नई दिल्ली (विशेष संवाददाता)। करीब डेढ़ सौ लोगों की जान लेने, पांच सौ को घायल करने और अरबों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाला प्रलंयकारी तूफान का खतरा अभी थमा नहीं है। इसका खतरा बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान पर मंडरा रहा है। हालांकि इस तूफान के कारण 2 मई की सुबह बिहार में भी बारिश हुई। यह बीते दो दशक में देश में आने वाला सबसे बड़ा तूफान है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मौसम के 5 दिनों तक खराब रहने का अंदेशा जताया है और अलर्ट जारी किया है।
2-3 मई की रात आए धूल भरी आंधी और बारिश ने देश कई कई हिस्सों खासकर उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बड़ी तबाही मचाया है। इस तूफान का अंदेशा पहले से था और मौसम विभाग ने इसकी सूचना भी जारी की थी, मगर इसके इतने विनाशक होने की आशंका नहीं थी।
मौसम विभाग ने बताया था कि आने वाला तूफान 50 किलोमीटर घंटे की रफ्तार वाला होगा। मगर कई पर्यावरणीय कारण अचानक ऐसे बने कि तूफान प्रलंयकारी हो गया। मौसम विभाग के मुताबिक, तूफान की गति करीब 135 किलोमीटर प्रति घंटा थी। उच्च तापमान होने की वजह से उत्तर भारत में धूल भरी आंधी आम बात है, मगर इस तूफान का संपर्क में गुजरने वाले मौसम के पश्चिमी विक्षोभ से हो जाने से इसकी विनाशकारी क्षमता बढ़ गई। तूफान के ताकतवर होने में ग्लोबल वार्मिंग की भूमिका रही है। तूफान इतना शक्तिशाली बन गया कि इसने मजबूत पेड़ों को भी धराशायी कर दिया। करीब 90 मिनट की रेतीली आंधी और ओले वाली बारिश ने देश के विभिन्न हिस्सों में कहर बरपा गई।
तूफान ने खोल दी पोल, राहत तेजी से मुहैया कराने जरूरत
बहरहाल, इस तूफान ने इस बात की पोल तो खोल ही दी है कि भारतीय मौसम विभाग आज भी तूफान और मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाने में सक्षम नहींहो सका है। भारतीय मौसम विभाग ने तूफान के आने से पहले यह जरूर बता दिया था कि 01 से 04 मई तक तूफान और बारिश आएगी, मगर विभाग ने भविष्यवाणी की थी कि तूफान पूर्वोत्तर भारत में ज्यादा असरकारी होगा। जबकि तूफान का ज्यादा असर उत्तर भारत में हुआ।
इस प्राकृतिक आपदा में जान के नुकसान का तो आकलन कर लिया गया है, पर अभी फसल और संपत्ति के नुकसान का आकलन बाकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्राकृतिक विपदा में जान गंवाने वालों और संपत्ति का हुए नुकासन पर दुख प्रकट किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आंधी-तूफान से प्रभावित लोगों की हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। आश्वासन और संवेदना तो औपचारिकता है, जरूरत इस बात की है कि इस आपदा से प्रभावित लोगों तक और इलाकों में समुचित राहत तेजी से मुहैया हो सके।
मुख्य नालों को बरसात शुरू होने से पहले साफ करने का फैसला
डेहरी-आन-सोन (बिहार)-सोनमाटी संवाददाता। डेहरी-डालमियानगर नगर परिषद की बैठक में 80 करोड़ रुपये खर्च कर शहर को जल-जमाव से मुक्त करने की योजना को अंतिम रूप दिया गया। सर्वानुमति से शहर से सभी मुख्य नालों को बरसात शुरू होने से पहले साफ करने का फैसला लिया गया। बैठक विकास के अधूरे कार्यों को पूरा करने का फैसला लिया गया।
बैठक में मुख्य पार्षद विशाखा सिंह, उप मुख्य पार्षद बिंदा देवी, कार्यपालक पदाधिकारी अंजय कुमार राय, सशक्त स्थाई समिति के सदस्य काली प्रसाद लाल, चंदन कुमार, सरोज उपाध्याय, सोनू चौधरी, आरती देवी, नेहा देवी, अनिता देवी, दीपक कुमार सहित अन्य पार्षदों ने भाग लिया।
यूथ इंडिया ने दिया धरना, सौंपा ज्ञापन
उधर, यूथ इंडिया के आह्वान पर मकराइन मोहल्ले के नागरिकों ने सड़क निर्माण के शिथल पड़े कार्य को पूरा करने और जमीन की नापी कर अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर डेहरी-डालमियानगर परिसर में धरना दिया गया।
यूथ इंडिया के अध्यक्ष शिव गांधी के नेतृत्व में धरनार्थियों ने डेहरी-डालमियानगर नगर परिषद के कार्यपालक अधिकारी को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया।
डिहरी अनुमंडल विधिज्ञ संघ का अवलोकन
नए अनुमंडल पदाधिकारी गौतम कुमार ने डिहरी अनुमंडल विधिज्ञ संघ के आग्रह पर संघ कार्यालय, पुस्तकालय और वकालत परिसर का अवलोकन किया। डिहरी अनुमंडल विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पांडेय (उर्फ मुटुर पांडेय) और सचिव मिथलेश कुमार सिंह के नेतृत्व में अधिवक्ताओं की ओर से अनुमंडल पदाधिकारी का स्वागत गुलदस्ता भेंटकर किया गया। गौतम कुमार ने अनुमंडलाधिकारी का पदभार संभालने के बाद 03 मई को प्रखंड, अंचल कार्यालयों का भी अवलोकन किया और सभी अधिकारियों-कर्मचारियों का कार्यालय में समय का पाबंद होने का निर्देश दिया।