नहीं रहे दिग्गज समाजवादी/ बहुराष्ट्रीय बनने की ओर एनटीपीसी/ बनेगा चित्रगुप्तमैदान संपर्कपथ/ श्रमिक परिवार को मिलेगी मदद

मृत्यु-पूर्व पहले छोड़ा पद, फिर छोड़ी लालू की पार्टी

पटना (विशेष प्रतिनिधि)। पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. रघुवंश प्रसाद सिंह का दिल्ली एम्स में 12-13 सितम्बर की रात निधन हो गया। उनकी पहचान बिहार के कद्दावर, स्पष्ट वक्ता और सादगीपूर्ण समाजवादी नेता के रूप में थी। सीतामढ़ी के गोयनका कालेज में गणित के प्राध्यापक रहे दिग्गज समाजवादी नेता डा. रघुवंश प्रसाद सिंह 1974 के छात्र आंदोलन में पहली बार गिरफ्तार हुए थे। उनके समाजवादी चरित्र को बिहार के सियासी चेहरे को बदल देने वाली उस घटना से याद किया जाता है कि 1977 में बिहार में मुख्यमंत्री पद के राजपूत बिरादरी के दिग्गज कांग्रेसी सत्येंद्रनारायण सिंह और पिछड़े वर्ग के समाजवादी कर्पूरी ठाकुर की दावेदारी में उन्होंने राजपूत होकर भी कर्पूरी ठाकुर के पक्ष में वोट दिया था। तब से 34 सालों से वह लालू प्रसाद यादव के प्रबल राजनीतिक सहयोगी बने रहे। डा. रघुवंश प्रसाद सिंह के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए-एक) की केेंद्रीय सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए ग्रामीणों को 100 दिन रोजगार की गारंटी देने वाला मनरेगा कानून लागू हुआ था। ऐतिहासिक और दुनियाभर में चर्चित मनरेगा कानून का असली शिल्पकार उन्हें ही माना जाता है। राजद के सबसे अधिक पढ़े-लिखे नेता और अगड़ी जाति के होकर भी रघुवंश प्रसाद सिंह राजद की पिछड़ी जाति की राजनीति में मिसफिट नहीं हुए और मुश्किल वक्त में भी राजद, लालू प्रसाद यादव से दूर नहीं हुए। जबकि राजद के श्याम रजक, शिवानंद तिवारी सहित कई वरिष्ठ नेता 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की हार के बाद पाला बदलकर नीतीश कुमार के साथ हो गए थे। हालाकि राजद के बैनर-पोस्टर में लालू, राबड़ी, मीसा भारती, तेजप्रताप और तेजस्वी के फोटो रघुवंश प्रसाद सिंह को रास नहीं आता था। 10 सितम्बर को उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर राजद छोडऩे की घोषणा की थी और इससे पहले जून में उन्होंने विवादास्पद छवि के रामा सिंह को राजद में लाए जाने के तेजस्वी यादव के प्रयास पर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिनसे 2014 में लोकसभा का चुनाव वह हार गए थे। बेशक हाल के दिनों में वह पार्टी में अपनी उपेक्षा से आहत थे। उन्हें राज्यसभा में भी भेजने के योग्य नहीं समझा गया था। उन्होंने शायद अपनी छवि पर जीवन के अंतिम दिनों में दाग नहीं लगे, इसीलिए मृत्यु-पूर्व राजद का पद और पार्टी दोनों छोड़ दी थी। राजद से इस्तीफा देने वाला पत्र के बाद आधा दर्जन अलग-अलग संदर्भ पत्र लिखकर मीडिया को मुहैया कराया। संदर्भ पत्रों में लालू प्रसाद का बिना नाम लिए लालू की परिवारवादी राजनीति पर प्रहार किया। रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन से दुखी लालू प्रसाद यादव ने अपने ट्वीट में कहा है- रघुवंश बाबू, ये आपने क्या किया! मैंने 11 सितम्बर को कहा था कि आप कहीं नहीं जा रहे, लेकिन आप इतनी दूर चले गए, नि:शब्द हूं, दु:खी हूं।

मुख्यमंत्री से तीन मांग, फेसबुक पर भी पोस्ट

डा. रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद यादव को चिी लिखकर राजद से इस्तीफा देने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पत्र लिखकर तीन मांगें रखी थीं। फेसबुक पर भी पत्र को पोस्ट कर मुख्यमंत्री से मांगों को पूरा करने का आग्रह किया था। उन्होंने मांग की थी कि विश्व की प्रथम गणतंत्र-भूमि वैशाली में 26 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा झंडोत्तोलन करने की परिपाटी बने, जैसाकि वर्ष 2000 से पहले राजधानी पटना के बजाय रांची में मुख्यमंत्री झंडोत्तोलन करते थे। उनकी मांग थी कि काबुल संग्रहालय में रखे गए भगवान बुद्ध के भीक्षा-पात्र को वैशाली के निर्माणाधीन बौद्ध संग्रहालय में मंगवाया जाए। मनरेगा कानून में आम किसानों की जमीन पर भी काम करने का संशोधन अध्यादेश विधानससभा चुनाव आचार-संहिता लागू होने से पहले लाया जाए। उन्होंने अपने लेटरहेड पर मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में हाथ से लिखा कि गांधी सेतु से हाजीपुर के बीच कहीं भी एक तोरणद्वार बने, जिस पर लिखा हो- विश्व का प्रथम गणतंत्र। वैशाली परिसर के सभी तालाबों को बिहार सरकार के महत्वाकांत्री कार्यक्रम जल जीवन हरियाली कार्यक्रम से आच्छादित किया जाए।

रिपोर्ट : कृष्ण किसलय, तस्वीर : द न्यूज वर्ड से साभार

बिहार में 11 हजार करोड़ रुपये निवेश : आरके सिंह

पटना/नवीनगर (औरंगाबाद)-कार्यालय प्रतिनिधि। केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने विद्युत मंत्रालय ने तीन-चार वर्षों में बिहार में विद्युतीकरण के लिए 11 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिनमें सबस्टेशन, ट्रांसमिशन और ग्रामीण विद्युतीकरण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में कोयला और रेलवे माल ढुलाई की लागत में 40 प्रतिशत तक वृद्धि के बावजूद एनटीपीसी ने बिजली की कीमत बढ़ोतरी 12 प्रतिशत तक सीमित रखी। एनटीपीसी ने देश में अन्य किसी भी विद्युत सार्वजनिक उपक्रम से सबसे ज्यादा पीएम केयर फंड में 257.5 करोड़ रुपये का योगदान किया है। एम्स पटना को 12 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। एनटीपीसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में तब्दील होने की दृष्टि और लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। वह 13 सितम्बर को पटना से आनलाइन बिहार के बाढ़ एनटीपीसी परिसर के दो सामुदायिक केंद्रों (सहरी, सहनौरा), नबीनगर में 3 किलोमीटर लंबी मेह-इंद्रपुरी बैराज सड़क और कांटी बिजली उत्पादन निगम के बहुउद्देशीय प्रवेश-द्वार का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।

दसांश विद्युत उत्पादन के संयंत्र बिहार में : गुरदीप सिंह

इस अवसर पर एनटीपीसी के सीएमडी गुरदीप सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि एनटीपीसी की देश में कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता 62910 मेगावाट में बिहार में उत्पादन क्षमता 6150 मेगावाट की है। निकट भविष्य में बिहार में 3800 मेगावाट उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। बताया कि एनटीपीसी समूह के पास 24 कोयला, 7 संयुक्त चक्र, गैस-तरल ईंधन, 01 हाइड्रो, 13 नवीकरण ऊर्जा और 25 सहायक जेवी पावर स्टेशन हैं। एनटीपीसी के निर्माणाधीन 20 गीगावाट विद्युत क्षमता में 5 गीगावाट नवीकरण ऊर्जा क्षमता की है। उद्घाटन समारोह को औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह, बाढ़ के विधायक ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, कांटी के विधायक अशोक कुमार चौधरी, नबीनगर के विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह ने भी संबोधित किया। समारोह में केेंद्र और राज्य के ऊर्जा मंत्रालयों के साथ वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।

रिपोर्ट : पीआईबी (पटना), तस्वीर : निशांत राज

चित्रगुप्त कल्याण ट्रस्ट खुला बैंक खाता : डा. उदय

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। चित्रगुप्त समाज कल्याण ट्रस्ट का खाता एचएफडी बैंक में खुल चुका है और इस खाते में एक लाख रुपये से ऊपर की रकम शेष बैलेंस है। यह जानकारी देते हुए ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. उदय कुमार सिन्हा ने बताया कि निश्चित उद्देश्य को लेकर संस्थापक ट्रस्टी वरिष्ठ चिकित्सक डा. रागिनी सिन्हा के नेतृत्व में पिछले साल इस संगठन का गठन किया गया था, जिसके माध्यम से कायस्थ समाज के संपूर्ण सहयोग से पांच दशक पुराना चित्रगुप्त मंदिर का नवीनीकरण किया गया और चित्रगुप्तमहाराज की नई प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा समारोहपूर्वक की गई, जिसमें करीब दस लाख रुपये व्यय हुए। बताया कि डेहरी-डालमियानगर परिषद की अध्यक्ष विशाखा सिंह और उपाध्यक्ष बिंदा सिंह ने यह आश्वासन दिया है कि परिषद की ओर से अनुमंडल कोर्ट रोड से चित्रगुप्त मैदान स्थित चित्रगुप्तमहाराज मंदिर तक के संपर्कपथ के निर्माण का आश्वासन दिया है, जिसकी स्वीकृति चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले होने की उम्मीद है।

निराश्रित बच्चों की पढ़ाई की होगी व्यवस्था : दयानिधि

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। दरिहट थाना के धरहरा गांव के मृतक श्रमिक के तीनों नाबालिग बच्चों की पढ़ाई की और उसकी पत्नी रीना देवी को निजी स्तर पर नौकरी की व्यवस्था का आश्वासन स्वयंसेवी स्तर पर विभिन्न संस्थाओं-समाजसेवियों की ओर से दिया गया है। इस संभावना की तलाश भी की जा रही है कि दुर्घटना मृत्यु के तहत सरकार से उसे क्षतिपूर्ति मिल सके। यह जानकारी नवगठित अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिला कार्यकारी अध्यक्ष और सोन कला केेंद्र के अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव ने दी। आशुतोष की मौत पिछले दिनों पानी टंकी मुहल्ले में एक मकान में काम करने के दौरान करंट लगने से हुई।

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