सुधार की नायाब योजना ‘निर्वाचित पुलिस !
सोनमाटी मीडिया समूह के पाठकों के लिए भारत के छत्तीसगढ़ से भेजी गई बतौर वरिष्ठ पुलिस अफसर डा. किशोर अग्रवाल (रिटायर्ड डीआईजी) की कटाक्ष कलम से राज-समाज की वस्तुस्थिति के मद्देनजर मौजूदा राजनीतिक-सामाजिक चरित्र के अनुभव को रेखांकित करती व्यंग्य-रचना : निर्वाचित पुलिस !
प्रजातांत्रिक नायाब योजना की दरकार : पिछले दिनों जो कुछ समाचारपत्रों में और टीवी चैनलों पर आया, उससे यह बात तो साफ हो गई कि हमारे देश के लोग बहुत अधिक जानकार हो गए हैं। यदि जासूसी के मामले में देखें तो लोग सरलाक होम्स से भी ज्यादा बुद्धिमान प्रतीत होते हैं। अब तो ऐसा लगता है कि पुलिस की जितनी आलोचना होती रही है, ठीक मेंंही वह अंग्रेजों की बनाई हुई संवेदनहीन पुलिस है। जब सारे पुलिस सुधार आयोगों की सिफारिशों को लागू करने के बाद भी पुलिस के चरित्र-परिणाम में कोई आधारभूत परिवर्तन जनता को नहीं दिख रहा, तब यह समीचीन है कि सरकारी तौर पर भर्ती की जाने वाली पारंपरिक पुलिस-प्रक्रिया रद्द कर दी जाए और पुलिस का भी प्रजातांत्रिक ढंग से चुनाव करने की नायाब योजना की नींव डाली जाए। इसलिए कोरोना महामारी काल के बावजूद बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव, जिस ओर पूरी दुनिया की निगाहें हैं, के जागृत जन-समाज के विचारार्थ ब-तर्ज पंचायत, विधानसभा, लोकसभा चुनाव पुलिस निर्वाचन का सुझाव कुछ इस प्रकार है। पहला कि, विधानसभा स्तर पर थाना प्रभारी का और पंचायत स्तर पर प्रधान आरक्षी, आरक्षियों का पंच-सरपंच की तरह चुनाव किया जाए। दूसरा कि, कप्तान (एसपी) और अन्य वरिष्ठ सहायक पुलिस पर्यवेक्षण अधिकारियों का चुनाव लोकसभा की तरह किया जाए। तीसरा कि मुख्यमंत्री, मंत्रियों की तरह पुलिस मुख्यालय में डीजीपी और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का चुनाव हो। इस तरह के चुनाव से हमारी अपनी चुनी हुई पुलिस होगी। इसमें क्षेत्रीयता और लोकरंजन की दृष्टि से क्षेत्रीयता अनुसार पुलिस की वर्दी निर्धारित की जा सकती है। नेताओं की तरह स्थानीय वेशभूषा धोती-कुर्ता, अंगरखा-टोपी-पगड़ी और अधिक गरिमापूर्ण बनाने के लिए जरी-गोटे का इस्तेमाल किया जा सकता है। लाठियां भी स्थानीय चलन वाली भांजी जाएं।
पहले से पता होगा इस पुलिस को : पंचायत भवन की तर्ज पर पुलिस चौकी बनाई जाए, ताकि वास्तव में ग्रामीण पुलिस की कमी पूरी हो जाए। गांव के लोग जान-माल चुनी हुई प्रतिनिधि ग्रामीण पुलिस को सौंपकर गहरी नींद सो सकेंगे। चूंकि ग्रामों में निवास करने वालों में से ही ग्रामीण पुलिस होगी, इसलिए वह चोरी, बलात्कार करने वालों को अच्छी तरह पहचान लेगी और चोरी, बलात्कार नहीं होने देगी। अरे भाई, कौन किसका बलात्कार करने की ओर प्रवृत्त हो रहा है और कौन किसी बहन-बेटी पर निगाह रख रहा है, यह भी निर्वाचित पुलिस को पहले से पता होगा। निर्वाचित पुलिस घटना घटने के पहले ही घटना के इरादे और घटना के आलाजरब व आलानकब के साथ धर दबोचेगी। इस तरह का अनोखा-अद्वितीय काम नगरों में पार्षद स्तर के सिपाही कर करेंगे। दंगा होने पर इलाके की पूरी पुलिस मुकाबला करेगी, क्योंकि उन्हें पहले से पता होगा कि किसके घर में किसने पेट्रोल, पत्थर, केरोसिन जमा कर रखा गया है। निर्वाचित पुलिस व्यवस्था में आरक्षण कोटा के अनुसार दलित, आदिवासी, पिछड़ा, अगड़ा, अल्पसंख्यक सभी होंगे। इसलिए यह भला किसी से पक्षपात कैसे कर पाएगी? मर्डर होने पर लाश का पंचनामा, मौके का नक्शा, जब्ती, पोस्टमार्टम वगैरह तो निर्वाचित पुलिस चुटकियों में करा देगी। अब तो जनता भी मुंह के झाग, रस्सी के निशान, आंखे बाहर आना, जीभ निकलना आदि फिल्में देख-देख कर जानने लगी है। कुछ लोग तो विसरा परीक्षण की भी बातें जानने लगे हैं। निर्वाचित पुलिस नाला में बहकर आई सड़ी हुई लाश का निपटारा नाक पर रुमाल रखकर आराम से कर देगी और बेनाम लाश का घूम-घूम कर पता लगा उसके रिश्तेदारों को सौंप देगी।
…और इस तरह होगा अपराध-निर्धारण : अपराध होने पर सभी निर्वाचित आरक्षियों और प्रधान आरक्षी का खुला अधिवेशन होगा, जिसमें तय किया जाएगा कि मामला एफआईआर लिखने लायक है कि नहीं? तय होने के बाद प्रार्थी या प्रार्थिनी को सुरक्षा में लेकर चुने हुए थानाप्रभारी के पास ले जाया जाएगा। फिर तो निर्वाचित पुलिस बात-की-बात में सबूत इक_ा कर देगी, क्योंकि डर नहीं रहने से सब सच ही बोलेंगे और सच के सिवाय कुछ न कहेंगे। निर्वाचत पुलिस तय करेगी कि न्याय-प्रक्रिया जनअदालत लगा ही निबटा दी जाए या न्यायिक मजिस्ट्रेट को तकलीफ दी जाए। निर्वाचित पुलिस व्यवस्था में हल्के-फुल्के मामले में जूते मार, पत्थर चला कर हाथ साफ करने का मौका गांव के लोगों को दे दिया जाएगा, ताकि ईमानदार लोग अपने हाथों से अपराधी को पीटने का सुख ले सकें। सवर्ण अपराधियों को पिटने के लिए आरक्षित वर्ग की पुलिस को प्राथमिकता होगी, ताकि सदियों से शोषक रहे वर्ग के पृष्ठभाग पर पद-प्रहार की तुष्टि द्वारा समाज में संतोष के सामाजिक न्याय का संचार भी साथ-साथ हो सके। निर्वाचित पुलिस की इस नायाब व्यवस्था में जघन्य अपराध कांड में रिपोर्ट लिखने से लेकर सारे इन्वेस्टिगेशन तक में मीडिया को लगातार साथ रखा जाएगा। ताकि कोई अपने दिए गए बयान से बाद में मुकर न जाए। जब प्रदेश के मुख्य पुलिस अधिकारी को समारोहपूर्वक घटना-स्थल पर बुलाया जाएगा, जब वह एफआईआर की प्रतियां ग्राम, नगर वासियों, जनप्रतिनिधियों में बांटेंगे और अपराध के विषय में तब तक के इन्वेस्टिगेशन के बारे में व्यक्तव्य देंगे। ताकि सबकी उत्सुकता, शंका का शमन हो सके।
लागू होंगी नए जमाने की नई धाराएं : निर्वाचित पुलिस जनता की अपनी पुलिस होगी। अगर निर्वाचित पुलिस का कोई व्यक्ति बलात्कार भी कर दे तो जनता की अपनी निर्वाचित पुलिस होने के नाते मामला उतना संवेदनशील नहीं माना जाएगा और सरकार को उतनी जवाबदेही से जवाब भी नहीं देना होगा। भाई, निर्वाचित पुलिस तो जनता की अपनी पुलिस होगी। आईपीसी में जघन्य मर्डर, कम जघन्य मर्डर, जघन्य डकैती, कम जघन्य डकैती, जघन्य बलात्कार और कम जघन्य बलात्कार के नई आपराधिक धाराएं परिभाषित करनी होंगी, क्योंकि अब ये कानून के नए फैशन और जमाने के चलन में आ चुकी हैं।
संपर्क : डा. किशोर अग्रवाल (रिटायर्ड डीआईजी), ए-37, वालफोर्ट सिंटी, रिंग रोड नं.-1, भाठागांव, रायपुर-492013 (छत्तीसगढ़) फोन 9425212340
बिहार स्वाभिमान आंदोलन के विमर्श में ‘रोहतास : कल, आज और कल
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि निशांत राज। बिहार स्वाभिमान आंदोलन सामयिक मुद्दे पर लगातार वर्चुअल परिचर्चा आयोजित करता रहा है। पिछले सप्ताह के विमर्श- रोहतास : कल, आज और कल -में राज्यसभा सांसद गोपालनारायण सिंह, रोहतास के संस्कृति-पुरातत्व के अध्येता डा. श्यामसुंदर तिवारी, शिक्षाविद गोविंदनारायण सिंह के साथ वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्रनारायण सिंह, जीतेंद्रनारायण सिंह, राणा अवधूत शामिल हुए। राज्यसभा सांसद गोपालनारायण सिंह ने कहा कि दुनिया में रोहतास की प्रतिष्ठा शिक्षा, राजनीति, कूटनीति, सामरिक शक्ति, संस्कृति, धार्मिक, अध्यात्मिक, पर्यटन, तीर्थाटन, कृषि के क्षेत्र में रही है। वर्तमान में शिक्षा में बिहार में दूसरा स्थान रखता है। डा. श्यामसुंदर तिवारी ने ऐतिहासिक-सांस्कृतिक वैभव का उल्लेख कर कहा कि रोहतास राजा हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहित के नाम पर है, जिसकी चर्चा प्राचीन ग्रंथों में है। यहां विश्व का प्राचीनतम शैलचित्र है। शिक्षाविद गोविंदनारायण सिंह ने कहा कि रोहतास में शिक्षा, कृषि, पर्यटन के क्षेत्र में बड़ी संभावना है। अनेक खनिज संपदा हैं, जिसका दोहन कर कई प्रकार के उद्योग स्थापित कर पलायन रोका जा सकता है। भूपेन्द्रनारायण सिंह ने कहा कि अच्छी सड़क और स्वच्छता-विस्तार के साथ कानून-व्यवस्था ठीक कर रोहतास में पर्यटन की बड़ी संभावना साकार की जा सकता है। युवा पीढ़ी को स्वर्णिम अतीत बोध के लिए गौरवयात्रा निकालने की जरूरत है। जीतेन्द्रनारायण सिंह ने कहा कि यहां पर्यटन उद्योग का विकास कर अर्थव्यवस्था मजबूत बनाई जा सकती है। राणा अवधूत ने कहा कि रोहतास के गौरव को प्रतिष्ठित करने वाली राजनीतिक सोच का अभाव रहा है। बिहार स्वाभिमान आंदोलन के संचालक प्रवीण कुमार मिश्र ने कहा कि रोहतास की प्रतिष्ठा से जुड़ा विषय किसी चुनाव में मुद्दा नहीं बना। कार्यक्रम का समन्वय अमित कुमार ने किया।