रोस्कोप के आविष्कार के बाद वायरसों से, विषाणुओं से निपटने का सदियों का अनुभव हासिल है और सूक्ष्म जैविकी चिकित्सा में भी प्रगति हुई है। फिर भी तकलीफ की यह ऐसी घड़ी है, जिसे समाज ही नहीं, परिवार भी नहीं बांट सकता। सिर्फ और सिर्फ दूर रहकर सांत्वना दी जा सकती है। इसीलिए यह समय परोपकार का है, अन्नदाता बनने का है और भूखों के लिए भोजन प्रबंध करने का है। इस कठिनतम घड़ी में एकजुटता, उच्च मनोबल, धीरज, करुणा, सहयोग भाव की जरूरत है। और, इस हौसले से काम लेना है-
माना कि कोरोना की औकात
दिखाने का यह वक्त है अभी
मगर आदमी ने तो देखा है
मंजर-ए-दर्द बड़ा से बड़ा भी
बस, जरा इतमिनान की बात है
गुजर जाएगा यह सैलाब भी !

घरों से बाहर निकलने से नहीं मान रहे लोग, 71 गिरफ्तार, 3618 वाहन जब्त, राज्यसभा सांसद ने दिए एक करोड़ एक लाख रुपये

(सासाराम में रौजा रोड में दवा दुकान पर लोगों की अफरा-तफरी – तस्वीर अर्जुन कुमार )

पटना/सासाराम/डेहरी-आन-सोन (सोनमाटी टीम)। बिहार में अब तक कोरोना वायरस के 900 से अधिक संदिग्धों में नौ मामले की पुष्टि और एक व्यक्ति की मौत हुई है। राज्य सरकार ने राशनकार्ड धारकों के खाते में एक हजार रुपये की रकम डालने और एक महीने का राशन मुफ्त देने की घोषणा की है। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने विधायकों, जनप्रतिनिधियों से रोजान फोन से जनसंपर्क का टास्क दिया है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक महीने का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने की घोषणा सबसे पहले की। देशभर में तीन हफ्ते का लाकडाउन अचानक घोषित होने के बाद दूसरे राज्यों में लाखों बिहारवासी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह आशंका जाहिर की है कि इस अफरा-तफरी से कोरोना संक्रमण ज्यादा फैल सकता है। सैकड़ों श्रमिक परिवार वाहन के अभाव में पैदल भी निकल पड़े हैं। नीतीश कुमार ने अपील की है कि जो जहां हैं, वहीं रहें। सरकार उनके रहने-खाने का इंतजाम कर रही है। लोग मुख्यमंत्री आफिस में फोन कर लोकेशन बताएं, उनकी मदद की जाएगी। बिहार की सभी सीमाओं पर शिविर लगाए जा रहे हैं। मुख्य सचिव दीपक कुमार ने जिलाधिकारियों को उडऩदस्ता बनाने का निर्देश देते हुए आवश्यक उपभोक्ता वस्तु कीमत एवं भंडार प्रदर्श का कानून सभी जिलों में सख्ती से लागू करने और खाद्य पदार्थ की कालाबाजारी पर अंकुश को लेकर व्यापाक छापेमारी का आदेश दिया है। लोग लाकडाउन का उल्लंघन कर घरों से बेमतलब बाहर नहीं निकले इसके लिए सख्ती भी की गई है। अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार के अनुसार, लाकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में राज्य भर में 216 प्राथमिकी दर्ज हुईं, 71 लोग गिरफ्तार, 3618 वाहन जब्त और 23.79 लाख रुपये जुर्माना वसूल किए गए हैं।
सासाराम से सोनमाटी संवाददाता के अनुसार, लोग दवा और किराना दुकानों से खरीददारी करने के मामले में सोशल डिस्टेन्ट का पालन नहींकरना चाहिए। जबकि कोरोना के दूसरे से संक्रमण होने से बचने के लिए एक मीटर की न्यूनतम दूरी होनी चाहिए। रौजा रोड, जीटी रोड, जानी बाजार, गोला बाजार, शेरगंज के दुकानदारों का कहना है कि लोग परहेज और एहतियात का पालन ही नहींकर रहे हैं। प्रसाशन और पुलिस की ओर से घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील लगातार जारी है, फिर भी लोग हैं कि मान नहीं रहे हैं। आपदा की घड़ी में डा. एसपी वर्मा और रोहित वर्मा के नेतृत्व में लायन्स क्लब और कई सामाजिक संस्थाओं ने पुलिस-प्रशासन के लोगों को भरसक राहत देने की पहल की है। सासाराम की शिरोमणी सिख संस्था सिक्ख आफ सासाराम के महासचिव इंद्रदीप सिंह सेजवाल और कोषाध्यक्ष करनजीत सिंह सोनल के अनुसार, सुमित सिंह ज्योति, जगमीत सिंह टीनू, जगजीत सिंह रागी, रवीन्द्र सिंह बंटी, जसविन्द्र सिंह जस्सी, सरबजीत सिंह मोनू, सिमरनजीत सिंह, प्रिंस सिंह, मनजीत सिंह, बबलू सिंह, कमलजीत सिंह, हरमीत सिंह टिंकू, सुरजीत सिंह आदि की टीम ने जरूरतमंदों को खाद्यान्न सामग्री बांटना आरंभ कर दिया है।

सांसद ने दिए एक करोड़ रुपये : डेहरी-आन-सोन से विशेष संवाददाता के अनुसार, राज्यसभा सांसद एवं जीएनएसयू के कुलाधिपति गोपालनारायण सिंह ने अपने सांसद निधि से कोरोना वायरस से लडऩे के लिए एक करोड़ रुपये दिए हैं। यह राशि रोहतास जिला में ही खर्च की जाएगी। उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष में एक महीने का वेतन भी देने की घोषणा की है और इस आशय का पत्र बैंक प्रबंधक को भेज दिया है। श्री सिंह ने बताया है कि जीएनएसयू के अंतर्गत संचालित जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल में आइसोलेशन वार्ड की स्थापना की गई है और इसमें संदिग्ध मरीजों का उपचार किया जा रहा है। आइसोलेशन वार्ड के चिकितसक और पारा मेडिकल नर्सिंग टीम 24 घंटे समर्पित होकर कार्य में जुटे हुए हैं।
डेहरी-आन-सोन से कार्यालय प्रतिनिधि के अनुसार, चित्रगुप्त समाज कल्याण ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष ने अपने-अपने वार्ड-इलाके में लाकडाउन से प्रभावित चित्रगुप्त समाज के जरूरतमंदों को चिह्निïत कर ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. उदय कुमार सिन्हा को सूचित करने को कहा है। लाकडाउन से रोज कमाकर खाने वालों के परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। हालांकि रोहतास के जिलाधिकारी पंकज दीक्षित के अनुसार, अभी तक जिला में किसी मरीज में कोरोना होने की पुष्टि नहींहुई है।
अकबरपुर (रोहतास) से सोनमाटी संवाददाता के मुताबिक, रोहतास प्रखंड अंतर्गत भाजपा प्रखंड अध्यक्ष विशाल देव, महादेव खोह ट्रस्ट के राधासुत सिन्हा, उदय गुप्ता, मुकेश पाठक आदि लोगों की टीम उन मलिन और पिछड़ी बस्तियों में जाकर खाद्य सामग्री का वितरण कर रहे हैं, जहां का श्रमिक वर्ग लाकडाउन के कारण घर से काम के लिए नहींनिकल रहा है।
(रिपोर्ट/तस्वीर : निशान्त राज/भूपेन्द्रनारायण सिंह/अर्जुन कुमार)

डरा हुआ आदमी
(कविता/कुमार बिन्दु)

डरा हुआ आदमी क्या कर सकता है
सच तो यह है कि
डरा हुआ आदमी
कुछ नहीं कर सकता है
वह न तो चांदनी में नहा सकता है
न हवा के संग नाच-गा सकता है
सोये में मंद मंद मुस्कुराते शिशु को
एकांत क्षण में प्रेयसी के अधरों को
वह हुलसकर चूम भी नहीं सकता है
डरा हुआ आदमी
हर घड़ी मृत्यु-भय से
उबरने की कोशिश करता है
इस प्रयास में जीना ही भूल जाता है
शनै:-शनै: मौत के आगोश में
पहुंच जाता है डरा हुआ आदमी
किसी हिटलर का विरोध नहीं
किसी सुकरात का समर्थन नहीं
सूली पर चढ़ाए जा रहे ईसा का
संरक्षण नहीं करता है
वह दुख में भी मूक बना रहता है
वह जीते जी डरकर मर जाता है
इसीलिए राजसत्ता के महानायक
धर्म-सत्ता के परम पूज्य महानायक
आम आदमी में डर पैदा करते हैं
इसीलिए हम न जीते हैं न मरते हैं।
0- कुमार बिन्दु

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Click to listen highlighted text!