चंद्रभूषण मणि और अनिल विभाकर सम्मानित

 

 भोजपुरी फिल्मों के वरिष्ठ लेखक-निर्देशक चंद्रभूषण मणि को बिहार के औरंगाबाद फिल्म फेस्टिवल-2018 में लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जबकि गया में बिहार प्रदेश के मगही एवं हिंदी के यशस्वी कवि और वरिष्ठ पत्रकार अनिल विभाकर को वागीश्वरी सम्मान-2018 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें गया जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 70वें स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदान किया गया।

सोनघाटी में रंगमंच व फिल्म के प्रतिनिधि कलाकार-निर्देशक

डेहरी-आन-सोन (बिहार) -सोनमाटी समाचार।चंद्रभूषण मणि ने 1969 में नाटक में और 1986 में फिल्म में काम करना शुरू किया था। श्री मणि को बिहार के सोनघाटी के शाहाबाद-मगध क्षेत्र में भोजपुरी फिल्मों के भीष्म पितामह के रूप में प्रतिष्ठिा प्राप्त रही है। वे शाहाबाद क्षेत्र के रोहतास और मगध क्षेत्र के औरंगाबाद दोनों ही जिलों में रंगमंच व फिल्म के प्रतिनिधि कलाकार-निर्देशक हैं। तीन दिवसीय (16, 17 व 18 मार्च) औरंगाबाद फिल्म फेस्टिवल-2018 का आयोजन धर्मवीर फिल्म एंड टेलीविजन प्रोडक्शन द्वारा औरंगाबाद के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में किया गया। फिल्म अभिनेता आरिफ शाहड़ोली, फिल्म निर्देशक निर्भय चौधरी, रंगमंच निर्देशक शांति वर्मा, सिनेमेटोग्राफर अशोक मेहरा और धर्मवीर भारती ने चंद्रभूषण मणि को संयुक्त रूप से सम्मानित किया।

खूनी कौन था : 50 साल पहले इस नाटक से किया कला-जीवन का आरंभ
चंद्रभूषण मणि ने सोनमाटीडाटकाम को बताया कि उन्होंने पांच दशक पहले 1969 में खूनी कौन था (नाटक) लिखा और दाउदनगर (औरंगाबाद) में इस नाटक के निर्देशन-मंचन के साथ नाटक की दुनिया में प्रवेश किया था। तब वह दाउदनगर के दाउदनगर में कादरी हाई स्कूल में विज्ञान शिक्षक थे और इससे पहले वह इसी स्कूल के छात्र भी रह चुके थे। तब दाउदनगर के प्रतिष्ठित विज्ञान शिक्षक, नाटककार और ज्ञान गंगा के संचालक श्रीशचंद्र मिश्र सोम उनके नाट्य गुरु थे। मगर सोम जी की रंगमंच की क्लासिक (साहित्य सघन) विधा से अलग उन्होंने रंगमंच की लोकप्रिय विधा को अपनाया और सोम जी की टीम से वह अलग हो गये। अब वह अपनी टीम (नाट्य दल) बनाकर नाटक का मंचन करने लगे।

पूरी जवानी और अधेड़ावस्था भागदौड़ में खपा दिया
1973 में दाउदनगर में शिक्षक की नौकरी छोड़कर रोहतास जिले के दक्षिणी सीमावर्ती इलाके में स्थित बंजारी सीमेंट कारखाने में एकाउंटेंट की नौकरी करने के बावजूद वह 1976 तक दाउदनगर लगातार जाते रहे और वहां नाटक करते रहे। चंद्रभूषण मणि में कला (नाटक) को लेकर ऐसा जूनून रहा कि इन्होंने अपनी पूरी जवानी और अधेडावस्था कला (नाटक) के लिए भाग-दौड़ में खपा दी। वह 1973 से 1996 तक कल्याणपुर सीमेंट कारखाना के एकाउंट सेक्शन में कार्यरत रहे थे। वह बंजारी से 05 बजे शाम सीमेंट के ट्रक पर सवार होकर डेहरी-आन-सोन रेलवे स्टेशन आते थे और रात में दून एक्सप्रेस पर चढ़कर अनुग्रहनारायण रोड (पावरगंज) पहुंचते थे और फिर वहां से टेकर से दाउदनगर जाते थे। सुबह नहर के किनारे नित्य शौचकर्म से निवृत होकर सुबह 06 बजे दाउदनगर से बंजारी के लिए चल देते थे। नाटक के रिहर्सल के लिए वह 09 बजे रात को दाउदनगर पहुच पाते थे, जहां नाटक के कलाकार उनका इंतजार करते थे। इन कलाकारों में डा. दीनू प्रसाद, मुनमुन प्रसाद, शेष कुमार, कृष्णा प्रसाद (पटवाटोली), रामएकबाल दुबे खैरा आदि थे। वह दाउदनगर में डा. सुरेश प्रसाद के घर 12 बजे रात को खाना खाते और रिहर्सल रूम में ही सो जाते थे।
इलाहाबाद से लौटकर 1978 में बनाया वस्तुनिष्ठ नाट्य दल
1978 में वह अपनी टीम के साथ इलाहाबाद में अखिल भारतीय नाट्य प्रतियोगिता में अपना नाटक पराजय (निर्देशक ब्रजेश कुमार, दाउदनगर) लेकर गए थे। इस नाटक को कलाकारों केप्रभावशाली अभिनय के कारण इसके मंचन की सराहना हुई, मगर पुरस्कार नहीं मिला। इनकी समझ यह बनी की छोटे शहर के होने से उनकी टीम को रिस्पॉन्स नहीं मिला या फिर जैसी चाहिए, वैसी प्रस्तुति नहींदे सके। उनकी टीम के अन्य सदस्य इलाहाबाद से लौट गए, मगर वह वहींरुक गए। वह कई दिनों तक रंगमंच विधा की तकनीकी बारीकी को समझने के लिए इलाहाबाद में रुके रहे। डेहरी-आन-सोन लौटकर आने के बाद चंद्रभूषण मणि को फिल्मी और नौटंकी के प्रभाव से अलग रंगमंच का वस्तुनिष्ठ रंगकर्मी दल बनाया।

रिपोर्ट और तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप

 

अनिल विभाकर को वागीश्वरी सम्मान-2018

गया (बिहार)-सोनमाटी समाचार। बिहार प्रदेश के मगही एवं हिंदी के यशस्वी कवि और वरिष्ठ पत्रकार अनिल विभाकर को वागीश्वरी सम्मान-2018 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें गया जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 70वें स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदान किया गया। इस अवसर पर अनिल विभाकर ने अपनी कविताओं का प्रभावकारी पाठ किया। श्री विभाकर को सम्मानित किए जाने से पहले गया हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पूर्व सभापति डा. राधाकृष्ण ने अनिल विभाकर का परिचय प्रस्तुत किया। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा. ब्रजराज मिश्र ने की और संचालन अरुण हरलीवाल ने किया। समारोह के आरंभ में गया जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के कार्यकारी मंत्री सुमन्त ने देश की आजादी के बाद गया जिला में स्थापित हुए गया जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 70 सालों की यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। सम्मान समारोह को जनकवि सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र ने भी संबोधित किया।

 

श्री सीमेंट को प्रधानमंत्री श्रमश्री पुरस्कार

औरंगाबाद (बिहार)-सोनमाटी समाचार। बांगर सीमेंट की इकाई श्री सीमेंट कम्पनी के सुरेश प्रसाद वर्मा को दिल्ली विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री श्रमश्री पुरस्कार प्रदान किया। श्री सीमेंट की स्थानीय इकाई के एजीएम संदीप शर्मा के अनुसार, श्री सीमेंट सामुदायिक समाज कल्याण के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता के क्षेत्र में अपना संभव योगदान कर रहा है।

 

 

कवि-आलोचक केदार सिह के निधन पर शोक   

हसपुरा (औरन्गाबाद) – सोनमाटी समाचार। हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठापित कवि व आलोचक केदारनाथ सिंह के निधन पर जनवादी लेखक संघ औरंगाबाद ने गहरी शोक संवेदना प्रकट की है। संघ के जिला सचिव व राज्य उपाध्यक्ष प्रो. अलखदेव प्रसाद ‘अचल’ ने कहा है कि केदारनाथ सिंह आज के दौर के वरिष्ठतम कवियों में थे। वे जीवन पर्यन्त जनवाद के पक्ष में अपनी लेखनी से नयी दिशा देते रहे थे। प्रो. अचल ने बताया कि उनके काव्य संग्रह आधुनिक हिन्दी कविता में विम्ब विधान में अपनी अलग पहचान रखती है। साहित्य सेवा के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, व्यास सम्मान मिला था। साहित्यकारों सुनील सिंह, सत्येन्द्र कुमार, लवकुश प्रसाद सिंह, शंभूशरण सत्यार्थी, इकबाल अख्तर दिल, राजेश कुमार विचारक, तालिब खाँ ने भी शोक संवेदना प्रकट की है।

 

 

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