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देशसमाचार

जलपुरुष ने कहा, बुखार में तप रही धरती और पानी बैंक है खाली / खिलाड़ी विद्यार्थी पुरस्कृत / पत्रकार महासंघ की संगोष्ठी लुधियाना में

साढ़े पांच सौ जिलों में बाढ़-सुखाड़ खतरे की घंटी

डेहरी-आन-सोन (बिहार)-सोनमाटी टीम)। जलपुरुष के नाम से चर्चित और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, स्टाकहोम वाटर प्राइज जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त देश के वरिष्ठ वाटर एक्टीविस्ट डा. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि 60 देशों के पांच सालों का अध्ययन यह बताता है कि अफ्रीका के 20 और एशिया के 20 देशों से जलसंकट के कारण विस्थापन बढ़ा है। भारत में खतरे की घंटी बज चुकी है, जहां 365 जिलों को सूखा और 190 जिलों को बाढ़ का संकट झेलना पड़ रहा है। बीती सदी के मुकाबले 21वींसदी में सुखाड़ का विस्तार 10 गुना और बाढ़ का विस्तार 8 गुना हो चुका है। नई तकनीक और औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात करने वाले यूरोपीय देशों ने दो-तीन सौ सालों में अपनी धरती का सीना तो कम मगर दूसरे देशों की धरती का सीना अनेक तरह के खनन के लिए खूब फाड़ा और दूसरों के मुकाबले अपने जंगल अपेक्षाकृत नहीं काटे। अनेक देशों का पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का संकट धरती के अनियंत्रित दोहन का परिणाम है। जिस सीरिया के खूनी संघर्ष को धर्मयुद्ध बताया जा रहा है और जहां पश्चिमी देशों का हस्तक्षेप है, वह दरअसल जल-युद्ध ही है। दुनिया की सबसे प्राचीन सिंचाई प्रणाली वाले देश सीरिया में जलसंकट इसलिए पैदा हुआ कि टर्की में डैम बनाकर पानी को रोक दिया गया। इसी तरह दुनिया में किसानों के सबसे पुराने देश भारत और चीन में जमीन के पानी का अंधाधुध दोहन करने के कारण संकट पैदा हुआ है। वह जमुहार स्थित गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय में खिसकता जलस्तर और हमारा भविष्य विषय पर संयोजित संगोष्ठी में विद्यार्थियों, अध्यापकों, पर्यावरण प्रेमियों को संबोधित कर रहे थे।

राज के साथ समाज को भी आना होगा आगे

डा. राजेन्द्र सिंह ने राजस्थान में चार दशकों में जल संरक्षण के लिए अपने नेतृत्व में हुए सामूहिक प्रयास की जानकारी देते हुए बताया कि वहां 11 हजार 800 छोटे-छोट डैम (बांध) बनाए गए, जिससे अनेक रेगिस्तानी इलाके हरियाली में तब्दील हो गए हैं। इस बात को वहां गाए जाने वाले लोकगीत में देखा जा सकता है कि 40 साल पहले बादल आते है बिन बरसे रुठ कर चले जाते हैं गीत गाने वाली बूढ़ी महिलाओं की जगह नई पीढ़ी की महिलाएं अब यह गाती हैं- बादल आते हैं मेरे गांव में बरसते हैं मेरे गांव में। भारत में 72 फीसदी भूगर्भ का दोहन कर लिया। इसलिए अब प्रकृति से रिश्ता बनाकर ही जलवायु परिवर्तन के आसन्न संकट से निपटा जा सकता है। वास्त में धरती बुखार में तप रही है और धरती का पानी बैंक खाली है। जिसका इलाज नई पीढ़ी के पास ही है। जल संरक्षण गांव के स्तर से ही होना चाहिए। बिहार में जल-जीवन-हरियली कार्यक्रम की सरकार की घोषणा एक बेहतर पहल है, मगर राज का यह संकल्प समाज के सक्रिय सहयोग के बिना पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकता। उन्होंने मात्र 100 सेन्टीमीटर बारिश वाले जैसलमेर (राजस्थान) के सात सदी पुराने इतिहास का उदाहरण देते हुए बताया कि कम बारिश के बावजूद वहां शहर के राजकीय तालाब से दो सौ व्यापारियों के डेढ़ हजार ऊंटों की भी जरूरत भर पानी का भंडारण कर लिया जाता था।

सोन, गंगा के पानी में तय नहीं बिहार की हिस्सेदारी

आरंभ में बिहार  के वरिष्ठ जल कार्यकर्ता लालबिहारी सिंह ने कहा कि नदियों का अपना रास्ता और प्रवाह का अपना प्राकृतिक तरीका होता है, जिसमें बहुत छेड़-छाड़ नुकसानदायक है। सोन नदी में बालू का अनियंत्रित उत्खनन चिंता बढ़ाने वाली है। सोन या गंगा के पानी पर बिहार की हिस्सेदारी का सवाल का समाधान नहीं किया जा सका है, जबकि यह सवाल तीन दशकों से अधिक समय से बिहार की ओर से उठाया जाता रहा है। मई-जून में 50 फीसदी चापाकल फेल होने की वजह भूभिगत जल के नीचे चला जाना है। 75 फीसदी तालाबों का अतिक्रमण सरकार ने ही कर उस पर भवन बना दिया है, जिसमें पहले पानी जमा होता था और जमीन के भीतर पानी री-चार्ज (जमा) होता था।

गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय के सचिव गोविन्दनारायण सिंह और कुलपति डा. एमएल वर्मा ने डा. राजेंद्र सिंह का अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत किया। कुलपित डा. वर्मा ने कहा कि पानी किल्लत और हवा के प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए सतत सामूहिक प्रयास की जरूरत है। संचालन प्रिया ग्रेवाल और सृष्टि श्री ने किया।
(रिपोर्ट : कृष्ण किसलय/भूपेंद्रनारायण सिंह/उपेंद्र कश्यप,
तस्वीर : भूपेंद्रनारायण सिंह, पीआरओ, गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय)

खेल प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थी हुए पुरस्कृत

दाउदनगर (औरंगाबाद)-विशेष प्रतिनिधि। विवेकानन्द मिशन स्कूल में निदेशक डा. शम्भूशरण सिंह ने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों के पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यालय में एक तरफ इन्डोर, आउट डोर खेल होता है तो दूसरी ओर क्लास में अध्यापन का कार्य होता है। शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा चरितार्थ होती है। विद्यालय के विद्यार्थियों ने अनुमण्डल, जिला, राज्य और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में विजेता बनकर विद्यालय को गौरवान्वित किया है।
ग्लोरियस हेरिटेज आफ बिहार के पदाधिकारी अनंत आशुतोष द्विवेदी ने बिहार के धरोहरों के बारे में प्रजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी दी और बताया कि औरंगाबाद के दाऊदनगर, हसपुरा, बारूण, देव, गोह, मदनपुर प्रखंडों के कई गांवों में धरोहर हैं, जो नष्ट हो रहे हैं, जिनसे विद्यार्थी अनभिज्ञ हैं। डा. शंभूशरण सिंह और अनंत आशुतोष द्विवेदी के साथ प्रबंधक सुनील कुमार सिंह, प्राचार्य चन्द्रशेखर नायक, संयोजक मदनमोहन शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र कश्यप, डाक्युमेन्ट्री फिल्म निर्देशक धर्मवीर भारती ने भी विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। कबड्डी, मेहंदी, पेंटिंग और दौड़ प्रतियोगिता के विजेताओं राघवेन्द्र कुमार, अभिषेक कुमार, आयुष कुमार, सचिन कुमार, प्रेम कुमार, आर्यन कुमार, विनीत कुमार, सिद्धार्थ पटेल, पंकज कुमार, खुशी कुमारी, अर्पिता अग्रवाल, विवेक राज, काजल कुमारी, अनीस कुमार, प्रेम कुमार को पुरस्कृत किया गया। शिक्षक ब्रजेश कुमार, लोकेश पाण्डेय, डीएन मिश्रा, ओमकार नाथ, नीरज कुमार, सुनील कुमार सिंह, दिनकर प्रसाद शर्मा, मनोज मुस्कार, धर्मेन्द्र सिंह, विप्लवी कुमारी, दीपक पाण्डेय, राजेश कुमार आदि ने कार्यक्रम का संयोजन किया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप)

पत्रकार महासंघ की संगोष्ठी लुधियाना में

लुधियाना (पंजाब)-सोनमाटी प्रतिनिधि। भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ की संगोष्ठी का आयोजन पंजाबी भवन में एक दिसम्बर को होगा, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डा. भगवान उपाध्याय और वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामलखन चौरसिया भाग लेंगे। यह जानकारी महासंघ के राष्ट्रीय सचिव अनिल कुमार पांडे ने सोनमाटी व्हाट्सएप नेटवर्क पर दी।

 

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